होली के अवसर पर सभी पाठकों को शुभकामनायें. होली आती है और भक्त प्रह्लाद की याद दिलाती है. हालात कितने ही विपरीत हों और शत्रु कितना ही बलशाली क्यों न हो लेकिन अगर आपका विश्वास है कि आपका पालनहार आपका रक्षक और सहायक है तो फिर उसकी मदद आयेगी और हर जगह आयेगी. हज़रत इब्राहीम अलैहिस-सलाम को भी अल्लाह के नाशुक्रे और मुनकिर बादशाह ने बहुत तेज़ आग जलवा कर उसमें फिकवा दिया था लेकिन अल्लाह ने उन्हें बचा लिया. होली महज़ रंगों का त्यौहार ही नहीं है बल्कि यह इस बात को जानने और जांचने का भी अवसर है कि हम ईश्वर-अल्लाह पर कितना भरोसा रखते हैं?
इस बात का पता इससे चलेगा कि जब हमारे सामने कठिनाईयाँ आती है तब हम उस दयालु डाटा से शिकवा तो नहीं करने लगते या फिर मायूसी का शिकार तो नहीं हो जाते ?
होली की यह मूल भावना मन में न रहे तो हुडदंगी लोग होली को अनुशासन और संयम के बन्धन तोड डालने का दिन बनकर रख देते हैं जोकि धर्म और अध्यात्म दोनों के खिलाफ है. धर्म और नैतिकता जिन लोगों का स्वभाव है, उनके लिये होली पुरानी स्मृति को ताज़ा करती है और उनका नैतिक उत्थान करती है.
3 comments:
सही कहा है आपने..
THIS YEAR WE ARE VERY TENSED ABOUT OUR DISTRICT'S SOCIAL/POLITICAL ATMOSPHERE BECAUSE WE HAVE SEEN COMMUNAL VIOLENCE LAST YEAR .THANKS A LOT GOD -EVERY THING GONE ALL RIGHT ON HOLI .
@शुक्रिया अनिता जी !
@@ शिखा जी! आपका दर्द हमारा अपना भोगा हुआ दर्द है. राजनेता ऐसा करते आये हैं और करते रहेंगे जब तक कि जनता ईश्वर, धर्म और कर्तव्य के वास्तविक रूप को न जान ले और सकारात्मक सोच न अपना ले.
हिन्दी पातकों में अपने अन्य लेखों व इस लेख के माध्यम से हमने यही सोच विकसित की है. सांप्रदायिक तत्व इसी सोच को नष्ट करने के लिये हमारी मुखलिफत करते आये हैं. जिसे आपने देखा ही है.
...लेकिन मालिक का शुक्र है कि आज उनमें से हरेक हमारे सच के सामने पस्त है. भारत की प्रकृति सत्य और शान्ति की प्रकृति है.
जो लोग राम के नाम पर सत्ता हथियाने की जुगत में हैं इन्होंने आज तक रामचंद्र जी के किसी वंशज को प्रधानमंत्री बनाने की बात नहीं की, क्यों ?
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