सादर ब्लॉगस्ते!: शोभना ब्लॉग रत्न प्रविष्टि संख्या - 8
Posted on Sunday, February 17, 2013 by डॉ. दिलबागसिंह विर्क in
सादर ब्लॉगस्ते!: शोभना ब्लॉग रत्न प्रविष्टि संख्या - 8: ग़ज़ल इस मतलबी जहां के तलबगार हम नहीं दिल की सुनें सदा, करें व्यापार हम नहीं | चाहा तुझे, पूजा तुझे , माना खुदा तुझे ये बात...
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