ग़ज़लगंगा.dg: लोकतंत्र का मर्सिया

Posted on
  • Sunday, August 5, 2012
  • by
  • devendra gautam
  • in
  • तुमने कहा-
    अब एक घाट पर पानी पीयेंगे
    बकरी और बघेरे

    इसी भ्रम में हलाल होती रहीं बकरियां
    तृप्त होते रहे बघेरे.

    हमारे हिस्से में आया
    काली दुनिया के सफेदपोशों की तर्जनी पर
    कठपुतली की तरह नाचता तंत्र
    कालिया नाग के फुफकार का मंत्र
    और.....
    पर्दानशीं तानाशाहों का रिमोट संचालित यंत्र
    कार्पोरेट घरानों के कंप्यूटरों का डाटा
    अंकेक्षकों की वार्षिक रिपोर्ट की प्रतिच्छाया
    धन्ना सेठों का बही-खाता
    जिसमें मात्र
    आय-व्यय
    लाभ-हानि के फर्जी आंकड़े
    जिसमें हमारी रत्ती भर भागीदारी नहीं
    हमारे लिये तो....
    हाशिये में भी जगह खाली नहीं

    और तुम्हारे हिस्से में.....?
    मनचाही रोटियां सेंकने की
    अंगीठी
    शाही खजाने की चाबी
    कई श्रेणियों का सुरक्षा घेरा
    और ...
    एक जादुई मुखौटा
    जिसे जब चाहो लगा लो
    जब चाहे हटा लो

    पता नहीं यह
    बाजार की आवारा पूंजी है
    या आवारा पूंजी का बाजार
    जो...हमारी श्वास नली में
    घुयें के छल्ले की तरह रक्स करता
    फेफड़ों में
    बलगम की तरह जमता
    हमारी जरूरियात के रास्ते में
    रोडे की तरह बिछता जा रहा है

    झूठ और पाखंड की यह
    पैंसठ साला इमारत
    दीमक का ग्रास बन चुकी है
    इसके तमाम पाए खोखले हो चुके हैं
    कभी भी धराशायी हो सकती है
    ताश के पत्तों की तरह

    अपने सर पर हाथ रखकर बोलो
    क्या यह वही तंत्र है
    जिसकी बुनियाद
    वैशाली,मगध,तक्षशिला और पाटलीपुत्र में पड़ी थी
    जिसकी कामना
    रूसो, दिदरो और मांटेस्न्यू ने की थी
    जिसका सपना
    आजादी के दीवानों ने देखा था.

    यह तंत्र तो
    कबूतर की उड़ानों पर बंदिशें लगाता
    और बाज के पंजे थपथपाता है
    गौरैया का निवाला छीन
    चील-कौओं की चोंच सहलाता है
    कोयल की कूक पर झुंझलाता
     और शेर की दहाड़ पर थिरकता है

    यह हमारे हिस्से का नहीं
    तुम्हारे हिस्से का जनतंत्र है

    हमें अपने हिस्से का जनतंत्र चाहिए
    और हम इसके लिये कोई अर्जी
    कोई मांगपत्र नहीं सौंपेंगे
    अपने दम पर हासिल करेंगे
    चाहे इसके लिये
    जो भी कीमत अदा करनी पड़े.

    ----देवेंद्र गौतम
    ग़ज़लगंगा.dg: लोकतंत्र का मर्सिया:

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    1 comments:

    DR. ANWER JAMAL said...

    Nice .

    जनता अपने कर्मों के कारण ठेक भुगत रही है. सही और नेक आदमी को यह नेता कब चुनती है ?

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