पाकिस्तान के लाहौर में कथित ईशनिंदा के आरोप में लोगों ने ईसाईयों की कॉलोनी पर हमला बोल दिया। हमलावरों ने इनके घरों में जमकर तोड़फोड़ की और घर जला दिए। इसके विरोध में ईसाई समुदाय के लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया। तस्वीरों में देखते हैं कैसे घरों पर हुआ हमला और कैसे छलका ईसाईयों का दर्द। अपना घर जलाए जाने के बाद महिलाएं यहां पहुंची और रो पड़ीं।
इस घटना के विरोध में इसाई समुदाय के लोगों ने लाहौर में विरोध-प्रदर्शन किया। पुलिस ने दो हमलावरों को गिरफ्तार भी किया।
दीन की जानकारी न होने या उसकी जानकारी ग़लत होने से ही ज़ुल्म वुजूद में आता है। इसलाम का अर्थ है शांति। मुसलिम वह है जिसके अमल से शांति क़ायम हो और वह बनी रहे। मुसलिम बनने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। दूसरों को उनका हक़ देना पड़ता है लेकिन राजनीति इसके खि़लाफ़ चलती है।
क़त्ल और ख़ून ख़राबा शैतानी अमल है। किसी समुदाय की बात पर मुसलमानों को ऐतराज़ हो तो वे सिर्फ़ हाकिमों से शिकायत कर सकते हैं। उन्हें किसी के घर जलाने का कोई हक़ नहीं है। मुसलमानों को कुछ भी करने से पहले यह ज़रूर देखना चाहिए कि इस मामले में अल्लाह का हुक्म और उसके नबी स. का तरीक़ा क्या है ?
इसलामी हुकूमत में अगर किसी ग़ैर मुस्लिम ज़िम्मी (जिसकी हिफ़ाज़त का ज़िम्मा सरकार पर हो) को सताया जाता है तो पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब स. ने फ़रमाया है कि
‘‘जिसने किसी मुआहिद (यानी ज़िम्मी) का क़त्ल किया वह जन्नत की ख़ुशबू तक न सूंघ सकेगा।’’
ज़ालिम मुसलमानों को अपने अंजाम से डराने के लिए यह हदीस काफ़ी है।
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