निष्पक्ष हो कर तथ्यों पर विचार करें तो सत्य को पा सकते हैं
ब्लॉगर्स मीट वीकली (9) में हिंदी ब्लॉगर्स का आना अच्छा रहा .
जो लोग किसी शास्त्र में विश्वास रखते हैं और फिर उसके विरुद्ध चलते हैं वे अपनी आत्मा का हनन करते हैं . ऐसे लोग कभी अच्छे लोग नहीं कहलाये जा सकते ., शास्त्रों को आदर देना ही पर्याप्त नहीं है , उनके अनुसार आचरण करना भी ज़रूरी है ., यही वह बात है जिसकी अनदेखी आज सबसे ज्यादा की जा रही है ., विश्व साहित्य में गीता एक अलग और विशिष्ट स्थान रखती है.
इसके आधार पर भी जाना जा सकता है कि जो लोग मार्गदर्शन देने के लिए गला काट प्रतिस्पर्धा में जुटे हुए हैं , उनकी प्रवृत्ति और स्वभाव क्या है ?,
क्या गीता ऐसे लोगों का अनुसरण करने की अनुमति देती है ?
अनुमति न होने के बावजूद उनका अनुसरण करना ही बर्बादी का कारण है . बर्बादी के रास्ते पे चलना और कल्याण की प्रार्थना करना मूर्खता के सिवाय और क्या है ?,
हमारी मान्यता, हमारे कर्म और हमारी प्रार्थना में समन्वय होना अनिवार्य है , तभी हमारा कल्याण होगा और ऐसा सामूहिक रूप से होना ज़रूरी है . लोग निष्पक्ष हो कर तथ्यों पर विचार करें तो वे सत्य को पा सकते हैं.
सत्य के सूत्र और संकेत हरेक शास्त्र में मौजूद है.
इसके आधार पर भी जाना जा सकता है कि जो लोग मार्गदर्शन देने के लिए गला काट प्रतिस्पर्धा में जुटे हुए हैं , उनकी प्रवृत्ति और स्वभाव क्या है ?,
क्या गीता ऐसे लोगों का अनुसरण करने की अनुमति देती है ?
अनुमति न होने के बावजूद उनका अनुसरण करना ही बर्बादी का कारण है . बर्बादी के रास्ते पे चलना और कल्याण की प्रार्थना करना मूर्खता के सिवाय और क्या है ?,
हमारी मान्यता, हमारे कर्म और हमारी प्रार्थना में समन्वय होना अनिवार्य है , तभी हमारा कल्याण होगा और ऐसा सामूहिक रूप से होना ज़रूरी है . लोग निष्पक्ष हो कर तथ्यों पर विचार करें तो वे सत्य को पा सकते हैं.
सत्य के सूत्र और संकेत हरेक शास्त्र में मौजूद है.
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