पुस्तक विमोचन

Posted on
  • Tuesday, October 25, 2011
  • by
  • M. Afsar Khan
  • in
  • कविता के लिए भावना और हृदय की पूंजी जरूरी


    नागरी प्रचारिणी सभा वारणसी के पं0 सुधाकर पांडेय स्मृति कक्ष में आयोजित संगोष्ठि में ’दर्द की है गीत सीता’ काव्यपुस्तक का लोकार्पण करते हुए काशी हिन्दु विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के आचार्य एवं अध्यक्ष प्रो0 राधेश्याम दुबे ने कहा कि प्रसंग बदल जाने से षब्दों के अर्थ बदल जाते हैं। इसलिए जब पौराणिक प्रसंग काव्य रचना के लिए उठाये जाते हैं तो रचनाकार से बड़ी सावधानी की अपेक्षा की जाती है। मां सीता आधुनिक नारी विमर्श के संदर्भ में उद्धृत तो की जा सकती हैं किन्तु उसका माध्यम नहीं बन सकती।
    संगोष्ठि के अध्यक्ष डा0 कमलाकान्त त्रिपाठी ने कहा कि कविता का जन्म वेदना से होता है। पुस्तक का रचनाकार जिन संघर्षों से होकर गुजरा है उनके आलोक में ही कृति का समुचित मुल्यांकन किया जा सकता है। कला पक्ष की दृष्टि से भी काव्य महत्वपूर्ण है।


    विशिष्ठ
    अतिथि गीतकार श्रीकृष्ण तिवारी ने कहा कि रचनाकार का लोक जितना बड़ा होगा उसी अनुपात में वह लोकमान्यता का अधिकारी होता है। लोक की संवेदना को अनुभूति के धरातल पर जीने की क्षमता ’दर्द की है गीत सीता’ के रचनाकर के भीतर दिखलाई पड़ती है।
    डा0 रामअवतार पांडेय ने कहा कि कविता के लिए भावना और हृदय की पूंजी जरूरी है और वह पेशे से इंजिनीयर विजय कुमार मिश्र के भीतर दिखलाई पड़ती है। विष्व के महानतम नारी चरित्र सीता की वेदना को आधार बना कर उन्होने नारी विमर्श के विचारणीय सूत्रों को अपनी इस कृति के माध्यम से प्रस्तुत किया है।
    लोकार्पण गोष्ठी में सर्वश्री शिवप्रसाद द्विवेदी, एल0 उमाशंकर सिंह, रामकृष्ण सहस्रबुद्धे, एम. अफसर खां सागर, विनय वर्मा, डा0 संजय पांडे, रूद्र प्रताप रूद्र, राम प्रकाश शाह, श्रीमती वत्सला और डा0 पवन कुमार शास्त्री ने भी विचार व्यक्त करते हुए रचनाकार को बधाई दी।
    प्रारम्भ में आगंतुकों का स्वागत करते हुए रचनाकार विजय कुमार मिश्र ’बुद्धिहीन’ ने कहा कि इंजिनीयरिंग क्षेत्र में कार्य करते हुए अतिषय सुख-दुःख और रागात्मक संवेदना के क्षण जब प्राप्त हुए तब अपने भीतर जो अनुभूतियां व्यक्त हुईं उन्होनें अनायास कविता का रूप ले लिया।
    धनयवाद प्रकाश समजीत शुक्लने, संयोजन ब्रजेश पांडेय ने तथा संचालन डा0 जितेन्द्र नाथ मिश्र ने किया।

    एम अफसर खान सागर

    2 comments:

    vandana gupta said...

    बधाई…………दीपावली पर्व अवसर पर आपको और आपके परिवारजनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

    vandana gupta said...

    अगर किताब मिलती तो जरूर पढना चाहती…………जिस तरह वर्णन किया गया है उससे पढने की इच्छा जागृत हो गयी।

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