आपकी जेब भर सकती है ‘हातिम ताई तकनीक‘ Hindi Blogging Guide (30)

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  • Wednesday, August 24, 2011
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  • DR. ANWER JAMAL
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  • ‘सर्च ए विलेन तकनीक‘ का मक़सद यह है कि जो बुरे लोग हिंदी ब्लॉगिंग में नफ़रत फैला रहे हैं या ग़लत उसूलों का प्रचार कर रहे हैं, उनकी पहचान करके उन्हें सत्य मार्ग पर लाने का प्रयास किया जाए और अगर वे लड़ाई झगड़े पर उतारू हों तो उनकी अक्ल ठिकाने लगा दी जाए। इससे अच्छे लोगों को निर्भय होकर अपना काम करने के लिए साज़गार माहौल मिल जाता है। अच्छे मक़सद के लिए काम करना आदमी को अच्छा बनाता है और अच्छाई पर चलना आदमी को बहुत जल्द लोकप्रिय बना देता है। कामयाबी बहुत जल्द ऐसे आदमी के क़दम चूमती है और ये लोग अपनी सेवा और अपने कारनामों की बदौलत बहुत बाद तक याद किए जाते हैं।
    इस तकनीक को समझने के लिए दो हिस्सों में तक़सीम किया जा सकता है।
    1. हातिम ताई तकनीक
    2. अवतार तकनीक

    डिज़ायनर ब्लॉगिंग में जो दो तकनीकें प्रचलित हैं, उन्हें समझने के लिए ये दो नाम बहुत मुनासिब हैं।
    हातिम ताई अरब का एक मिथकीय पात्र है और अवतार एक भारतीय मिथक है।
    अरब और हिन्द के अंतर के बावजूद दोनों के अंदर बहुत सी समानताएं हैं, जैसे कि दोनों ही जीवन भर लोगों को समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिए बुरे लोगों से संघर्ष करते रहे।
    इस समानता के बावजूद ज़रा सा अंतर भी है और वह यह कि हातिम ताई को ‘सख़ी‘ अर्थात दानी के नाम से भी जाना जाता है। वह एक ऐसा पात्र है जो कि लोगों का दोस्त और हमदर्द है और वह लोगों की हर तरह से मदद करता है। जिन्हें रूपये पैसे की ज़रूरत होती है तो उन्हें रूपये देता है और जिन्हें हमदर्दी के बोल की ज़रूरत हो तो उनके साथ हमदर्दी की बातें करता है और जिनके लिए भागदौड़ करने की ज़रूरत हो तो उनके लिए भागदौड़ भी करता है, चाहे उसमें उसका कितना ही समय लगे या फिर उसका जीवन ही क्यों न चला जाए ।

    जो ब्लॉगर इस रीति से व्यवहार करता है, वह जाने अनजाने सख़ी हातिम ताई तकनीक का इस्तेमाल कर रहा होता है। लोगों के मन में एक मददगार और एक मसीहा की जो छवि अंकित है, वह उसमें पूरी होते देखकर लोग अनायास ही उसे अपनी श्रृद्धा का केन्द्र बना लेते हैं।
    जो ब्लॉगर वास्तव में ही ऐसा होता है, वह उनकी श्रृद्धा का हक़दार होता भी है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं कि वे ख़ुद को ज़ाहिर तो करते हैं सख़ी हातिम ताई जैसा ही और मुसीबत के मारे हिंदी ब्लॉगर की दो चार हज़ार रूपये से मदद भी करते हैं लेकिन फिर बहुत ही जल्द वे उसकी इज़्ज़त को सरेआम नीलाम भी कर देते हैं। ये लोग वास्तव में केवल हातिम ताई तकनीक को अपनी छवि निर्माण के लिए इस्तेमाल कर रहे होते हैं जबकि इनके जज़्बात बौर्ज़ुआ होते हैं। भेड़ की खाल में छिपा हुआ भेड़िया ऐसे ही लोगों को कहा जाता है।
    अपने अमल से ये जल्द ही पहचान लिए जाते हैं लेकिन अपनी बेहतरीन प्रेज़ेन्टेशन के चलते इनका बहिष्कार करना या इन्हें किनारे कर देना मुमकिन नहीं होता।
    हातिम ताई तकनीक की यह सबसे बड़ी सफलता है कि इसे इस्तेमाल करने वाला खलनायक भी नायक जैसा ही सम्मान पाता है और मसीहा समझा जाता है।
    एक नया ब्लॉगर भी इसे आसानी से आज़मा सकता है।
    जो इस तकनीक पर चलना चाहे तो उसे ख़ुद को लोगों के मददगार और मसीहा के रूप में पेश करना होगा। अगर आपके पास ठीक ठाक दौलत है तो आप हिंदी ब्लॉगर की रूपयों पैसों से मदद करने की बात भी अपनी पोस्ट और अपनी टिप्पणियों में कह सकते हैं। यह बात आपको बार बार दोहरानी चाहिए। यह बात इतनी ज़्यादा बार दोहरानी चाहिए कि आप नाम याद आते ही रूपये का ध्यान बेइख्तियार ही आ जाए।
    ग़रीबों की मदद करने के लिए आप कोई ट्रस्ट भी बना लें वर्ना बेहतर तो यह है कि अपना ब्लॉग बनाने से पहले एक ट्रस्ट ज़रूर बना लें। जो लोग नाजायज़ तरीक़ों से कमा रहे हैं और अपने नाजायज़ रास्तों में ही ख़र्च कर रहे हैं, उनकी आत्मा पर बहुत बोझ हो जाता है। ऐसे में जब वे कुछ दान करते हैं तो उन्हें अपनी आत्मा पर से कुछ बोझ कम होता हुआ लगता है। अपनी आत्मा की शांति के लिए वे बार बार दान करते रहते हैं। दान करने से एक तरफ़ तो उन्हें शांति मिलती है और दूसरी तरफ़ उनकी शान भी टपकती रहती है। ऐसे लोगों का माल लूटने के लिए तो बहुत से लोग गुरू होने का ढोंग भी रचाए फिर रहे हैं लेकिन फिर भी ऐसे गुरू सभी तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे लोग आपके ट्रस्ट को चंदा भी देंगे।
    अमीर लोगों की दिनचर्या बहुत बिज़ी होती है और ग़रीब का भी सारा दिन रोटी के जुगाड़ में ही निकल जाता है। दोनों ही बिज़ी हैं। अमीर के पास तो फिर भी संडे सैटरडे को या सुबह शाम को घूमने फिरने या क्लब में जाने का समय मिल जाता है लेकिन ग़रीब आदमी के पास तो इतना समय भी नहीं होता। ऐसे में ग़रीब आदमी किसी से मदद मांगने के लिए जाए भी तो किस दिन और किस समय ?
    आपका ट्रस्ट ग़रीबों की यही समस्या हल करेगा।
    इसके लिए आप भी नियमित रूप से क्लब जाना शुरू कर दीजिए। आपको वहां कुछ काम न हो तो अपनी बेटी को ही उस क्लब का मेंबर बना दीजिए और आप उसके साथ जाने लगिए या फिर ख़ुद मेंबर बन जाइये और उसे साथ ले जाने लगिए। उसे रस्सी कूद कर पेट घटाने पर और लटक लटक कर क़द बढ़ाने पर लगा दीजिए और आप ख़ुद टेनिस खेलिए या फिर तीरंदाज़ी कीजिए। इससे आप बिल्कुल एक अमीर आदमी के माफ़िक लगेगा और अपने जैसे के पास ही आदमी उठता बैठता है।
    बस अमीर आदमी आपके पास आने जाने लगेंगे। बातचीत में आप बस यूं ही अपने ट्रस्ट का ज़िक्र कर दीजिएगा। दान देने के लिए उसकी आत्मा जब भी फड़फड़ाएगी , वह आपको ज़रूर याद करेगा। ट्रस्ट के वार्षिक समारोह में उसे चीफ़ गेस्ट बनाएंगे तो वह आपको दान हंड्रेड परसेंट देगा।
    ग़र्ज़ यह कि इस तकनीक से आप किसी को देंगे बाद में और आपको मिलेगा पहले और वह भी दें तो दें और न दें तो न दें।
    एक रब के सिवा के और कौन देख रहा है ?
    लड़की के रिश्ते की समस्या भी यही तकनीक दूर करेगी। लोग अच्छा ससुर उसे मानते हैं जो ज़्यादा दे और आप तो बैठे ही देने के लिए हैं। लड़की का रंग और क़द हल्का हो तो भी चल जाता है लेकिन बाप की जेब हल्की हो तो नहीं चलेगी।
    इसलिए आज हरेक आदमी पर लाज़िम है कि वह अमीरी के दो चार उपकरण का जुगाड़ ज़रूर कर ले और एक लग्ज़री कार और एक कुत्ता इनमें सबसे ज़रूरी उपकरण हैं। ब्लड हाउंड, अलसेशियन और बुलडॉग कुत्तों का लुक ‘हातिम ताई तकनीक‘ के पात्र से मैच नहीं करता। सफ़ेद पॉमेरियन इस पात्र की सौम्यता से पूरी तरह मैच करता है।
    बहरहाल जब इतनी तैयारी के साथ मय कार के जब आप ब्लॉगिंग शुरू करेंगे तो आप अमीर ग़रीब सभी ब्लॉगर्स को धड़ाधड़ फ़ोलो करते चले जाइये। बदले में वे भी आपको फ़ोलो करेंगे। मुल्क के भुक्खों से लेकर जर्मनी और कनाडा के छके हुए तक, सभी आप से जुड़ते चले जाएंगे।
    अब आपका काम यह है कि कोई ग़रीब, तंगदस्त और हालात का मारा अगर अपने ब्लॉग पर बैठा हुआ रोज़गार मांग रहा हो तो उसकी मदद की अपील अपने ब्लॉग से आप भी कीजिए। आपकी अपील से एक तरफ़ तो ग़रीब निहाल हो जाएगा और दूसरी तरफ़ विदेशी धन्ना सेठों को आपके रूप में एक उचित और विश्वसनीय माध्यम मिल जाएगा। यहां भी आमद का सिलसिला शुरू हो जाएगा। अब अगर आप वाक़ई मदद करते हैं तो आप सचमुच हातिम ताई के पदचिन्हों पर हैं।
    आपकी कार भी बहुत से हैसियतदार ब्लॉगर्स को आप से जोड़ देगी। मिसाल के तौर पर कोई आदमी कैनेडा से या लखनऊ से या जयपुर से आ रहा है और आप दिल्ली में रहते हैं तो वह ब्लॉगर अपनी कार तो साथ लाएगा नहीं। ऐसे में अगर आप उसे अपनी कार के ज़रिये थोड़ी सी भी सुविधा उपलब्ध करा देते हैं तो वह सदा के लिए आपका हो जाएगा क्योंकि ऐसा करने में ही उसका फ़ायदा है और इसी में आपका फ़ायदा भी है।
    इसी कार पर सवार होकर आप अपने आस पास बसे हुए हिंदी ब्लॉगर्स से मिलिए। कभी उनके पास जाइये और कभी उन्हें अपने पास बुलाइये। यही मिलना मिलाना और आना जाना आपके संबंधों को मज़बूत करता है। इसका ध्यान विशेष रूप से रखना चाहिए।
    जिन लोगों के पास कार और कुत्ता नहीं है या वे दिल्ली में नहीं रहते हैं या कोई हिंदी ब्लॉगर उनके आस पास नहीं रहता है। वे भी इस तकनीक को इस्तेमाल कर सकते हैं बल्कि उनके लिए यह तकनीक इस्तेमाल करना और भी आसान है। अब उन्हें तो कार और कुत्ते का फ़ोटो मात्र ही अपने ब्लॉग पर डालना है। उसका वेरिफ़िकेशन करने कौन आ रहा है ?
    ...लेकिन जो सत्यव्रतधारी हों और झूठ की परछाई तक से बचना चाहते हों तो वे उनक फ़ोटो न भी डालें तो भी चलेगा।
    ऐसे में उन्हें नेट और ब्लॉगिंग की तकनीक का माहिर होना चाहिए। वे अपना ब्लॉग बनाएं और लोगों की तकनीकी मदद करें। थोड़ी मदद तो मुफ़्त में कर दें और ज़्यादा मदद मांगे तो उससे फ़ीस भी ले सकते हैं। जैसे प्यार की शुरूआत मामूली हंसने मुस्कुराने से होती है, ऐसे ही मामूली और मुफ़्त की मदद हिंदी ब्लॉगर्स को आपका एक दिन आपका ग्राहक बनाकर ही छोड़ेगी और इसमें कोई बुराई भी नहीं है।
    जो लोग समझते हैं कि हिंदी ब्लॉगिंग में आमदनी नहीं है तो वे ग़लत समझते हैं। लोग कमा रहे हैं लेकिन उनकी कमाई जगज़ाहिर नहीं हो रही है और नाम तो बहरहाल सब कमा ही रहे हैं और इसी को वे ‘स्वान्त सुखाय‘ बता रहे हैं।
    पुराने ब्लॉगर तो इस तकनीक के फ़नकार हैं ही, नए ब्लॉगर भी इससे काम ले सकते हैं, बस आदमी कलाकार होना चाहिए। अगर आदमी कलाकार नहीं है तो फिर वह इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं कर सकता। इसी तकनीक का क्या वह डिज़ायनर ब्लॉगिंग की किसी भी तकनीक का इस्तेमाल नहीं कर सकता। 

    जादुई ताक़त के मालिकों से भी हातिम ताई को टकराना पड़ता है लेकिन हातिम ताई सीधे जादूगर या जिन्न पर अटैक करने के बजाय उस तोते की गर्दन मरोड़ता है, जिसमें उस जादूगर या उस जिन्न के प्राण सुरक्षित होते हैं।
    हिंदी ब्लॉगिंग की दुनिया में भी ऐसे तोते पाए जाते हैं जिन्हें ‘हातिम ताई तकनीक‘ बरतने वाला पहचानता है और अलग अलग सबसे लड़ने के बजाय बस एक तोते की गर्दन मरोड़ देता है।

    अगर आप हातिम ताई तकनीक इस्तेमाल करने का इरादा कर चुके हैं तो आपके लिए लाज़िम है कि आप पहले ‘सर्च ए विलेन‘ पर अमल करें और फिर उस तोते की तलाश करें जिसमें उस विलेन जादूगर के प्राण छिपाकर रखे गए हों।

    हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

    ...अगली क़िस्त में आप पढ़ेंगे ‘अवतार तकनीक‘
    तब तक कुछ और ख़ास तकनीकों की जानकारी आपको मिलेगी निम्न शीर्षक के अंतर्गत

    8 comments:

    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

    बहुत अच्छी रही यह पोस्ट।

    SACCHAI said...

    shandaar post ..bahut kuch kahe gayi jo hit me hai


    waqt mile to yahan bhi aaiyega jaroor

    " व्यंग - झंडू बाम , सरकार और च्विंगम "
    http://eksacchai.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html

    Rachana said...

    aap itni sari jankari kaha se late hain?baat koi bhi ho likhne ka aapka andaj bahut khub hota hai
    saader
    rachana

    Bharat Bhushan said...

    'ख़तरनाक' पोस्ट है :))

    Saleem Khan said...

    बहुत अच्छी रही यह पोस्ट।

    kanu..... said...

    aapne to behtareen tarike bata die hame.bahut acchi post

    दिलबागसिंह विर्क said...

    shaandar

    POOJA... said...

    research chal rahi hai...
    awesome post...
    thank you so much...

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