काशी की चेतना का सच और भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा बनने लिए बाध्य 'पत्रकार जगत का चित्रण'

Posted on
  • Sunday, August 28, 2011
  • by
  • DR. ANWER JAMAL
  • in
  • Labels:
  • काशी की चेतना का सच मार्क ट्वेन के शब्दों में बनारस इतिहास से भी पुराना है। आदिशहर वाराणसी से जुड़े सच और मिथक इतने हैं कि वह अब किंवदंतियों का हिस्सा बन चुके हैं। प्रस्तुत पुस्तक में बनारस के इन्हीं मिथकों और जीवित प्रतिमानों को केंद्र बना कर रची गई कविताएं समूचे शहर को एक जीवित पिंड के रूप में दर्शाती हैं। वह शहर जो केवल लोगों और इमारतों से ही नहीं, बल्कि अपने इतिहास और गंगा का ऋणी है। वह एक जीवित शहर है, मृत नहीं और उसकी जीवंतता उसके प्रतिदिन के संघर्ष और अपनी प्राचीन परंपरा को जिंदा रखने में नजर आती है। कविताओं में बनारस का संघर्षमय रूप दिखता है, जिससे उसकी आध्यात्मिक चेतना ने बनाए रखा है। यह मेरा सच है, कवि: अजय मिश्र, प्रकाशक: पिल्ग्रिम पब्लिशिंग, वाराणसी, मूल्य: 100 रुपए।

    गीतासार नए रूप में
    गीतोपदेश की सार रूपी यह पुस्तक उन लोगों के लिए आदर्श है, जिन्हें भगवद् गीता के मूल संदेश को जानना-समझना है। दो सौ काव्य-मनकों में गीता के मूल को पिरोया गया है और यह पढ़ने में बेहद रोचक हैं। जैसा कि नाम से जाहिर है पुस्तक मूलत: बाल पाठकों को केंद्र में रखकर लिखी गई है, परंतु आयुवर्ग की सीमाओं से इतर, सब लोग इसका आनंद उठा सकते हैं। गीता रहस्य को नई छंदबद्ध पंक्तियों में पिरो कर उसके शाश्वत तत्व को बनाए रखने के जटिल कार्य को कवि ने बखूबी अंजाम दिया है। भारतीय दर्शन के विभिन्न स्तंभों के बारे में युवा पाठकों के लिए इस तरह की शुरुआत के तहत व्यापक प्राचीन साहित्य संजोया जा सकता है। बाल गीता, कवि: राजीव कृष्ण सक्सेना, प्रकाशक : पफ़िन बुक्स, नई दिल्ली-17, मूल्य: 110 रुपए।

    पत्रकार जगत का चित्रण 
    ‘हारमोनियम के हजार टुकड़े’ दयानंद पांडेय का दूसरा उपन्यास है, जिसका आकार तो लघु है, पर इसमें वर्णित मीडिया जगत का सच हमें हतप्रभ करने वाला है। इसमें चौहान चपरासी जब कहता है कि ‘पत्रकार माने दलाल’ तो सबसे बड़ा प्रश्न यह खड़ा होता है कि प्रजातंत्र का सशक्त स्तंभ जब ऐसा है तो शेष स्तंभों की सच्चाई कैसे सामने आएगी? इस उपन्यास में हारमोनियम मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं का प्रतीक है, जिसके हर दिन हजारों टुकड़े होते हैं। ईमानदारी और नैतिक जिम्मेदारी के लिए प्रतिबद्ध पत्रकार भी विवश होकर भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा बनने लिए कैसे बाध्य होता है, उपन्यास में इस सच का सशक्त चित्रण है। हारमोनियम के हजार टुकड़े, लेखक: दयानंद पांडेय, प्रकाशक: जनवाणी प्रकाशन, मूल्य: 150 रुप डॉ. रीता सिन्हा
    Source : http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/tayaarinews/article1-story-67-67-187477.html

    1 comments:

    Shalini kaushik said...

    nice books nice post.thanks

    Read Qur'an in Hindi

    Read Qur'an in Hindi
    Translation

    Followers

    Wievers

    join india

    गर्मियों की छुट्टियां

    अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

    Check Page Rank of your blog

    This page rank checking tool is powered by Page Rank Checker service

    Promote Your Blog

    Hindu Rituals and Practices

    Technical Help

    • - कहीं भी अपनी भाषा में टंकण (Typing) करें - Google Input Toolsप्रयोगकर्ता को मात्र अंग्रेजी वर्णों में लिखना है जिसप्रकार से वह शब्द बोला जाता है और गूगल इन...
      11 years ago

    हिन्दी लिखने के लिए

    Transliteration by Microsoft

    Host

    Host
    Prerna Argal, Host : Bloggers' Meet Weekly, प्रत्येक सोमवार
    Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

    Popular Posts Weekly

    Popular Posts

    हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide

    हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide
    नए ब्लॉगर मैदान में आएंगे तो हिंदी ब्लॉगिंग को एक नई ऊर्जा मिलेगी।
    Powered by Blogger.
     
    Copyright (c) 2010 प्यारी माँ. All rights reserved.