क्या दिल्ली हाईकोर्ट के जज पूरी तरह से ईमानदार है ?

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  • Tuesday, February 7, 2012
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  • रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक
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  • दोस्तों ! एक बार जरा मेरी जगह अपने-आपको रखकर सोचो और पढ़ो कि-एक पुलिस अधिकारी रिश्वत न मिलने पर या मिलने पर या सिफारिश के कारण अपने कार्य के नैतिक फर्जों की अनदेखी करते हुए मात्र एक महिला के झूठे आरोपों(बिना ठोस सबूतों और अपने विवेक का प्रयोग न करें) के चलते हुए किसी भी सभ्य, ईमानदार व्यक्ति के खिलाफ झूठा केस दर्ज कर देता है. फिर सरकार द्वारा महिला को उपलब्ध सरकारी वकील, जांच अधिकारी, जज आदि को मुहँ मांगी रिश्वत न मिले. इसलिए सिर्फ जमानत देने से इंकार कर देता है. उसके बाद क्या एक सभ्य व्यक्ति द्वारा देश की राष्ट्रपति और दिल्ली हाईकोर्ट से इच्छा मृत्यु की मांग करना अनुचित है. एक गरीब आदमी कहाँ से दिल्ली हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के अपनी याचिका लगाने के लिए पैसा लेकर आए ? क्या वो किसी का गला काटना शुरू कर दें ? क्या एक पुलिस अधिकारी या सरकारी वकील या जांच अधिकारी या जज की गलती की सजा गरीब को मिलनी चाहिए ? हमारे भारत देश में यह कैसी न्याय व्यवस्था है ? क्या हमारे देश में दीमक की तरह फैले भ्रष्टचार ने हमारी न्याय व्यवस्था को खोखला नहीं कर दिया है ? क्या आज हमारी अव्यवस्थित न्याय प्रणाली सभ्य व्यक्तियों को भी अपराधी बनने के लिए मजबूर नहीं कर रही है ? इसका जीता-जागता उदाहरण मेरा "सच का सामना" ब्लॉग है और मेरे द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट को लिखा पत्र (नीचे) देखें. क्या दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यरत सभी जज पूरी तरह से देश और देश की जनता के प्रति ईमानदार है ? मेरे पत्र को देखे और उसके साथ स्पीड पोस्ट(http://sach-ka-saamana.blogspot.in/2011/06/blog-post_18.html) की रसीद को देखें. मेरे द्वारा 137 दस्तावेजों के साथ 15 फोटो वाला 760 ग्राम का पैकेट 13/06/2011 को भेजने के बाद भी आज तक संज्ञान नहीं लिया या यह कहूँ देश के राजस्व की उन्हें कोई चिंता नहीं है. उनको सिर्फ अपनी सैलरी लेने तक का ही मतलब है. क्या देश की अदालतों में भेदभाव नहीं नीति नहीं अपनाई जाती है. अगर मेरे जैसा ही अगर किसी महिला ने एक पेज का भी एक पत्र दिल्ली हाईकोर्ट में लिख दिया होता तो दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ न्यायादिश के साथ अन्य जज भी उसके पत्र पर संज्ञान लेकर वाहवाही लूटने में लग जाते है, इसके अनेकों उदाहरण अख़बारों में आ चुके है. क्या भारत देश में एक सभ्य ईमानदार व्यक्ति की कोई इज्जत नहीं ? 
    भारत देश की न्याय व्यवस्था ने मेरे परिवार के साथ हमेशा अन्याय किया है. आजतक इन्साफ मिला ही नहीं है और न भविष्य में किसी गरीब को देश की अदालतों से इंसाफ मिलने की उम्मीद है.
    मेरे प्रेम-विवाह करने से पहले और बाद के जीवन में आये उतराव-चढ़ाव का उल्लेख करती एक आत्मकथा पत्नी और सुसरालियों के फर्जी केस दर्ज करने वाले अधिकारी और रिश्वत मांगते सरकारी वकील,पुलिस अधिकारी के अलावा धोखा देते वकीलों की कार्यशैली,भ्रष्ट व अंधी-बहरी न्याय व्यवस्था से प्राप्त अनुभवों की कहानी का ही नाम है "सच का सामना"आज के हालतों से अवगत करने का एक प्रयास में इन्टरनेट संस्करण जिसे भविष्य में उपन्यास का रूप प्रदान किया जायेगा.
    1. एक आत्मकथा-"सच का सामना"
    http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/03/blog-post.html
    2. मैं देशप्रेम में "सिरफिरा" था, "सिरफिरा" हूँ और "सिरफिरा" रहूँगा
    http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html
    3. मैंने अपनी माँ का बहुत दिल दुखाया है
    http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/04/blog-post.html
    4. मेरी आखिरी लड़ाई जीवन और मौत की बीच होगी
    http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/04/blog-post_22.html
    5. प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
    http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/04/blog-post_29.html
    6. माननीय राष्ट्रपति जी मुझे इच्छा मृत्यु प्रदान करके कृतार्थ करें
    http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/06/blog-post.html
    7. मैंने पत्नी की जो मानसिक यातनाएं भुगती हैं
    http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/06/blog-post_12.html
    8.कोई खाकी वर्दी वाला मेरे मृतक शरीर को न छूने की कोशिश भी न करें
    http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/06/blog-post_13.html
    9. एक पत्र दिल्ली के उच्च न्यायालय में लिखकर भेजा है कि-
    मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा
    ज्यादा पढ़ने के लिए किल्क करके पढ़ें.
    http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/06/blog-post_18.html
    10. भगवान महावीर स्वामी की शरण में गया हूँ
    http://sach-ka-saamana.blogspot.in/2011/09/blog-post.html
    11. मेरी लम्बी जुल्फों का कल "नाई" मालिक होगा.
    http://sach-ka-saamana.blogspot.in/2011/11/blog-post.html
    12.सरकार और उसके अधिकारी सच बोलने वालों को गोली मारना चाहते हैं.
    http://sach-ka-saamana.blogspot.in/2011/11/blog-post_02.html
    13.मेरी शिकायत उनकी ईमानदारी पर एक प्रश्नचिन्ह है
    http://rksirfiraa.blogspot.in/2011/06/blog-post.html

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