कांग्रेस के दौर में महंगाई और करप्शन इतना बढ़ा कि वह जनता के बीच अलोकप्रिय हो गई। कांग्रेस के पास कोई ऐसी वजह नहीं है कि वह लोगों से वोट मांग सके। एक ऐसे समय में जबकि कांग्रेस को उसके गठजोड़ी दल खा चुके थे, उसे जीवनदान दिया है भारतीय जनता पार्टी ने।
भारतीय जनता पार्टी ने नरेन्द्र मोदी भाई साहब को अपने चुनाव प्रचार मंडल का अध्यक्ष बना दिया। मोदी जी ने गुजरात दंगों पर दुख जताकर अपनी संवेदनशीलता का परिचय देना चाहा लेकिन कांग्रेस ऐसा कैसे होने दे सकती है 
उनके जिस बयान को अच्छे अर्थ में लिया जा सकता था, उसे भी कांग्रेसी नेताओं ने बुरे अर्थ में प्रचारित किया। राजनीति में ऐसा होता ही रहता है।
मोदी जी संयम रखते तो उनके लिए बेहतर होता। वह भड़क गए। उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए ‘बुरक़े‘ का ज़िक्र भी कर दिया। इस तरह उन्होंने एक बड़ी ग़लती की और मुसलमानों की कल्चर के प्रतीक को कांग्रेस से जोड़कर उन्होंने मुसलमानों को जबरन ख़ुद से दूर और कांग्रेस के क़रीब कर दिया।
उनके इस तरह के बयान के बाद उग्र हिंदुत्ववादी युवा कांग्रेस के साथ इसलाम और मुसलमानों पर भी पिल पड़े। इसमें उन्होंने जो बदतमीज़ियां कीं, उन्हें सामान्य हिन्दू भी पसंद नहीं करते। इस तरह उनके बयान के बाद उनसे सिर्फ़ मुसलमान ही नहीं बल्कि सामान्य हिन्दू जनता भी दूर हो गई। यह तो उनका नुक्सान हुआ।
अब लाभ की बात करें तो उग्र हिन्दुत्वादी तबक़े में उनकी लोकप्रियता पहले से ज़्यादा बढ़ गई है। यह वह तबक़ा है जो कि पहले ही उनसे जुड़ा हुआ है। लाभ कुछ नहीं हुआ और नुक्सान ज़्यादा हो गया। इसीलिए नीतीश कुमार जी ने कहा है कि पिल्ले और बुरके के बयान चुनाव में वोट नहीं दिला सकते।
नीतीश कुमार जी की बात को पहले गंभीरता से नहीं लिया गया तो अब कौन लेगा लेकिन सीनियर भाजपा नेता यशवन्त सिन्हा ने भी मोदी जी को कम बोलने की सलाह दी है। इस पर एल. के. आडवाणी जी की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। नीतीश कुमार की तरह वह भी नहीं चाहते थे कि नरेन्द्र मोदी जी को इतना आगे लाया जाए। उनकी चाहत को उनकी महत्वाकांक्षा मान लिया गया। उग्र हिन्दु युवाओं ने सोचा कि बड़े मियां ख़ुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं।
हक़ीक़त यह थी कि वह भाजपा को सत्ता में लाना चाहते थे और वह जानते थे कि ऐसा तब तक संभव नहीं है जब तक कि मुसलमानों और उदारवादी हिन्दुओं को साथ न लिया जाए। वह इसी के लिए कोशिशें कर रहे थे लेकिन उनकी सारी कोशिशों में उनके संघ ने ही पलीता लगा दिया। 
जैसे जैसे मोदी जी उग्र हिन्दुत्व की लहर लाते जाएंगे, वैसे वैसे वह ख़ुद को सत्ता से दूर करते चले जाएंगे। जो कांग्रेस चाहती है, उसे मोदी जी ख़ुद ही संपन्न कर रहे हैं।
लोग सवाल यह उठा रहे हैं कि 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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