भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) पता नहीं क्यों आमिर खान से बार बार माफ़ी मांगने की अपील कर रहा है | आमिर के कार्यक्रम "सत्यमेव जयते" में डॉक्टरों के बारें में जो भी दिखाया गया वही यथार्थ है | देखा जाय तो उसमे कम ही दिखाया गया | स्थिति तो उससे भी ज्यादा भयावह है | आज कोई भी डॉक्टर बनना चाहता है तो सिर्फ इसलिए की इस "धंधे" में बहुत "कमाई" है | नौकरी से अलग कमाई, प्राइवेट प्रेक्टिस से अलग कमाई और तरह तरह के कमीशन से अलग कमाई | इसके अलावा भी कई तरह के मौके मिल जाते हैं इन्हें कमाने के | मेरा निजी अनुभव है की बहुत से डॉक्टर मेडिकल दूकान वालों से मोती कमीशन खाने के लिए सिर्फ वही दवा लिखते हैं जो उसी दूकान में मिले और वो भी बहुत महँगी-महँगी | टेस्ट वगैरा के लिए खाश लैब में ही भेजते हैं जहाँ परसेंटेज मिलता है, उसमे भी बिना मतलब के टेस्ट |
अभी हाल में अपने नानाजी को कान और गला के एक डॉक्टर के पास ले गया | १५० उनकी फीस थी | पर कहा गया की २ चीज़ दिखाना है तो २ फीस लगेगा | ३०० रुपये देकर दिखने गया तो डॉक्टर ने जांच के बाद ७-८ दवाइयां लिख दी और साथ में ५-६ तरह के खून जाँच, मूत्र जाँच इत्यादि | डॉक्टर का ही स्टाफ बकायदा लैब और दवा दुकान तक पंहुचा भी आया | दवाइयां सारी १५० के आस-पास थी प्रति पत्ता | मैंने तो नानाजी को जाँच वगैरा के लिए मना किया पर वो माने नहीं और जाँच करवा ली | अगले दिन रिपोर्ट लेके डॉक्टर के पास गया तो डॉक्टर साहब ने कहा सब ठीक है बस हिमोग्लोबिन की कमी है और एक दवा और लिख दी |
ये तो कुछ भी नहीं | लोगों को न जाने और क्या-क्या झेलना पड़ता है | जो भी आज डॉक्टर है सिर्फ पैसा कमाने के लिए ही | समाज सेवा के लिए ये पेशा अपनाने वाले १००० में २ ही होंगे | फिर अगर इस सच्चाई को दिखाया गया तो इसमें गलत क्या है ? हाँ उस कार्यक्रम में एक-दो बातें गलत हो भी सकती है लेकिन वस्तुस्थिति कमोवेश यही है | वैसे सिर्फ डॉक्टरों पर ये आरोप लगाना गलत होगा | आज तो जो भी जिस पेशे में है सिर्फ पैसों के लिए ही है | कोई छात्र अपना करियर चुनने से पहले अपनी पसंद से ज्यादा इस बात पे ध्यान देता है की नौकरी किसमे जल्दी मिलेगी और पैसा कमाई किसमे ज्यादा होगा | पर डॉक्टरों के बारे में बोला इसलिए जा रहा है क्योकिं भारत में लोग डॉक्टर को भगवान् का दर्ज़ा देते हैं | और किसी पे उतना विश्वास नहीं होता जितना डॉक्टरों पे होता है |
2 comments:
मैंने आमिर खान का शो तो नहीं देखा लेकिन आपकी बात से इत्तेफाक रखती हूं. हमारे देश में कमोबेश यही स्थिति है, जबकि बाहर के नागिरक मुफ्त चिकित्सा सुविधा पाते हैं. लुटे हुए को लूटना वो भी चिकित्सा जैसे पावन पेशे में, दिल को परेशान करने वाला है.
मृदुलिका.
Nice post.
Agree.
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