दुनिया में लोग आम तौर पर अपनी और अपने परिवार की चिंता में ही जी रहे हैं लेकिन इन्हीं लोगों के बीच ऐसे लोग भी हैं जो दूसरों की भलाई की ख़ातिर जी रहे हैं। ऐसे लोग आपको हरेक गांव और हरेक बस्ती में ज रूर मिल जाएंगे।
ऐसे लोगों ने इंसानियत की भलाई की खातिर अपनी जान ख तरे में डाली और इंसानियत को कुछ दिया।
होम्योपैथी के वुजूद में आने के पीछे भी ऐसे ही लोगों की मेहनत है।
यह पद्धति सस्ती और प्रभावी है। भारत जैसे देश में जहां बहुत से लोग २० रूपये प्रतिदिन भी मुश्किल से कमा पाते हैं, वहां ऐसी चिकित्सा पद्धति की बहुत ज रूरत है।
कुछ लोग होम्योपैथी की दवाओं पर विश्वास नहीं करते। टीन एज में हम भी नहीं करते थे लेकिन कुछ बीमारियों को इन दवाओं से जब हैरतअंगेज तरीके से ठीक होते देखा तो फिर शक जाता रहा।
भारत में सैक्स रोगों में आम तौर पर वैद्य हकीम पर ज्यादा भरोसा किया जाता है लेकिन इस तरह के रोगों में भी होम्योपैथी को कारगर पाया गया।
होम्योपैथी जिन सिद्धांतों पर काम करती है। वे सिद्धांत डा. हैनीमैन से पहले भी पाए जाते थे लेकिन उन्होंने इन सिद्धांतों से जितना व्यापक काम लिया है, उतना काम इन सिद्धांतों से उनसे पहले नहीं लिया गया था।
ऐसे लोगों ने इंसानियत की भलाई की खातिर अपनी जान ख तरे में डाली और इंसानियत को कुछ दिया।
होम्योपैथी के वुजूद में आने के पीछे भी ऐसे ही लोगों की मेहनत है।
यह पद्धति सस्ती और प्रभावी है। भारत जैसे देश में जहां बहुत से लोग २० रूपये प्रतिदिन भी मुश्किल से कमा पाते हैं, वहां ऐसी चिकित्सा पद्धति की बहुत ज रूरत है।
कुछ लोग होम्योपैथी की दवाओं पर विश्वास नहीं करते। टीन एज में हम भी नहीं करते थे लेकिन कुछ बीमारियों को इन दवाओं से जब हैरतअंगेज तरीके से ठीक होते देखा तो फिर शक जाता रहा।
भारत में सैक्स रोगों में आम तौर पर वैद्य हकीम पर ज्यादा भरोसा किया जाता है लेकिन इस तरह के रोगों में भी होम्योपैथी को कारगर पाया गया।
होम्योपैथी जिन सिद्धांतों पर काम करती है। वे सिद्धांत डा. हैनीमैन से पहले भी पाए जाते थे लेकिन उन्होंने इन सिद्धांतों से जितना व्यापक काम लिया है, उतना काम इन सिद्धांतों से उनसे पहले नहीं लिया गया था।
आज भारत में होम्योपैथिक दवाओं की खपत पहले के मुक़ाबले कई गुना ज्यादा है तो यह केवल इसलिए है कि लोगों ने इसे बरता और इसे असरकारी पाया है।
सरकारी अस्पतालों में भी होम्योपैथी से इलाज करने वाले चिकित्सकों की व्यवस्था होती है। यह भी होम्योपैथी के सिद्धांतों की विजय ही है।
ज्यादा तफ़्सील जानने के लिए देखें
Creation of homeopathy
दुनिया में लोग आम तौर पर अपनी और अपने परिवार की चिंता में ही जी रहे हैं लेकिन इन्हीं लोगों के बीच ऐसे लोग भी हैं जो दूसरों की भलाई की ख़ातिर जी रहे हैं। ऐसे लोग आपको हरेक गांव और हरेक बस्ती में ज रूर मिल जाएंगे।
ऐसे लोगों ने इंसानियत की भलाई की ख ातिर अपनी जान ख तरे में डाली और इंसानियत को कुछ दिया।
होम्योपैथी के वुजूद में आने के पीछे भी ऐसे ही लोगों की मेहनत है।
यह पद्धति सस्ती और प्रभावी है। भारत जैसे देश में जहां बहुत से लोग २० रूपये प्रतिदिन भी मुश्किल से कमा पाते हैं, वहां ऐसी चिकित्सा पद्धति की बहुत ज रूरत है।
कुछ लोग होम्योपैथी की दवाओं पर विश्वास नहीं करते। टीन एज में हम भी नहीं करते थे लेकिन कुछ बीमारियों को इन दवाओं से जब हैरतअंगेज तरीके से ठीक होते देखा तो फिर शक जाता रहा।
भारत में सैक्स रोगों में आम तौर पर वैद्य हकीम पर ज् यादा भरोसा किया जाता है लेकिन इस तरह के रोगों में भी होम्योपैथी को कारगर पाया गया।
होम्योपैथी जिन सिद्धांतों पर काम करती है। वे सिद्धांत डा. हैनीमैन से पहले भी पाए जाते थे लेकिन उन्होंने इन सिद्धांतों से जितना व्यापक काम लिया है, उतना काम इन सिद्धांतों से उनसे पहले नहीं लिया गया था।. . .
ऐसे लोगों ने इंसानियत की भलाई की ख ातिर अपनी जान ख तरे में डाली और इंसानियत को कुछ दिया।
होम्योपैथी के वुजूद में आने के पीछे भी ऐसे ही लोगों की मेहनत है।
यह पद्धति सस्ती और प्रभावी है। भारत जैसे देश में जहां बहुत से लोग २० रूपये प्रतिदिन भी मुश्किल से कमा पाते हैं, वहां ऐसी चिकित्सा पद्धति की बहुत ज रूरत है।
कुछ लोग होम्योपैथी की दवाओं पर विश्वास नहीं करते। टीन एज में हम भी नहीं करते थे लेकिन कुछ बीमारियों को इन दवाओं से जब हैरतअंगेज तरीके से ठीक होते देखा तो फिर शक जाता रहा।
भारत में सैक्स रोगों में आम तौर पर वैद्य हकीम पर ज् यादा भरोसा किया जाता है लेकिन इस तरह के रोगों में भी होम्योपैथी को कारगर पाया गया।
होम्योपैथी जिन सिद्धांतों पर काम करती है। वे सिद्धांत डा. हैनीमैन से पहले भी पाए जाते थे लेकिन उन्होंने इन सिद्धांतों से जितना व्यापक काम लिया है, उतना काम इन सिद्धांतों से उनसे पहले नहीं लिया गया था।. . .
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