पानीपत । जामिया दारूल उलूम ट्रस्ट हाली कॉलोनी की में शायर ताहिर सदनपुरी की तरफ़ से टी. वी. कलाकार राजेन्द्र गुप्ता के सम्मान में एक मुशायरे का आयोजन किया गया। इसमें ख़ास तौर पर ये शेर ज़्यादा पसंद किए गए ।
फ़लक के चांद को मुश्किल में डाल रखा है
ये किसने खिड़की से चेहरा निकाल रखा है
शायर - इक़बाल अहमद ‘इक़बाल‘
तूने जब ख़त्म ही कर डाले हैं रिश्ते सारे
फिर ये सावन तेरी आंखों से बरसता क्यूं है
शायर - महबूब अली ‘महबूब‘
सीने से दिल निकाल कर क़दमों पे रख दिया
वो कैसे मेरे प्यार से इन्कार करेंगे
शायर - शकील सीतापुरी
वतन के हुक्मरानो , ग़लतफ़हमी में मत रहना
ये बूढ़ी हड्डियां इस मुल्क का चेहरा बदल देंगी
शायर - पंडित शिवकांत ‘विमल‘
फ़लक के चांद को मुश्किल में डाल रखा है
ये किसने खिड़की से चेहरा निकाल रखा है
शायर - इक़बाल अहमद ‘इक़बाल‘
तूने जब ख़त्म ही कर डाले हैं रिश्ते सारे
फिर ये सावन तेरी आंखों से बरसता क्यूं है
शायर - महबूब अली ‘महबूब‘
सीने से दिल निकाल कर क़दमों पे रख दिया
वो कैसे मेरे प्यार से इन्कार करेंगे
शायर - शकील सीतापुरी
वतन के हुक्मरानो , ग़लतफ़हमी में मत रहना
ये बूढ़ी हड्डियां इस मुल्क का चेहरा बदल देंगी
शायर - पंडित शिवकांत ‘विमल‘
2 comments:
वतन के हुक्मरानो , ग़लतफ़हमी में मत रहना
ये बूढ़ी हड्डियां इस मुल्क का चेहरा बदल देंगी
शायर - पंडित शिवकांत ‘विमल‘
बहुत सुंदर शेर है...आज के हांलात का इसमें जिक्र है.. शुक्रिया !
फ़लक के चांद को मुश्किल में डाल रखा है
ये किसने खिड़की से चेहरा निकाल रखा है
वाह वाह वाह... इकबाल साहब का क्या कहना...
सारे शेर लाजवाब हैं...
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