Sahitya Surbhi: अगज़ल - 44
Posted on Saturday, August 18, 2012 by डॉ. दिलबागसिंह विर्क in
Sahitya Surbhi: अगज़ल - 44: अपनी हस्ती को गम के चंगुल से आजाद करने का काश ! हम सीख लेते हुनर खुद को शाद करने का । अंजाम की बात तो बहारों पर मुनस्...
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