उसने चाहा था ख़ुदा हो जाएसबकी नज़रों से जुदा हो जाए.उसने चाहा था ख़ुदा हो जाए.चीख उसके निजाम तक पहुंचेवर्ना गूंगे की सदा हो जाए.अपनी पहचान साथ रहती हैवक़्त कितना भी बुरा हो जाए.थक चुके हैं तमाम चारागरदर्द से कह दो दवा हो जाए.उसके साए से दूर रहता हूंक्या पता मुझसे खता हो जाए.कुछ भला भी जरूर निकलेगाजितना होना है बुरा हो जाए.होश उसको कभी नहीं आताजिसको दौलत का नशा हो जाए.घर में बच्चा ही कहा जाएगाचाहे जितना भी बड़ा हो जाए.-देवेंद्र गौतमRead...
वीर अब्दुल हमीद जैसों की शहादत को भूल जाने वालों के लिए कोई भला अपनी जान क्यों देगा?
वीरों की शहादत को भूल जाने वालों के लिए कोई भला अपनी जान क्यों देगा? वीर अब्दुल हमीद शहीद के घर वाले जानते हैं या फिर थोड़े से और लोग कि आज 4th बटालियन, ग्रेनेडियर में तैनात हवालदार अब्दुल हमीद की शहादत दिन है। 1965 युद्ध में पाकिस्तानी सेना का सीना चीर कर उस समय के अपराजेय माने जाने वाले उसके "पैटन टैंकों" को तबाह कर देने वाले 32 वर्षीय...
जंगे-आज़ादी के नायक अशफाक उल्ला खान
इंसान को अपनी बेहतरी के लिये खुद ही संघर्ष करना पड़ता है.
हरेक इंसान को जानना चाहिये कि उसके लिये क्या बेहतर है ?
आज़ादी की सालगिरह मुबारक.
जंगे-आज़ादी के नायक अशफाक उल्ला खान
देश की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूमने वाले अशफाक उल्ला खान जंग-ए-आजादी के महानायक थे।अंग्रेजों ने उन्हें अपने...
हुमायूं और कर्मावती के बीच का प्रगाढ़ रिश्ता और राखी का मर्म

भारतीय नारी का एक रूप ‘बहन‘ भी है और भारतीय पर्व और त्यौहारों की सूची में एक त्यौहार का नाम ‘रक्षा बंधन‘ भी है। जहां होली का हुड़दंग और दीवाली पर पटाख़ों का शोर शराबा लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है और उनके पीछे की मूल भावना दब जाती है वहीं रक्षा बंधन का त्यौहार आज भी दिलों को सुकून देता है। यह त्यौहार मुझे सदा से ही प्यारा...
'जब मैंने हिन्दी बोली' -एक क़हक़हेदार पोस्ट

महंगाई बढ़ने की खबरें हिन्दी बोलने वालों को भी डरा रही हैं लेकिन फिर भी लोग हिन्दी बोल रहे हैं और बहुत अच्छी बोल रहे हैं. आप भी अपने जीवन में हिन्दी बोलकर अपना और समाज का बहुत भला कर सकते हैं. आज भारी भरकम मुद्दों को उठाती हुई पोस्ट्स के दरम्यान एक क़हक़हेदार पोस्ट पढी तो उसे यहाँ देने की तबियत हुई.
फ़ेसबुक पर एक बहन ने लिखा है कि
Mahrukh...
कुछ यात्राएँ निराशाजनक भी साबित होती है

दोस्तों, मैंने कल अपनी भतीजी चारू जैन के साथ एक छोटी सी रोहतक,
हरियाणा की यात्रा की. जो उम्मीदों के अनुरूप बहुत ही निराशाजनक रही. दरअसल
मेरी भतीजी एम.बी.बी.एस का कोर्स करना चाहती है. पिछले साल ही बारहवीं पास
कर ली थी और दाखिले से पहले होने वाली परीक्षा में भी पास हो गई थी. लेकिन
उसकी आयु कम होने के कारण दाखिला नहीं मिल पाया था. पूरी...
क्या गरीब और आम व्यक्ति को इन प्रश्नों का कभी जबाब मिलेगा ?

दोस्तों, मेरी
खुली चुनौती है कि-कुछ ऐसे प्रश्न जिनका जबाब किसी राज्य सरकार व मोदी
सरकार के साथ ही क्षेत्रीय पार्षद, विधायक और सांसद से नहीं मिल सकता हैं,
क्योंकि यहाँ सब कुछ गोल-माल या जुगाड़ है.
1.
क्या दिल्ली में उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी नगर निगम और दिल्ली पुलिस
(क्षेत्रीय थाना) को बिना रिश्वत दिए अपना मकान बनाना...
नरेन्द्र भाई मोदी का प्रधानमंत्री बनना भारत में आए बड़े बदलाव का प्रमाण
कल 26 मई 2014 को नरेन्द्र भाई मोदी साहब ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उन्हें पिछड़ी जाति का सदस्य माना जाता है। उनका व्यक्तित्व और उनकी विचारधारा जो भी हो लेकिन पिछड़ी जाति के व्यक्ति का प्रधानमंत्री बनना और हज़ारों साल से अपना वर्चस्व बनाए रखने वाली जातियों के सदस्यों का उनके अधीन काम करना एक बड़ा बदलाव है। यह बदलाव एक दिन में और किसी एक...
वालिद साहब की मौत पर सभी भाई बहनों से दुआ की दरख्वास्त है
कुल्लु नफ्सिन ज़ायक़तुल मौत -आल-क़ुर्'आन
हर जान को मौत का ज़ायक़ा चखना है.
हमारे वालिद जनाब मसूद अनवर ख़ान यूसुफ़ ज़ई साहब का इंतेक़ाल (देहावसान) हो गया है जुमा (26 अप्रैल 2014) और शनिवार (27 अप्रैल 2014)की दरमियानी रात मे 7:25 PM पर. उनकी उम्र तक़रीबन 69 साल थी. सब लोगों से दुआ और इसाले सवाब की दरख्वास्त है. उनकी नमाज़े...
भारत की ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ परंपरा-हरि मोहन
लिव इन रिलेशनशिप भारतीय समाज में हमेशा चर्चा का विषय रहा है। सामाजिक रूप से इसे आज भी स्वीकार नहीं किया जाता है। स्त्री का शादी के बगैर पुरुष के साथ रहना सामाजिक दृष्टि से पाप समझा जाता है। घर-परिवार और समाज में लिव इन रिलेशनशिप की बात उठाते ही इसे पश्चिमी देशों की नकल कह कर दरकिनार कर दिया जाता है।
समाजिक ढांचा आज भी यहीं मानता...
श्री रामचन्द्र जी के साथ यह अन्याय क्यों?-Dr. Anwer Jamal
चाय के ठेले पर विकास पुरूष
के बाद अब एक अहम सवाल
श्री रामचन्द्र जी के साथ यह अन्याय क्यों?सांप्रदायिक तत्व धर्म के झंडे लेकर चलते हैं लेकिन मक़सद अपने पूरे करते हैं जो कि धर्म के खि़लाफ़ होते हैं। इसीलिए ये धार्मिक सत्पुरूषों को पीछे धकेलते रहते हैं।राम मंदिर का मुददा गर्माने और भुनाने वाालों ने प्रधानमंत्री पद के लिए रामचन्द्र जी के...
क्या असर लाएंगी ‘यूज़ एंड थ्रो’ के शिकार बुज़ुर्गों की तेज़ाबी बद-दुआएं?

चुनाव की लहर है या यों कहें कि ज़हर की लहर है। हर तरफ़ किसी न किसी नेता का गुणगान किया जा रहा है। इतना भी चलता तो ग़नीमत था। उससे ज़्यादा बुरा यह है कि विरोधी प्रत्याशियों को गालियां दी जा रही हैं, उन्हें पाकिस्तानी एजेन्ट तक बताया जा रहा है। अगर वाक़ई भारत में कोई पाकिस्तानी एजेन्ट चुनाव लड़ रहा होता तो क्या हमारी इन्टेलीजेन्स और चुनाव आयोग...
सामाजिक रुढिवाद की देन है हिन्दू-मुस्लिम विद्वेष-Jagadishwar Chaturvedi

इस्लामिक दर्शन और धर्म की परंपराओं के बारे में घृणा के माहौल को खत्म करने का सबसे आसान तरीका है मुसलमानों और इस्लाम धर्म के प्रति अलगाव को दूर किया जाए। मुसलमानों को दोस्त बनाया जाए। उनके साथ रोटी-बेटी के संबंध स्थापित किए जाएं। उन्हें अछूत न समझा जाए। भारत जैसे बहुसांस्कृतिक देश में धर्मनिरपेक्ष संस्कृति को निर्मित करने लिए जमीनी स्तर...
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