छठी पत्नी ने खोली पोल
शहडोल : शहडोल जिले में कैशवाही चौकी अंतर्गत पतेरा टोला निवासी छब्बीस वर्षीय एक युवक द्वारा सात शादियां रचाने के बाद गुरुवार को एक नाबालिग के साथ आठवीं शादी करने का मामला सामने आया है.
महिला आयोग की सदस्य वंदना मण्डावी के समक्ष उमेन्द्र की इस करतूत का खुलासा उसकी छठी पत्नी देवकी बाई महरा ने किया.
कैशवाही चौकी के ग्राम कुम्हारी निवासी देवकी महरा ( 24 ) ने महिला आयोग की सदस्य मण्डावी के समक्ष आवेदन देते हुए बताया कि सात सितंबर 2009 को उसका विवाह शपथ-पत्र के माध्यम से जैतपुर थाना के ग्राम पतेरा टोला निवासी उमेंद्र प्रसाद महरा के साथ हुआ था. कुछ समय तक तो सब ठीक-ठाक चला, फिर एक वर्ष पहले पति ने उसे छोड दिया. कई बार वह पति के पास गई, लेकिन वह अपने साथ रखने को तैयार नहीं हुआ.
आवेदन के अनुसार इस बीच देवकी को पता चला कि उसका पति इससे पहले भी पांच बार विवाह रचा चुका है और वह उसकी छठे नंबर की पत्नी है. पांचों पत्नियों के साथ भी कुछ माह गुजारने के बाद वह सभी को छोडता गया.
देवकी ने महिला आयोग को दी गई शिकायत में बताया कि उमेंद्र ने सात फरवरी को आठवां विवाह कंठी टोला निवासी 16 वर्षीय एक नाबालिग लडकी से रचाया. हालांकि इस बात की जानकारी कैशवाही चौकी एवं जैतपुर थाने में दी गई थी. पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन सिर्फ शादी नहीं करने की सलाह देकर लौट आई. इसका नतीजा यह निकला कि आठवां विवाह संपन्न हो गया.
शिकायतकर्ता के अनुसार आठ शादियां रचाने वाले उमेंद्र का उद्देश्य अय्याशी था. उसने बताया कि उमेंद्र को जब पता चलता कि उसकी पत्नी गर्भवती हो गयी है तो वह उस पर गर्भपात के लिए दबाव डालता. पत्नी के गर्भपात के लिए तैयार नहीं होने पर वह उसे छोड, दूसरा विवाह कर लेता था.
महिला आयोग की सदस्य वंदना मंडावी ने बताया कि देवकी के आवेदन पर आयोग ने संज्ञान लिया है.
source : http://www.prabhatkhabar.com/node/262806
5 comments:
अच्छा-
बड़ा हिम्मती है भाई-
ऐसे ही मर्दों से दुनिया बची हुई है
भगवान् उसको जहन्नुम पहुंचाए ताकि वहां की औरतें भी खुशहाल हों-
हा हा हा
आश्चर्य है कि घर परिवार वाले, आस पड़ोसी, बिरादरी के लोग, लोकल प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी यह अनर्थ होने दे रहे हैं ! समाज में जब बाकी लोग इसी तरह से तटस्थ हो जाते हैं और चुपचाप तमाशा देखते हैं तो विकृत मानसिकता के लोगों को शै मिलने लगती है !
आज के दौर में ऐसे अय्याशी करने वालो की कमी नही है,ऐसे व्यक्तियों को ता उम्र जेल में डाल देना चाहिए,आपकी क्या राय है.
आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी ! आपने सज़ा कुछ कम बताई है। हमारी नज़र में उसे इससे भी ज़्यादा सख्त सज़ा देनी चाहिए।
ये हमारे यहा से ७० कि०मी० दूर की घटना है आज भी यहाँ आदिवासी अंचल में बाल विवाह एवं २ पत्नियों को रखने का रिवाज है,,,
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