आज नवोदित ब्लोगर्स की क्या स्तिथि है इस नवोदित, विकास शील ब्लॉग जगत में ?
मुझे ब्लॉग जगत में आये ज्यादा वक्त न गुजरा होगा, और मैं भी इसके रंग में रंगने लगा. अपनी पोस्ट को बढ़ावा देने मैंने भी कई एग्रीगेटर का सहारा लेना शुरू कर दिया. आखिर हर नया ब्लौगर यही तो चाहता है कि उसकी पोस्ट को सब पढ़ें और वो मशहूर हो जाए. और इसी कारण मैंने भी बहुत प्रयत्न किये ताकि मैं भी लोगों की नज़रों में आ जाऊँ... और देखो मैं अपने उद्देश्य में थोडा ही सही सफल तो हो ही रहा हूँ. पर इस ब्लाग जगत में इतनी जल्दी नाम पा लेना सबके बस की बात नहीं. मैंने भी करीब एक साल से ज्यादा का लम्बा इंतजार किया. और आज न जाने क्यों ऐसा लग रहा है कि मैंने तो अपने मुकाम की पहली सीढ़ी तो पा ली पर क्या और भी लोगों को मेरी ही तरह सफलता मिली ? ये इंसानी फितरत है कि अगर कोई नया काम वो करने जाए तो सबसे पहली उसकी मनोकमाना यही रहती है कि अगले दिन ही उसे अपने उस काम का सही फल और वह भी बड़ी अच्छी तादाद में मिले. इसी बीच मैंने अपने २३वेन जन्मदिन पे एक फिल्म देखी F.A.L.T.U. फिल्म की कहानी बहुत अच्छी लगी मुझे... Don't worry मैं आपको फिल्म की स्टोरी नहीं सुनाने वाला, मैं तो बस इतना कहना चाहता हूँ कि इस फिल्म को देखने के बाद मुझे realize हुआ कि हमारा education system कितना लापरवाह है, आज हर कोई इंजिनियर, डॉक्टर इत्यादि बनना चाह रहा है. क्योंकि हमारे schools में ये कभी नहीं सिखाया जाता कि बेटा तेरे अन्दर ये प्रतिभा है और तू इस ओर भी थोड़ा ध्यान दे. और इसी कारण अक्सर नवयुवक लेखन को कॉलेज में या उसके बाद ही अपनाते हैं.
डॉक्टर, इंजिनियर तो आज हर कोई बन रहा है और आप शायद ना मानें जहां मैं रहता हूँ उस बिल्डिंग में ६ इंजिनियर रहते हैं. और उन ६ में से केवल दो ही ऐसे हैं जो कवितायें लिखते हैं, और उन दो में से एक मैं भी हूँ जो कविता के साथ साथ लेख, कहैं इत्यादि भी लिखता हूँ. यहाँ मैं अपनी बधाई नहीं कर रहा. बस इतना कहना चाहता हूँ कि मैं जिस शहर (जबलपुर) में रहता हूँ वो आज भी पूरी तरह से जागरूक नहीं. यहाँ के लोग अपने बच्चों को इंजिनियर तो बनाना चाहते हैं पर लेखक या कवि नहीं. चाहे उनके बच्चे में कितनी भी प्रतिभाएं क्यों न छिपी हों... यहाँ मैं सिर्फ लेखन के क्षेत्र विशेष की बात इसीलिए कर रहा हूँ क्योंकि ये क्षेत्र ही मेरे हिसाब से ज्यादा अछूता है आज. आज लोग दूसरे देश के लोगों की किताबें पढ़ते हैं, उनकी किताबों को दूसरों को पढने की प्रेणना देते हैं, बड़े शायरों की शायरियों को SMS में एक दूसरे को भेजते हैं पर कोई ये नहीं चाहता कि वो भी कुछ लिखे. अपना या अपने प्रियजन का नाम दुनिया के सामने साबित करें.
और इसीलिए आज मैं ब्लॉग जगत के बड़े बड़े दिग्गजों को कुछ सुझाव देना चाहता हूँ. और वो सुझाव कुछ इस तरह हैं -
- आज भी हमारे देश के ऐसे कई शहर व गाँव हैं जहाँ इन्टरनेट तो हर कोई जनता है पर वो ब्लॉग्गिंग या लेखन के प्रति जागरूक नहीं हैं, बहुत से लोगों को ब्लॉग्गिंग के बारे में जानकारी ही नहीं है. इसीलिए मेरा सुझाव है कि
- सारे देश में हिंदी लेखन, हिंदी क्रियेटिव राइटिंग तथा हिंदी ब्लॉग्गिंग के लिए हर छोटे - बड़े शहर, कस्बे तथा गाँव के सभी छोटे बड़े स्कूल व कॉलेज में छोटे छोटे Workshops तथा सेमीनार आयोजित करना चाहिए.
- छोटे व बड़े स्तर पर हिंदी लेखन सम्बंधित प्रतियोगिताएं आयोजित की जाए.
- हर प्रतियोगी व वर्कशॉप में आने वाले प्रतिभागी को अखिल भारतीय स्तर का प्रमाण पात्र दिया जाए.
- अगर हो सके तो प्रोत्साहन राशि का भी इन्तेजाम किया जाए.
- और वर्ष में एक बार इन अलग अलग स्थानों से चुने गए शीर्ष प्रतियोगियों को हिंदी साहित्य लेखन जगत की सम्मानित हस्तियों द्वारा सम्मानित भी किया जाए.
- और एक पुस्तक का भी विमोचन किया जाए जिसमे उन प्रतिभागियों की ही लिखी गई रचनाएं हों.
- अब बात आती है इन सबमे लगने वाले धन की. तो उसके लिए भी मेरे पास सुझाव है कि जो वोर्क्शोप या प्रतियोगिता आयोजित की जाए उनमे भाग लेने वाले प्रतिभागियों से ही कुछ राशि ली जाए और उन पर ही खर्च किया जाए.
- हमारे देश में लाखों स्वयं सेवी संस्थाएँ हैं, इस हेतु उनकी भी मदद ली जाए...
ऐसा नहीं है कि ये काम मैं अकेला शुरू नहीं कर सकता, पर इस काम के लिए मुझे समय - समय पर सही मार्गदर्शन करने वालों की जरूरत होगी. सभी आयोजनों के लिए धन राशि की भी आवश्यकता होगी. और सबसे महत्वपूर्ण समय की भी आवश्यकता भी होगी. चूंकि मैं अभी एक बेरोजगार नौजवान व नवोदित ब्लोगर हूँ तो मेरे लिए सब कुछ कर पाना थोड़ा नामुमकिन सा लगता है...
और जहाँ तक मैं समझता हूँ कि हिंदी ब्लॉगर जगत के वरिष्ठ ब्लौगर पूरी तरह से इस कार्य हेतु सक्षम हैं, तो कृप्या कर मेरे इस सुझाव को आप सारे हिंदी ब्लॉगर जगत के हर फोरम, हर ब्लॉगर असोसिएशन इत्यादि के सामने प्रस्तुत करें और मेरी सोच को आगे तक पंहुचने का कष्ट करें...
मैं नहीं चाहता कि ब्लॉग जगत के नवोदित सितारे तथा कुछ गुमनाम नौजवान कवि व लेखकों की रचनाएँ बस उनकी डायरी तक ही सीमित रह जाए... और हाँ एक और बात इस कार्य में कृपया भ्रष्टाचार व भ्रष्ट लोगों की मदद लेने के बारे में सोचे ही न, चाहे वो कितना भी बड़ा नेता हो या कोई दिग्गज ब्लोग्गर...
धन्यवाद !
अधिक जानकारी के लिए मुझसे संपर्क करें -
महेश बारमाटे "माही"
और मेरे ब्लॉग को फौलो कर के मेरा हौसला बढायें...
9 comments:
जबलपुर को आपने बहुत कम आंक दिया....कैसी तराजू रखे हो भाई...जो बस आपकी आँख में समाई??
अरे भई, हमारे शहर, परसाई जी के शहर, भवानी प्रसाद के शहर, द्वारका प्रसाद मिश्र के शहर ,हनुमान प्रसाद वर्मा के शहर, मजहर साहब के शहर, सुभद्रा कुमारी चौहान के शहर, सेठ गोविन्द दास के शहर और भी ढ़ेरों.....इस शहर के लिए ’ मैं जिस शहर (जबलपुर) में रहता हूँ वो आज भी पूरी तरह से जागरूक नहीं.’ यह कहना तो कतई उचित नहीं...शिक्षा का मुख्य केन्द्र रहा है यह शहर...जिस जमाने में मध्य प्रदेश के शहर एक विश्व विद्यालय को तरसते थे, तब इस शहर में दो दो विश्व विद्यालय होते थे..एक जबलपुर विश्वविद्यालय और एक कृषि विश्व विद्यालय...
हम भी उसी शहर से हैं...ब्लॉग जगत में परचम फहराते अनेक ब्लॉगर उसी शहर से हैं...फिर भला यह स्टेटमेन्ट कैसा??
इन्जिनियर होना अपनी जगह है..मेरा स्वयं का पूरा परिवार इंजिनियर है...इसका क्या लेना देना साहित्य और अभिव्यक्ति से...
आप खुल कर अपने दिल के भाव अभिव्यक्त करें...अपने शहर की प्रतिभाओं को जानें...यह वह शहर है जिसे संस्कारधानी कहा गया है.. जिस पर माँ नर्मदा का आशीर्वाद है....न जाने कितने साहित्यकार, अद्भुत मानस मणि- रजनीश, महेश योगी आदि जन्म चुका है यह शहर और अब तक कहते हो कि आज भी पूरी तरह से जागरूक नहीं......
उतरिये जबलपुर के इतिहास में..जानिये लुकमान को, जानिये, जादूगर आनन्द और जादूगर निगम को, जानिये दर्शनाचार्य गुलाब चन्द्र जैन को, जानिये ज्योतिषाचार्य बाबूलाल चतुर्वेदी को, जानिये देशबन्धु के सुरजन साहब को, जानिये स्वामी प्रज्ञानन्द को, जानिये नूर साहेब को, जानिये मुक्तिबोध का लगाव इस शहर से, जानिये कमानिया पर होते वार्षिक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन को जो हर कवि का सपना है, जानिये अपने जबलपुर को....
तब इस तरह लगे तो जरुर कहें मगर मय तथ्यों के...
आज जब कोई इस नेट पर जबलपुर कहता है...तो साथ मे जानता है कि यह वह शहर है जहाँ पहल के सम्पादक ज्ञानरंजन बसते हैं...
ब्लॉग जगत को जानने वाले इस शहर के नाम से नाम लेते हैं गिरीश बिल्लोरे का, महेन्द्र मिश्र का, विजय तिवारी किसलय का, पंकज गुलुश का, आनन्द कॄष्ण का, विवेक रंजन श्रीवास्तव का, आचार्य संजीव सलिल का, बवाल का, संजय तिवारी का, समीर लाल का, राजेश दुबे कार्टूनिस्ट का, प्रेम शर्मा का, तारा चन्द का....कैसे भूल बैठे आप सब...या कभी जाना ही नहीं???
उडन तश्तरी जी--आपने जबलपुर के बारे मे सही ही कहा इन साहित्यकारों व जबलपुर को सभी जानते हैं--परन्तु जिन ब्लोगर आदि का नाम आपने लिया है उन्हें इन्टर्नेट/ब्लोग पर ही अधिक लोग नही जानते तो जबल्पुर में कौन जानता होगा , वैसे भी ब्लोग्गिन्ग अभी सामान्य जनता में प्रचलित नही हो पाई है--अत: ब्लोग्गर्स को साहित्यिक क्षेत्र में कोई नहीं जानता ---अतः नवोदित महेश का कथन भी समुचित है....
डॉ, श्याम गुप्ता जी,
धन्यवाद जो आपने मेरा साथ दिया... बिल्कुल सही कहा आपने कि ब्लॉग्गिंग सामान्य जनता में प्रचलित नहीं...
और मेरा यही प्रयास है कि आम जनता को ब्लॉग्गिंग व हिंदी लेखन के प्रति जागरूक किया जाए...
ताकि भारत की आवाज सारी दुनिया में गूंजे..
और मैंने समीर जी के सारे सवालों का उत्तर अपने ब्लॉग में दे दिया है...
और वो अब मुझसे सहमत हैं... जिसके लिए मैं उनका आभारी हूँ
कृपया मेरे कमेंट्स देखने के लिए देखने के लिए यहाँ क्लिक करें. -
http://meri-mahfil.blogspot.com/2011/04/blogging.html#comments
महेश जी ! आपका लेखन सरल है और आपके सुझाव व्यवहारिक हैं। इनसे निश्चय ही हिंदी ब्लॉगिंग समृद्ध होगी। वरिष्ठ ब्लॉगर्स को आपके सुझावों पर ग़ौर करना चाहिए। मैं अपनी हद भर आपके साथ हूं। ‘हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल‘ का मक़सद भी यही है। नवोदित ब्लॉगर्स के लेखन को हम अपने ख़र्च पर प्रकाशित करेंगे। उदीयमान प्रतिभाओं से संपर्क करके उनसे लेख मंगाने का काम जल्दी ही शुरू कर दिया जाएगा। इस विषय में आपसे पहले पत्राचार करके पूरी रूपरेखा बनाई जाएगी।
इंशा अल्लाह !
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/04/blog-fixing_28.html
जमाल जी,
मुझे बहुत ख़ुशी हुई जो आपने मेरा साथ देने का आश्वासन दिया, और मुझे विश्वास है कि आपको मेरे सुझाव समझ में जरूर आए होंगे..
वरना यहाँ तो हर कोई मुझे बच्चा ही समझता है, एक ऐसा बच्चा जिससे सभी सम्मान तो पाना कहते हैं पर उसकी बात कोई सुनना नहीं चाहते...
हे प्रभु! क्षमा करें छोटा मुँह और बड़ी बात कर रहा हूँ... कृपया मेरी बातों को अपने शब्दों में दूसरों को समझाने का आप १ छोटा सा प्रयास जरूर करें,
क्योंकि अगर मैं बोलूँगा बोलेगें कि बोलता है... आप कृपया इसे अपने पर ना लें... ये बस मेरे दिल से निकले वचन हैं ... अपना छोटा भाई समझ के माफ़ करें मुझे तथा मेरा मार्ग दर्शन करते रहें...
धन्यवाद
हिंदी ब्लॉगिंग का भविष्य रौशन करेगी ‘हिंदी ब्लॉगिंग गाइड‘
@ महेश जी ! मुझे आपके सभी सुझाव पसंद आए हैं क्योंकि उनके ज़रिए से ठोस ज़मीनी काम होगा और नए लोग ब्लॉगर बनेंगे। नए लोगों को ब्लॉगर बनाने के लिए मैं एक ऐसी किताब तैयार करना चाहता हूं जो एक नए आदमी को ब्लॉग बनाने से लेकर उसे चलाने तक की सारी जानकारी दे। इस विषय में मेरे पास पहले से ही कुछ लेख हैं और कुछ आप लिखें। दो चार और लेखकों को जिन्हें आप पहचानते हों, उनसे भी कहें। तब हम तैयार करेंगे दुनिया की पहली ‘हिंदी ब्लॉगिंग गाइड‘। जो लोग इसे पढ़ें वे भी आमंत्रित हैं। इसे हम छापेंगे बिना किसी से कोई आर्थिक सहयोग लिए। इसमें योगदान करने वाले ब्लॉगर्स का नाम और उनका परिचय प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे और कोशिश करेंगे कि इस किताब को आवश्यकतानुसार मुफ़्त भी वितरित किया जाए, इसमें और क्या क्या होना चाहिए यह आप सोचिए। हिंदी ब्लॉगिंग को बढ़ावा देने के लिए हम आपका हर तरह सहयोग करने के लिए कह ही चुके हैं।
धन्यवाद !
vaah mhesh ji kiyaa chintan hai or kyaa bhtrin sujhaav hain mzaa aa gyaa khuda kfre in par hm or aap or sbhi blogar mil julkar jldi amal karen bdhai ho . akhtr khan akela kota rajsthan
main bhi abhi blogger parivaar main nayi hoon. bahut bura lagta hai jab kisi post par kam comments aate hain, nirash ho jati hoon, par agle hi pal jab kisi post par bahut sare achche comments milate hain to josh fir badh jata hai.
apki soch yakinan tarif ke kabil hai. is tarah ka prayas hindi bloggers ke liye kisi energy drink se kam nahi hoga. meri best wishes hain ki aap apne prayaas main jald se jald kamyaab ho.
good luck and all the best.
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