और काबा में राम देखिये
विश्व बना है ग्राम देखियेहै साजिश, परिणाम देखिये
होती खुद की जहाँ जरूरत
छू कर पैर प्रणाम देखिये
सेवक ही शासक बन बैठा
पिसता रोज अवाम देखिये
दिखते हैं गद्दी पर कोई
किसके हाथ लगाम देखिये
और कमण्डल चोर हाथ में
लिए तपस्वी जाम देखिये
बीते कल के अखबारों सा
रिश्तों का अन्जाम देखिये
वफा, मुहब्बत भी बाजारू
मुस्कानों का दाम देखिये
धीरे धीरे देश के अन्दर
सुलग रहा संग्राम देखिये
चाह सुमन की पुरी में अल्ला
और काबा में राम देखिये
9 comments:
बहुत खूब! बेहतरीन प्रस्तुति...
Nice .
अरब और हिंदुस्तान का ताल्लुक़
अरब और हिंदुस्तान का ताल्लुक़ आज से नहीं है बल्कि पहले दिन से है .
http://www.blogkikhabren.blogspot.in/2012/03/blog-post_16.html
बढ़िया प्रस्तुति |
बधाई स्वीकारें ||
सुंदर प्रस्तुति |
my resent post
my resent post
काव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.
बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है आपने!
चाह सुमन की पुरी में अल्ला
और काबा में राम देखिये
wah......
बहुत खूब...चोर के हाथ कमंडल...तपस्वी के हाथ जाम...
चोर के हाथ कमंडल...तपस्वी के ..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....
.
कैलाश भाई, डा० जमाल भाई, रविकर जी, धीरेन्द्र जी, दिलबाग जी, शास्त्री जी, विजय रंजन जी, उदयवीर जी माननीया मृदुला प्रधान जी -- विनम्र आभार - भबिष्य में भी सम्पर्कित रहने की कामना के साथ हार्दिक धन्यवाद।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
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http://maithilbhooshan.blogspot.com/
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