चार
राज्यों में चुनाव के परिणामों ने आज सच में भारत में महोत्सव का माहौल बना दिया
है ! वर्षों की मायूसी, मोह भंग एवँ जद्दोजहद की ज़िंदगी जीने के बाद आज भारत की जनता
के मुख पर अरसे के बाद एक सच्ची मुस्कान दिखाई दी है ! सत्ता परिवर्तन के साथ देश
में राहत का वातावरण भी तैयार हो सकेगा जनता इसके लिये आशान्वित हो उठी है ! अन्याय,
अराजकता, भ्रष्टाचार, मँहगाई, असुरक्षा और आतंक की चक्की में पिसते-पिसते आम जनता
की मनोदशा इतनी दुर्बल हो गयी थी कि उसके लिये आस्था, विश्वास, निष्ठा, भरोसा जैसे
शब्द अपना अर्थ खो चुके थे ! इतने वर्षों तक आकण्ठ भर चुका पाप का घड़ा एक दिन तो
फूटना ही था ! आज के चुनाव परिणाम के साथ यह शुभ दिन भी आ गया ! आज सच में उत्सव
मनाने का दिन है !
इन
चुनावों में कॉंग्रेस पार्टी की हार होगी और भारतीय जनता पार्टी की जीत होगी इसके
लिये तो जनता मानसिक रूप से तैयार थी ही लेकिन अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी
भी इतने ज़ोरदार तरीके से अपनी आमद दर्ज करायेगी यह अवश्य ही अप्रत्याशित था ! सभी
विजेताओं को हार्दिक बधाई एवँ शुभकामनायें !
जिस
तरह से दिल्ली में सीटों के आँकड़े सामने आये हैं उनके अनुसार दिल्ली में पुन:
त्रिशंकु विधान सभा बनने के आसार दिखाई दे रहे हैं ! ३१ सीटें जीत कर पूर्ण बहुमत
ना मिलने के कारण सरकार बनाने के लिये ना तो भारतीय जनता पार्टी ही उत्सुक दिखाई
दे रही है ना ही २८ सीटें जीतने के बाद आम आदमी पार्टी ! बदलाव होना चाहिये लेकिन
इस तरह का जनादेश जनता का कोई भला नहीं कर सकता यह भी विचारणीय है ! जनता ने अपना
समर्थन देकर कॉंग्रेस पार्टी को करारी हार दिलाई सिर्फ इसी आशा में कि अब साफ़
सुथरी सरकार सत्ता सम्हालेगी और आम जनता की चिंताओं और फिक्रों को विराम लग जायेगा
! लेकिन जो परिणाम सामने आये उसमें कोई भी पार्टी अकेली सरकार बनाने के लिये समर्थ
नहीं ! और आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों मिल कर सरकार बनाने के लिये
तैयार नहीं ! दोनों ही विपक्ष में बैठने की बात कर रहे हैं जिसका सीधा अर्थ है
राष्ट्रपति शासन अर्थात परदे के पीछे से फिर कॉंग्रेस का ही शासन ! यानी कि फिर
वही ढाक के तीन पात ! यदि ऐसा होता है तो जनता फिर छली जायेगी ! चुनाव खाली हार
जीत का ही खेल नहीं है यह जनता द्वारा सरकार बनाये जाने की एक अत्यंत महत्वपूर्ण
प्रक्रिया है ! चुनाव में खड़े होना का अर्थ देश के प्रति अपने समर्पण एवं त्याग को
स्थापित करना है यह मात्र अहम तुष्टि का साधन नहीं है ! इन परिणामों ने फिर से
चिंतित कर दिया है ! तो क्या अब भी दिल्ली के भविष्य पर अनिश्चय के बादल ही मँडराते
रहेंगे ?
जनता
ने चुनाव में मतदान करके अपना फ़र्ज़ अदा कर दिया ! अब फ़र्ज़ अदायगी का नंबर नेताओं
का है कि वे आपसी मतभेद भूल कर अपने अपने प्रदेशों को साफ़ सुथरी, निष्ठावान एवँ
कर्तव्यपरायण सरकार दें जो आम आदमी की दिक्कतों को समझे, उन्हें दूर करने के लिये
प्रयासरत रहे और भ्रष्टाचार, स्वार्थ और अकर्मण्यता की पुरानी प्रचलित परम्पराओं
को तोड़ कर अपनी साफ़ सुथरी छवि जनता के सामने स्थापित करे !
साधना
वैद
5 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (09-12-2013) को "हार और जीत के माइने" (चर्चा मंच : अंक-1456) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सटीक लेख |चुनावी रिजल्ट दिल्ली में चौकाने वाले हैं पर एक नई पहल को नकारा नहीं जा सकता |
आम पार्टी ने धमाकेदार एंट्री की है देखना है आगे क्या होगा |
आशा
सरकार तो अवश्य बनेगी..बधाई इस जनादेश के लिए
सुन्दर सार्थक विचार पूर्ण विमर्श हेतु पोस्ट।
आज सच में उत्सव मनाने का दिन है !
### आपका लेख एक सच्ची बात को सामने लाता है। कांग्रेस और बीजेपी ही नहीं बल्कि दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों में भी भ्रष्टाचार और वंशवाद फल-फूल रहा है। इनमें आम आदमी की भूमिका कुछ भी नहीं थी। अरविंद केजरीवाल को ग़लत होने में समय लगेगा। ग़लत होने तक वह कुछ न कुछ सही ज़रूर करेंगे।
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