आज
में सरकार से इस पोस्ट के माध्यम से पूछना/जानना चाहता हूँ कि अगर एक
सभ्य ईमानदार व्यक्ति दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को रिश्वत नहीं दें तो
क्या वो अधिकारी मात्र एक महिला के कहने से बिना सबूतों के ही गम्भीर आरोप
लगाकर मामला दर्ज कर सकता है ? क्या किसी व्यक्ति का पक्ष सिर्फ रिश्वत
देने पर ही सुना जायेगा? क्या सारी महिलाएं सच्ची है और सारे पुरुष झूठे व
अत्याचारी होते हैं?
हम तो चले तिहाड़ जेल दोस्तों !
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