बड़े शौक से आये थे कुछ काम करेंगे |
सेवा करेंगे देश की और नाम करेंगे |
गंदला गई है राजनीति इस देश की ,
कुछ पाक साफ़ करेंगे,जब काम करेंगे
काज़ल की कोठरी है, हम जानते थे खूब,
इक लीक तो लगेगी पर पर नाम करेंगे |
सब दुश्मनों से हम तो हरदम थे खबरदार,
जाना नहीं था, अपने ही बदनाम करेंगे |
वो साथ भी चले नहीं और खींच लिए पाँव ,
था भरोसा, कि साथ कदमताल करेंगे |
सच की ही राह चलते रहे हम तो उम्र भर,
राहें बदलकर अब तो क्या ख़ाक करेंगे |
हर शाख ही यहाँ की है, उलूकों के हवाले,
मंजिल बदल कर क्या नया मुकाम करेंगे |
बैठे हैं गिद्ध चील कौवे हर डाल पर ,
व्याख्यान श्वान देते , गधे गान करेंगे ||
इतना है दलदल ,कोई कहां बैठे खडा हो,
कीचड़ से लथपथ होगये क्या काम करेंगे |
दलदल से बाहर कैसे आयें, सोच रहे 'श्याम,
सारा ही इंतजाम अब तो राम करेंगे ||
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