कहीं आंसुओं में ना बह जाये सपनों का महल!
उत्तर प्रदेश में गुण्डाराज! सभी न्यूज
चैनलों पर यही खबर प्रमुखता से चल रही है! तमाम बहस, बयान
व आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। सूप-चलनी तक का नेता मिशाल
देते फिर रहे हैं। सपा के एक बड़े नेता
ने तो यू0पी0 में बिगडते कानून व्यवस्था के लिए विरोधी दलों
पर ठिकरा फोड डाला। यू0पी0 के कुण्डा में पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी सी0 ओ0 जियाउल हक की हत्या कर दी जाती है। उसके
साथ गये हमराही उसे मरता छोड भाग जाते हैं।
हत्या के साजिश
का आरोप प्रदेश सरकार के एक बाहुबली मंत्री पर लगता है। मंत्री जी हत्या के तीसरे दिन बडी ईमानदरी से अपना
इस्तीफा प्रदेश सरकार
के मुखिया को सौंपते है, सदन में अपने उपर लगे आरोपों पर सफाई देते हैं।
उसके बाद मीडिया से मुखातिब होते
हैं... सी0 ओ0 से अच्छे सम्बंध होने का हवाला
देते हैं, साथ ही कहते हैं अगर हत्या की नौबत आती तो मैं सरकार में था तबादला नहीं
करा देता! एक तरफ तो सरकार
के मुखिया बेहतर
कानून व्यवस्था की बात करते हैं और कहते हैं कानून के नजर में सब बराबर
है चाहे वह मंत्री, विधायक हो या आम आदमी,
दूसरी तरफ उन्ही
के सरकार का बाहुबली मंत्री मीडिया में कहता है कि दिक्कत होती
तो तबादला नहीं
करा देता! अब यहां सवाल खड़ा
होना लाजमी है कि दिक्कत होने या कोई नौबत आने पर तबादला करवा
दिया जाता! तो इसके क्या मायने
हो सकते हैं?
इसके तो यही मायने निकाला जा सकता है कि ईमानदारी से काम करना, जिससे किसी
शासित दल के नेता, मंत्री या विधायक पर अंगुली उठे। या तो उसे मोड दिया
जाए या तोड दिया जाए!
बात यहीं खत्म नहीं होती है सी0
ओ0 के
हत्या का
एफ. आई.
आर. तब
दर्ज होता
है जब
उसके पत्नी
के द्वारा
शव लेने
से इंकार
कर दिया
जाता है!
पुलिस महकमा
के लिए
इससे बड़ी
शर्मिंदगी की क्या बात हो
सकती है
कि उसके
एक जांबाज
व ईमानदार
अधिकारी की
हत्या होती
है और
उसके हत्या
का मामला
तब दर्ज
होता है
जब उसकी
पत्नी द्वारा
शव लेने
से इंकार
कर दिया
जाता है!
बावजूद इसके
प्रदेश के
मुखिया प्रदेश
में कानून
का राज
होने का
दंभ भरते
हैं। आखिर कानून के राज का वो परिन्दा है कहां? जिसके
होने का दावा बारहा प्रदेश के मुखिया द्वारा किया जा रहा है? अगर सपा के तकरीबन साल
भर के राज में कानून व्यवस्था पर गौर फरमाया जाए तो बकौल सी0एम0 वो भी सदन में भारतीय
जनता पार्टी के सतीश महाना और पीस पार्टी के मोहम्मद अयूब और एक अन्य सदस्य लोकेन्द्र
सिंह के सवाल के लिखित जवाब में कहा कि पिछले साल मार्च से दिसंबर 2012 तक राज्य मे
27 साम्प्रदायिक दंगे हुए। सी0एम0 ने पिछले 15 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
वह चन्द रोज बाद अपनी सरकार का पहला साल पूरा करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मथुरा, बरेली
और फैजाबाद में बड़े दंगे हुए। बरेली और फैजाबाद में धार्मिक असहिष्णुता के कारण और
मथुरा में विविध कारणों से दंगे हुए।
अब सवाल ये खड़ा होता
है कि
इन सभी
हंगामा खेज हालात के बावजूद किस
कानून व्यवस्था
के राज
ही बात
की जा
रही है?
सी0एम0
साहब को
पता होना
चाहिए कि
सरकार में
जब तक
आपराधि प्रवित्ती
के लोग
रहेंगे तब
तक कानून
व्यवस्था की
बात करना
बेमानी होगा!
आप खुद
देख सकते
हैं कि
किस तरफ
पशु तस्कर का स्टिंग आपरेशन करने पर एक एस0 पी0 को पैदल कर दिया जाता है, सी0एम0ओ0
का अपहरण करने के आपरोप से बरी कर फिर एक आपराधिक चरित्र वाले नेता को मंत्री का ताज
पहनाया जाता है! आखिर क्या जरूरत आन पड़ी है कि आपराधि छवि के लोगों को मंत्रीमण्डल
में शामिल किया जाए? सी0एम0 साहब प्रदेश की जनता ने आपको बहुमत बड़े आस व उम्मीद से
दिया है। ताकि उसके हर कदम पर आपकी सरकार साथ खड़ी दिखाई दे। वर्ना अभी ज्यादा वक्त नहीं
गुजरा है बसपा को सकार से बेदखल किए हुए जनता को। आखिर इस लचर कानून व्यवस्था के बल
पर किस मुंह से आप दिल्ली जाने का समर्थन हासिल कीजिएगा? आपके शासन का यह रवैया कहीं
नेता जी के सपनों को ना तोड़ दे? वही सपना जो दिल्ली का है, पी0एम0 का!
-एम. अफसर खां सागर
1 comments:
सरकारी अमला महफ़ूज़ न रहे तो आम आदमी ख़ुद को कैसे महफ़ूज़ महसूस करें ?
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