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अब हमें भी पता
नहीं कितने दिन जेल की सलाखों को पकड़कर खड़ा रहना होगा, क्योंकि हमारे देश
में कानून पूंजीपतियों, राजनीतिज्ञों और महिलाओं की बाप की जागीर बन गया
है. |
लो
दोस्तों, हमारा आपका बस थोड़े से ही दिनों का साथ था. मैं अक्सर कहता था कि
देशप्रेम में पागल और सिरफिरे लोगों का स्वागत फ़िलहाल "जेल" में किया जाता
है. अब हम तो जेल में जा रहे हैं. हम अपनी पत्नी के द्वारा धारा 498A और 406 के तहत दर्ज करवाए
झूठे केसों (एफ.आई.आर नं. 138/2010 थाना-मोतीनगर,दिल्ली) में आठ फरवरी को
तीस हजारी के कमरे नं. 138 में आत्मसमपर्ण कर रहे हैं. पुलिस के पास सबूत
नहीं थें. इसलिए आज तक मुझे गिरफ्तार नहीं किया
था. अब केस दर्ज हुए लगभग दो साल हो चुके है. अब कोर्ट का वारंट पुलिस
लेकर आई थीं. कल संयोगवश घर पर नहीं था. तब वारंट देकर चली गई. कोर्ट का
सम्मान करना मेरा फर्ज है. पिछले नौ महीने से बिलकुल बेरोजगार बैठा हूँ और
सारा काम भी लगभग चार साल से बंद था. बिना वकील के ही जज को अपनी गिरफ्तारी
दे रहा हूँ. जेल जाने की तारीख निश्चित है मगर भष्ट और अव्यवस्था के कारण
वापिस का कोई पता नहीं है.
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मेरी गिरफ्तारी का वारण्ट |
अपनी हिम्मत तो रखे हुए हूँ लेकिन विधवा माँ को
हिम्मत रखने वाले शब्द नहीं बोल पा रहा हूँ. उसके लिए कहाँ से वो शब्द लेकर
आऊ जो उसको दिलासा दें ? माँ तो कसूरवार बेटे का सदमा सहन नहीं कर पाती है
फिर वेकसुर बेटे के लिए जेल जाने का सदमा कैसे सहन करें, कल से मम्मी से
ठीक से खाना भी नहीं खाया जा रहा है. क्या करूँ कुछ समझ नहीं आ रहा है ? कल
(चार फरवरी) ही मेरे पिताजी की चौथी पुण्यतिथि थीं. जब पुलिस आई थीं, तब
काफी परेशान हो गई थीं. हर रोज थोड़ी देर बैठकर माँ-बेटा अपना दुःख दर्द कह
लेते थें.एक-दूसरे को दिलासा दे लेते थें और हिम्मत बढ़ा दिया करते थें.
अब......मेरी माँ को कौन दिलासा देगा और हिम्मत बढ़ेगा ?
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मेरे
खिलाफ झूठ और बिना सबूतों के दर्ज एफ.आई.आर. जिसमें मेरे नाम के साथ ही
मेरे बड़े भाइयों के साथ ही मेरी भाभी का नाम भी दर्ज किया गया है. हमारे
देश के कानूनों में एक औरत को अपने सुसराल वालों का झूठा नाम लिखवाने की
अनुमति मिली हुई है.मगर एक पत्रकार को किसी महिला की पहचान उजागर करने की
मनाही है. इसलिए मैंने अपनी पत्नी का नाम व पता इस एफ.आई.आर. से हटा दिया है. |
आज कुछ लड़कियाँ और उसके परिजन धारा 498A
और 406 को लेकर इसका दुरूपयोग कर रही है. हमारे देश के अन्धिकाश भोगविलास
की वस्तुओं के लालच में और डरपोक पुलिस अधिकारी व जज इनका कुछ नहीं बिगाड
पाते हैं क्योंकि यह हमारे देश के सफेदपोश नेताओं के गुलाम बनकर रह गए हैं.
इनका जमीर मर चुका है. यह अपने कार्य के नैतिक फर्ज भूलकर सिर्फ सैलरी
लेने वाले जोकर बनकर रह गए हैं. असली पीड़ित लड़कियाँ तो न्याय प्राप्त करने
के लिए दर-दर ठोकर खा रही हैं.
मेरी जमानत तीन बार ख़ारिज हो चुकी है
और अश्लील वीडियो फिल्म बनाने का और दहेज का सामान (स्त्रीधन) न लोटने के
झूठे आरोपों के कारण जमानत नहीं मिल रही हैं. उत्तमनगर थाने, थाना बिंदापुर
और मोतीनगर आदि से लेकर थाना कीर्ति नगर, दिल्ली के वोमंस सैल, सरकारी
वकील, जांच अधिकारी, जज को रिश्वत न दे पाने के कारण झूठे सबूतों के आधार
पर केस भी दर्ज हो गए और दर्ज केस में मुझे जमानत नहीं मिली. आँखों के
अंधे-बहरे जज और पुलिस अधिकारी बिना सबूत मामला दर्ज करते है और जमानत नहीं
देते हैं.
दोस्तों ! बस दुआ करना कि मेरी विधवा माँ का स्वास्थ्य ठीक रहे.जब तक मुझे जेल में रहना पड़े. 72 साल की है, घर के कार्य के सिवाय कुछ
नहीं करती है. मेरे बाद में मेरे बड़े भाई के पास रहेगी. लेकिन बड़ा भाई
अपने काम पर सवेरे छह बजे चला जाता है और रात को दस बजे आता हैं. खर्च की
चिंता नहीं है मगर मानसिक रूप से दिलासा देने की जरूरत है. मेरी मम्मी
अनपढ़ है. ज्यादा जानकारी नहीं है. इसलिए ज्यादा डरी हुई है. आप मिलने आने
का कष्ट मत उठाये फोन करें, तब बता देना कि आपके बेटे के दोस्त बोल रहे
हैं.मेरी मम्मी हिंदी ही समझती है. आपके सहयोग और प्यार के लिए धन्यवाद
दोस्तों ! अगर आपके पास समय हो
तो कभी-कभी मेरी माँ के पास मेरा ही एक अन्य फोन नं. 9868566374 पर बात कर
लेना और दिलासा देने के साथ ही हिम्मत भी दे देना. आप ज्यादा जानकारी के
लिए मेरे ब्लोगों की सभी पोस्टें और मेरी फेसबुक की "वाल" पढ़ें/देखें-www.sach-ka-saamana.blogspot.com (आत्मकथा)
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