हौले से धीरे से आकर
मेरे कंधो पे अपना हाथ रखे.
प्यारी से हंसी हो ,
धीमी सी मुश्कुराहट हो,
जब भी वो मेरे सामने हो.
सोच रही थी वो चौराहे पर
खड़ी हो करके
हाथो में गुलाब का फुल लिए.
तभी एक कार रुकी
खिड़की खुली
गुलाब का फुल खरीदने के लिए.
पैसा बटुए में रखने के बाद
फिर सोचती हैं,
मैं तो फुल बेचने वाली हूँ.
3 comments:
एक दिन आएगा कोई
फूल ख़रीदने के बहाने
और कहेगा आकर वह
आ तुझे मैं प्यार करूं
anwar ji se sahmat hun .ek to uska bhi aayega .
tarkseshvri bhaai hmaari bhi to yhi khvahish he . akhtar khan akela kota rajsthnan
Post a Comment