शराब ने हमारे राष्ट्र को आज शर्मिंदा कर दिया
टी. वी. चैनल पर आज सरबजीत के ब्रेन डैड होने की न्यूज़ फ़्लैश हुई। उसके थोड़ी देर बाद ही यह इस न्यूज़ का खंडन आ गया। सरबजीत का ब्रेन डैड नहीं है। वह वेंटिलेटर पर है।
सरबजीत के लिए उसके सारे रिश्तेदार परेशान हैं। उसकी बीवी परेशान है, उसकी बेटी परेशान हैं। ये सब बरसों से परेशान हैं। इन्होंने भारत के राजनयिकों से लेकर प्रधानमंत्री तक सब परेशान हैं। वे उसके लिए जो कर सकते थे, उन्होंने किया भी। इसके बावजूद सरबजीत के परिवार को परेशानियों से मुक्ति नहीं मिली। सरबजीत के लिए पूरा देश परेशान है। सरबजीत ख़ुद भी परेशान है। उसकी वजह से पाकिस्तान को भारत पर आरोप लगाने का मौक़ा मिला कि भारत पाकिस्तान में आतंकवाद की घटनाएं अंजाम देता है।
सरबजीत के घरवाले बताते हैं कि एक रोज़ शराब पीकर सरबजीत चला तो चलते चलते बॉर्डर पार करके पाकिस्तान पहुंच गया। उसे लाहौर में हुए बम विस्फोट का मुल्ज़िम क़रार दे दिया गया। पाकिस्तानी अदालत ने उसे सज़ा ए मौत दे दी। उसके घर वाले उसकी रिहाई के लिए दुआ और कोशिश कर ही रहे थे कि जेल में बंद कुछ क़ैदियों ने उसका सिर तोड़ दिया।
अब मीडिया और इंटरनेट पर पाकिस्तान की गंदी राजनीति पर लिखा जा रहा है और बहुत लिखा जा रहा है। राजनीति तो आजकल गंदी ही है। बस हमारे भारत में अच्छी राजनीति होती है। केवल हमारे देश के राजनेता ही ऐसे हैं जो विदेशी आतंकवादियों को प्लेन में बिरयानी खिलाते हुए ले जाते हैं और उनके ठिकाने पर सुरक्षित पहुंचाते हैं। दुनिया में कोई दूसरा देश इतना दयालु कहां ?
हमारे दुश्मन अपनी दुष्टता नहीं छोड़ सकते तो न छोडें लेकिन हमें अपनी बुराईयों को ज़रूर छोड़ देना चाहिए।
दिल्ली में हुए रेप कांड में भी शराब की भूमिका सामने आ चुकी है। सरबजीत कांड से शराब की विभीषिका एक बार फिर सबके सामने आ गई है। इसे पीने के बाद आदमी अपने भले-बुरे की तमीज़ खो बैठता है।
शराब सौ बुराईयों को जन्म देती है। इसे पीकर आदमी को यही मालूम नहीं होता कि मैं अपने घर की तरफ़ जा रहा हूं या अपने घर से दूर जा रहा हूं ?
पियक्कड़ नशेड़ियों को यह भी सोचना चाहिए कि उनकी शराब का असर केवल उन्हीं पर नहीं पड़ता बल्कि उनका उनके परिवार और उनके राष्ट्र का सिर भी नीचा करता है।
सरबजीत पर लिखने वालों को उसकी बर्बादी में शराब की भूमिका को भी पहचानना चाहिए। केवल पाकिस्तान को भला बुरा कहने से लाभ न होगा।
अब हमें यह सोचना होगा कि भविष्य कोई और सरबजीत की सी ज़िंदगी न जिए ताकि वह सरबजीत की मौत न मर सके।
...लेकिन यहां हम किसे समझा रहे हैं ?
यहां तो लोग ऐसे मुनाफ़ाख़ोर सौदागर बन चुके हैं जो हर घटना को मसाला लगाकर बेच लेते हैं। पिछले दिनों दामिनी के रेप को मीडिया पर परोस कर मुनाफ़ा कमाया गया। अब सरबजीत की मौत को भुनाया जा रहा है।
फ़िल्मी दुनिया के मुनाफ़ाख़ोरों ने भी दिल्ली रेप कांड पर फ़िल्म बनाने की घोषणा की है। उनमें से अब कोई सरबजीत पर भी फ़िल्म ज़रूर बनाएगा।
ये लोग कमाने के लिए बैठे हैं। शराब के कारोबारी भी कमाई कर रहे हैं। सबका अपना धंधा है। सबको धंधे की चिंता है।
इंसान और इंसानियत को ये धंधेबाज़ खा चुके हैं और ये धंधेबाज़ पाकिस्तानी नहीं हैं। ये भारत माता के सपूत हैं और इनमें से बहुत से तो राष्ट्रवादी भी हैं।
पाकिस्तान के आतंकवादी इतने घर बर्बाद नहीं करते जितने कि ये नशे के कारोबारी ये राष्ट्रवादी कर रहे हैं।
यह बात कौन कहेगा और कोई हम जैसा कह भी दे तो समझेगा कौन ?
1 comments:
यह बात सौ फिसदी सही है कि नशा ही अपना सबसे बड़ा दुश्मन है। नशे ने कितनों का घर बरबाद कर दिया। पर पाकिस्तान के अधिकारियों ने तो शराब नहीं पिया था। फिर भी 23 साल तक उन्हे सरबजीत की सच्चाई मालूम नहीं हुई। आज पता चला कि वह शराब पीकर पाकिस्तानी सीमा में घुस गया था। ऐसी अवस्था में पाकिस्तान को पाक मानना चाहिए?
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