एक लेखक चुनौती दे रहे हैं.
उनका ऐतराज़ है कि ज़ाकिर नाइक चुनौती देते हैं.
अब वह खुद चुनौती दे रहे हैं. ज़ाकिर नाइक की जिस बात पर उन्हें ऐतराज़ है, वही काम खुद कर रहे हैं. यानि वह ज़ाकिर नाइक के प्रभाव में आ गये हैं ?
हम ज़ाकिर नाइक साहब के प्रोग्राम नहीं देखते लेकिन वह भाई देखते हैं और दस बीस लोगों को पुनः ईश्वर का आज्ञाकारी  (अरबी में मुस्लिम) बनते देख कर बेचैन हो जाते हैं .
क्यों ...?
...क्योंकि वह 'शैतान को सच्चा धार्मिक' मानते हैं. उनकी बेचैनी से पता चलता है कि ज़ाकिर नाइक साहब के मनन-कथन से शैतान के हिमायतियों का काम डिस्टर्ब हो रहा है.
भ्रम जाते ही ब्रह्म की प्राप्ति हो जाती है. यही मानव जीवन का उद्देश्य है.
चुनौती देने वाला बताये कि इंसान क्या करे और क्या न करे ?
मनुष्य का व्यक्तिगत और सामूहिक हित किन कामों को करने में है ?
...और ऐसा वह शैतान के उसूलों पर बताये , जिसे वह सच्चा धार्मिक मानता है. उसके ऐसा बताते ही पता चल जायेगा कि धार्मिक व्यक्तियों को शैतान चुनौती तो दे सकता है और उनके मन में शक भी डाल सकता है लेकिन वह 'ईश्वर के नियमों की पाबंदी' नहीं कर सकता.
शैतान चुनौती देता है तो धर्म का पालन करने वाले उसकी बे-हक़ीक़त चुनौती पर वक़्त खर्च करने के बजाय बस इतना कह देते हैं कि इसे धर्म का पता नहीं है. यह बेचारा तो शैतान को सच्चा धार्मिक मानता है.
जिसे बुनियादी बात की भी जानकारी न हो, उससे शास्त्रार्थ करके हासिल क्या होगा , सिवाय वक़्त की बर्बादी के ?
इसलिए ईश्वर की आज्ञा मानते रहो और उसे जन-जन तक पहुंचाते रहो ताकि कल्याण सबका हो.
ज्ञान को केवल अपने समुदाय तक सीमित रखना जुर्म और पाप है.
सब पढ़ें और सब बढ़ें.
सरकार भी यही कहती है.
किसी की चुनौती सचमुच ध्यान देने के लायक हो तो धार्मिक जन उस पर प्रॉपर ध्यान भी देते हैं.
हम ऐसे सभी धार्मिक जनों के आभारी हैं जिनके कारण शैतान परेशान है.
जिसे बुनियादी बात की भी जानकारी न हो, उससे शास्त्रार्थ करके हासिल क्या होगा , सिवाय वक़्त की बर्बादी के ?
इसलिए ईश्वर की आज्ञा मानते रहो और उसे जन-जन तक पहुंचाते रहो ताकि कल्याण सबका हो.
ज्ञान को केवल अपने समुदाय तक सीमित रखना जुर्म और पाप है.
सब पढ़ें और सब बढ़ें.
सरकार भी यही कहती है.
किसी की चुनौती सचमुच ध्यान देने के लायक हो तो धार्मिक जन उस पर प्रॉपर ध्यान भी देते हैं.
हम ऐसे सभी धार्मिक जनों के आभारी हैं जिनके कारण शैतान परेशान है.
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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