मुस्कुरा कर कहा उसने एक बार जो,
सुनते ही दिल मेरा बाग-बाग हो गया.
कोई और चाह न रही मन में,
एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया.
भूली कितना गम सहा मेरे मन ने,
शब्द सुनते ही यहाँ दिल रम गया.
कोई और चाह न रही मन में,
एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया.
हमने चाहा उनसे मिलकर कुछ कहें,
पास उनके जिंदगी भर हम रहें.
सोचते ही सोचते दिल थम गया,
एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया.
साभार गूगल
शालिनी कौशिक
1 comments:
ख़ुदा ख़ैर करे, ऐसा क्या सुन लिया है आपने ?
रचना अच्छी है।
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