जमाली चाय दे स्वर्गिक आनंद का अहसास Best Herbal Tea

Posted on
  • Monday, November 25, 2013
  • by
  • DR. ANWER JAMAL
  • in
  • Labels:
  • कहते हैं कि शराब इनसान को उसकी अपनी ही नज़र में गिरा देती है। अख़बारी दुनिया के टी. टी. बहादुर अपनी नज़र में गिरे या नहीं, इसका तो पता नहीं है लेकिन वह अपने दुश्मनों की नज़र में ज़रूर चढ़ गए हैं। टी के बजाय उन्होंने शराब पी ली और अपने दोस्त की लड़की को कुछ ऐसा दिखा दिया कि वह सीसीटीवी फ़ुटेज में लिफ़्ट से निकल कर तेज़ तेज़ भागती सी दिखाई दी। शराब इनसान को बदनामी और जि़ल्लत के सिवाय और दे ही क्या सकती है?
    अक्लमंद आदमी तो आजकल चाय पीने से भी बचते हैं। इसके ज़रिये बिला वजह  बॉडी में शुगर जाती रहती है और फिर अपने ही हाथों करेले निचोडकर पीने पड़ते हैं। चाय पीने से शरीर में तेज़ाब बनता है और वीर्य भी पतला पड़ जाता है। इसी के चलते एक बड़े लीडर को अपनी घरवाली को छोड़कर भागना पड़ गया। पहले वह चाय बेचा करता था। 
    लोगों ने खोजबीन की तो उसने बहाना बनाया कि दरअसल उसके माता पिता ने उसकी मर्ज़ी  के बिना उसका विवाह कर दिया था। इसलिए उसने अपनी पत्नी को छोड़ दिया था। वह एक स्वयंसेवी संस्था का मेम्बर बन गया। जो माता पिता की सेवा न कर पाया वह देश की सेवा में जुट गया। बीवी का फ़रार मुजरिम टी. वी. पर छाता चला गया। कर्तव्य  और नैतिकता से डिगा हुआ वह चाय वाला अपने भाषणों में भी तेज़ाब के सिवा कुछ और न उगल सका। बदले में उसे मोटी मलाई मिलने लगी। मलाई मिली तो चाय के साइड इफ़ेक्ट भी दूर होते चले गए।
    आज (24 नवंबर 2013 को) चाय वाले के बारे में टी. वी. पर यह ताज़ा ख़बर मिल रही है कि बीवी को छोड़ने के बाद उसने बरसों से एक बाहरवाली को एंगेज कर रखा है। उस बाहरवाली के परिवार वालों को उस चायवाले ने बहुत नवाज़ा है। इससे मलाई की तासीर का पता चलता है। चाय वाले ने मलाई खिलाई तो बाहरवाली ने आज तक यौन शोषण की शिकायत नहीं की।
    आज भलाई का ज़माना हो या न हो लेकिन मलाई का ज़माना ज़रूर है। शराब के नशे में अपने टी. टी. बहादुर यह हक़ीक़त भी फ़रामोश कर बैठे। बिना मलाई के तो शिकायत ही होनी थी सो हुई। टी. टी. बहादुर परेशान हैं। पुलिस किसी भी वक्त उनके घर की बेल बजा सकती है। जो प्रशिक्षित कार्यकर्ता चायवाले की बाहरवाली पर आंखें बन्द किये बैठे हैं, वे टी. टी. पर त्यौरियां चढ़ा रहे हैं। अन्याय सांप्रदायिकता का मूल लक्षण है। प्रतिशोध ही उनका राष्ट्रवाद है।
    वे न्याय की बात कभी नहीं कह सकते। वे चायवाले से कभी नहीं कह सकते कि भाई साहब! जिस पत्नी का जीवन ख़राब किया है, उससे माफ़ी मांगो। बाहर जो नैतिकता, मर्यादा और क़ानून का उल्लंघन कर रहे हो, उसकी सज़ा भुगतो। अलबत्ता ये लोग टी. टी. बहादुर को जेल भिजवाने की जी जान से कोशिश कर रहे हैं।
    जब आदमी अपनी न्याय चेतना को खो दे तो समझ लीजिए कि वह इंसान कहलाने का हक़ खो चुका है। इंसान वही है जो न्याय को पहचाने और अपने कर्तव्य को पूरा करे। इसके बदले में इंसान को कोई मालो-शोहरत भले ही न मिले लेकिन वह ‘स्व में स्थित’ रहता है, अपने आपे में क़ायम रहता है। जो बड़ी साधनाओं से नहीं हो पाता। वह सहज ही हो सकता है। यह सबसे बड़ी दौलत है। परलोक में यही दौलत काम आएगी। इसके लिए बार बार अपने माईन्ड को डी-कन्डीशंड करते रहने की ज़रूरत है। 
    किसी की हिमायत में या किसी के विरोध में बोलते समय बार बार अपने मन में यह सवाल पूछो कि मैं इसकी हिमायत या इसका विरोध क्यों कर रहा हूं?
    फ़ौरन ही आपको जवाब मिल जाएगा। या तो आप कुछ दुनियावी चीज़ पाने के लिए ऐसा कर रहे होंगे या फिर कुछ खोने के डर से। यह पशुवृत्ति है।
    आप इसे नकार दीजिए। थोड़ी सी कोशिश करने के बाद आपके कर्म न्याय और कर्तव्य की भावना से होने लगेंगे। यही आपके जन्म लेने का मक़सद है। ऐसे लोगों के लिए मौत नहीं है। इनके लिए मौत अनन्त जीवन के अनन्त सुख में प्रवेश का माध्यम है। योग के बाद अब बात हो जाए आयुर्वेद की।
    बहरहाल जब तक जीवन है। तब तक शराब न पिएं। चाहें तो चाय पी लें। चाय एसिड बनाए तो बाद में मलाई का सेवन कर लें। चाय में ही दूध और मलाई डाल लें तो आपका वक्त बच जाएगा।
    हम एक निराली चाय का सेवन करते हैं। एक बड़े कप के बराबर पानी में 10 दाने सौंफ़, 10 अजवायन, 1 ग्राम अदरक, 1 लौंग, 2 काली मिर्च फोड़कर, एक छोटी इलायची, 5-7 तुलसी के पत्ते, 1 छुहारा व 1 बादाम मोटा कतरकर हल्की आंच पर चन्द मिनट पका लेते हैं। इसे छानकर कप में निकाल लेते हैं। छलनी में से बादाम और छुहारे के पीस चम्मच से चुन चुन कर उठाकर कप में डाल लेते हैं। मिठास के लिए एक-दो चम्मच शहद मिलाते हैं। इस चाय को पीने के साथ हम बीच बीच में छुहारे और बादाम के पीस भी चम्मच से निकाल कर खाते रहते हैं। यह निराली चाय हमारे द्वारा विकसित किये जाने के कारण जमाली चाय के नाम से याद की जा सकती है।
    जमाली चाय के फ़ायदेः 
    इसका ज़ायक़ा बेनज़ीर और फ़ायदे बे-मिसाल हैं। कहां तक इसके फ़ायदे बताएं। यह चाय घर को स्वर्ग बना देती है। जो स्वर्ग और जन्नत के इनकारी हैं। वे इसका सेवन करके नमूने के तौर पर दुनिया में ही स्वर्ग का आनंद और जन्नत का लुत्फ़ का अहसास कर सकते हैं। जो नियमित रूप से इसे पीता है। वह घरवाली को छोड़कर नहीं भाग सकता और घरवाली उसे छोड़कर नहीं भाग सकती। आंत, लिवर, मन और माईन्ड पर भी इसके लाजवाब असरात पड़ते हैं। डिप्रेशन पास नहीं आता, आ जाए तो टिक नहीं पाता। आत्महत्या का विचार मन को नहीं भाएगा और जवानी में बुढ़ापा नहीं आएगा। बुढ़ापे में सुस्ती और थकावट नहीं आएगी। आप ख़ुद को हर दम घोड़े पर सवार महसूस करेंगे। अगर आज के ज़माने में आपके पास घोड़ा है तो वास्तव में आप एक राजा हैं। आप राजा हैं तो आपकी पत्नी रानी है। आपके पास घोड़ा (अश्व) भी है और रानी भी है। अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य पाना अब आपके अपने हाथ में है। इस चाय से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष सबकी सिद्धि सहज ही हो जाएगी। ऋषियों ने आयुर्वेद से भी जीवन का मक़सद ही पूरा किया है।
    दूध और मलाई हम नाश्ते में ले लेते हैं। आप दूध-मलाई न लेना चाहें तो भी किसी न किसी रूप में कैल्शियम की निश्चित मात्रा नियमित रूप से लेते रहें। हड्डियां मज़बूत हों तो आदमी बहुत कुछ झेल सकता है।
    टी. टी. बहादुर के कंधे देखकर लगता है कि उनकी हड्डियां भी काफ़ी मज़बूत हैं। राजनीति के महा-मगरमच्छों के जबड़े उनकी हड्डियों की डेन्सिटी कैसे नापते हैं?
    चाय पीते हुए हम देख ही रहे हैं। आप भी देखते रहिए।

    डिस्क्लेमरः 

    • यह लेख किसी अख़बार वाले की हिमायत में या किसी चाय वाले के विरोध में नहीं है। 
    • इस पोस्ट को समझने के लिए पिछली पोस्ट ‘यौन उत्पीड़न किसे कहते हैं?’ पढ़ना ज़रूरी नहीं है।
     Source: http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/BUNIYAD/entry/ayurvedic-tea

    1 comments:

    रविकर said...


    माली हालत देश की, होती जाय खराब |
    आधी आबादी दुखी, आधी पिए शराब |

    आधी पिए शराब, भुला दुःख अद्धा देता |
    चारित्रिक अघ-पतन, गला अपनों का रेता |

    रविकर कम्बल ओढ़, पिए नित घी की प्याली |
    सुरा चाय पय छोड़, छोड़ता चाय जमाली ||

    Read Qur'an in Hindi

    Read Qur'an in Hindi
    Translation

    Followers

    Wievers

    join india

    गर्मियों की छुट्टियां

    अनवर भाई आपकी गर्मियों की छुट्टियों की दास्तान पढ़ कर हमें आपकी किस्मत से रश्क हो रहा है...ऐसे बचपन का सपना तो हर बच्चा देखता है लेकिन उसके सच होने का नसीब आप जैसे किसी किसी को ही होता है...बहुत दिलचस्प वाकये बयां किये हैं आपने...मजा आ गया. - नीरज गोस्वामी

    Check Page Rank of your blog

    This page rank checking tool is powered by Page Rank Checker service

    Promote Your Blog

    Hindu Rituals and Practices

    Technical Help

    • - कहीं भी अपनी भाषा में टंकण (Typing) करें - Google Input Toolsप्रयोगकर्ता को मात्र अंग्रेजी वर्णों में लिखना है जिसप्रकार से वह शब्द बोला जाता है और गूगल इन...
      12 years ago

    हिन्दी लिखने के लिए

    Transliteration by Microsoft

    Host

    Host
    Prerna Argal, Host : Bloggers' Meet Weekly, प्रत्येक सोमवार
    Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

    Popular Posts Weekly

    Popular Posts

    हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide

    हिंदी ब्लॉगिंग गाइड Hindi Blogging Guide
    नए ब्लॉगर मैदान में आएंगे तो हिंदी ब्लॉगिंग को एक नई ऊर्जा मिलेगी।
    Powered by Blogger.
     
    Copyright (c) 2010 प्यारी माँ. All rights reserved.