रविवार छुट्टी का दिन है, आप सभी को जरूरी काम निपटाने हैं। इसलिए मैने तय किया है कि आज मैं आप सब को कुछ गंभीर विषय पर चर्चा कर ज्यादा बोझिल नहीं करुंगा। हां दिल्ली के तिहाड़ जेल की एक छोटी सी बात जरूर आप सभी के साथ शेयर करना चाहता हूं।
मुझे लगता है कि आप सब को ये बात पता होगी कि नेताओं और मंत्रियों को लगभग सभी जगह प्राथमिकता मिलती है। दिल्ली के सरकारी अस्पताल एम्स में प्रधानमंत्री के लिए हमेशा एक ब्लाक रिजर्व रहता है, जिससे उन्हें आपात स्थिति में कभी भी आना पडे़ तो दिक्कत ना हो। इसी तरह केंद्रीय मंत्री या फिर कोई भी सांसद हो उसे भी यहां प्राथमिकता दी जाती है। इन लोगों को आम आदमी की तरह अपनी बारी का इंतजार नहीं करना होता है।
ट्रेन में सफर के दौरान भी इन्हें प्राथमिकता दी जाती है। ये किसी भी ट्रेन से कभी भी सफर कर सकते हैं। इनका कोटा तय है। नेताओं, मंत्रियों को इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं होती है कि उनकी बर्थ कन्फर्म होगी या नहीं। वो कन्फर्म होनी ही है। इसी तरह हवाई जहाज में भी इनकी सीट सुरक्षित है।
आजकल तिहाड जेल प्रशासन मुश्किल में है। यहां जिस तरह वीआईपी का आना लगातार बना हुआ है, उससे जेल अधिकारियों की परेशानी स्वाभाविक है। लिखा पढी में भले ही ये कहा जाए कि टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपी ए राजा और डीएमके प्रमुख करुणानिधि के बेटी कनिमोझी सामान्य कैदी की तरह यहां हैं। लेकिन जेल के भीतर कौन देख रहा है। इनकी पार्टी के समर्थन से केंद्र की सरकार चल रही है, उसके नेता को आप आम कैदी की तरह थोडे रख सकते हैं। कामनवेल्थ घोटाले के आरोपी सुरेश कलमाडी तो जेलर के साथ उन्हीं के आफिस में चाय पीते पकडे जा चुके हैं। ऐसे में उन्हें भी वीआईपी व्यवस्था मिली ही होगी। इसके अलावा भी बाहुबलि और दबंग किस्म के कई लोग यहां बंद हैं। टूजी स्पेक्ट्रम मामले में कई नामी गिरामी कंपनियों के सीईओ भी इसी तिहाड जेल में बंद हैं।
पिछले दिनों जब नोट फार वोट कांड में राज्यसभा सदस्य अमर सिंह जेल गए तो उन्होंने सबसे पहले जेल में अलग से बाथरूम की मांग की। उनका कहना था कि वो अस्वस्थ हैं और किसी दूसरे के साथ बाथरूम शेयर नहीं कर सकते। बडी मुश्किल से उनकी मांग को पूरा करते हुए उन्हें वीआईपी व्यवस्था उपलब्ध कराई जा सकी।
अब टू जी की आंच ना सिर्फ पी चिदंबरम तक पहुंच रही है, बल्कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इसके घेरे में आ चुके हैं। सुब्रह्मयम स्वामी ने जो दो तीन पत्र सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए हैं, उससे साफ है कि इस गोरखधंधे में चिदंबरम और मनमोहन सिंह भी बेदाग नहीं हैं। हां इन पर ये आरोप भले साबित ना हो सके कि उन्होंने फायदा उठाया है, पर इतना साफ है कि जो कुछ भी ए राजा ने किया, अगर प्रधानमंत्री और उस समय वित्त मंत्री रहे चिदंबरम चाहते तो इसे रोका जा सकता था। खैर ताजा हालात ये हैं कि विपक्ष चिदंबरम को जेल भेजने की मांग कर रहा है। जैसे हालात बन रहे हैं और कोर्ट जितना सख्त नजर आ रहा है, उससे हो सकता है कि चिदंबरम को भी तिहाड का रुख करना पडे।
जेल प्रशासन की मुश्किल ये है कि वो इतने ढेर सारे लोगों को एक साथ वीआईपी सुविधा नहीं दे सकता। चूंकि सरकार के सब मंत्री हैं और जेल आने से पहले भले ही इन्हें इस्तीफा देना पडा हो, पर बाहर जाकर ये फिर मंत्री नहीं बनेगें, इस बात की क्या गारंटी है। ऐसे में जेल के अधिकारियों को मरना थोडे ही है, जो इनसे पंगा लेगें।
जानकार बता रहे हैं कि तिहाड जेल के भीतर तैयारी शुरू हो गई है। कुछ कमरों की साफ सफाई की जा रही है। हालाकि कोई इसे कन्फर्म नहीं कर रहा है, लेकिन अफसर इस बात पर भी सोच रहे हैं कि इतने ब़डे बडे लोग आएंगे, सभी अटैच बाथरूम की मांग करेंगे। ऐसे में क्यों ना पहले ही कुछ कमरों में अटैच बाथरूम की व्यवस्था कर ली जाए।
वैसे मेरा भी तिहाड जेल प्रशासन को सुझाव है कि जेल मे जो भी कमियां है, सब को दुरुस्त करने के लिए फाइल सरकार के पास भेज दें। पहले भले ही उन्हें ये काम कराने के लिए दिल्ली सरकार या केंद्र सरकार पैसा देने में आना कानी कर रही हो, लेकिन अब वो सभी सुविधाओं को यहां पूरा कराने में बिल्कुल देर नहीं करेंगे। वजह भी साफ है, क्योंकि कौन सा मंत्री कब जेल जाए, कह नहीं सकते। बहरहाल सरकार भले ही मंत्रियों को पाक साफ बताने की कोशिश कर रही हो, लेकिन जेल प्रशासन रिस्क लेने को तैयार नहीं है, उसने तैयारी शुरू कर दी है।
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