मुसलमान होने के लिए इतना काफ़ी नहीं है कि उनसे किसी को नुक्सान न पहुंचे बल्कि लाज़िमी है कि उनके संपर्क में आने वालों को उनसे नफ़ा भी पहुंचे The real muslim

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  • Saturday, February 19, 2011
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  • DR. ANWER JAMAL
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  • ईमानदारी की मिसाल
    अमेरिका। ईमानदारी की यह मिसाल अमेरिका में क़ायम हुई है। न्यूयॉर्क के जॉन जेम्स टैक्सी में क़रीब एक लाख डॉलर के गहने और कैश भूल गए थे। उन्होंने सोचा कि वे अब अपना माल कभी प्राप्त नहीं कर पाएंगे। फिर भी टैक्सी ड्राइवर की ईमानदारी की बदौलत उन्हें उनका माल वापस मिल गया है।
    न्यूयॉर्क के 42 वर्षीय टैक्सी ड्राइवर जूबिरा जालोह ने जेम्स को नेशनल आर्ट्स क्लब पर छोड़ा था। जेम्स अपना बैग टैक्सी में ही भूल गए। अगली सवारी को बैठाते समय जूबिरा की नज़र बैग पर पड़ी और वे उसे संभालकर घर ले गए। घर में उन्होंने अपनी पत्नी को क़िस्सा बताया और बच्चों की पहुंच से दूर बैग को अलमारी में रख दिया।
    बैग में जेम्स का कुछ मशहूर लोगों के साथ फ़ोटो भी था। इसलिए उन्हें भरोसा था कि नेशनल आर्ट्स क्लब और न्यूयॉर्क टैक्सी कमीशन की मदद से वे जेम्स को तलाश लेंगे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मैं मुसलमान हूं और अमानत में ख़यानत करना मेरे ईमान के खि़लाफ़ है। इस्लाम के अनुसार यह दूसरे इंसान के मांस खाने जैसा है। उन्होंने जेम्स को तलाशा और उनका सामान लौटाया। जूबिरा को एक हज़ार डॉलर का ईनाम दिया गया, जो उन्होंने स्वीकार किया। उन्हें वैलेंटाइन डे पार्टी में शामिल होने का क्लब ने न्योता दिया, जो उन्होंने अस्वीकार कर दिया, क्योंकि इस मौक़े पर वहां शराब परोसी जाती है और मदिरा सेवन उनके उसूलों के खि़लाफ़ है।
    कल्पतरू एक्सप्रेस, मथुरा, दिनांक 19 फ़रवरी 2011, पृ. 15
    इस्लाम की तालीम को सही तौर पर समझा जाए तो समाज में ईमानदार लोग वुजूद में आते हैं जिनकी ज़रूरत हरेक ज़माने में हरेक इलाक़े के लोगों को रही है और जो चीज़ ज़माने की ज़रूरत होती है उसे ज़माने की कोई ताक़त कभी मिटा नहीं सकती। मुसलमानों को चाहिए कि वे अपने कुरआन को समझें , पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब स. की ज़िंदगी को आदर्श और कसौटी बनाकर खुद को जांचें और निखारें। तब उनकी ज़िदगी निखरती और संवरती चली जाएगी, उनकी ज़िंदगी खुद उनके लिए भी आसान हो जाएगी और वे दूसरों के लिए भी नफ़ा पहंचाने वाले बन जाएंगे। मुसलमान होने के लिए इतना काफ़ी नहीं है कि उनसे किसी को नुक्सान न पहुंचे बल्कि लाज़िमी है कि उनके संपर्क में आने वालों को उनसे नफ़ा भी पहुंचे। यह एक अच्छी ख़बर है और उस देश से आई है जहां राजनैतिक खुदग़र्ज़ियों की ख़ातिर इस्लाम को बदनाम करने और मुसलमानों पर डेज़ी कटर जैसे छोटे परमाणु बम छोड़ने वालों का राज है लेकिन ईमान की ताक़त परमाणु बम की ताक़त से ज़्यादा होती है। वह समय क़रीब है कि जब अमेरिका के प्रपंच का बेअसर हो चुका होगा और लोग जान लेंगे कि ईमानदारी और सच्चरित्रता के लिए अपने पालनहार की सृष्टि योजना को जानना बेहद ज़रूरी है जो कि आज ठीक तरह से कुरआन के अलावा कहीं भी मौजूद नहीं है।

    6 comments:

    एस एम् मासूम said...

    बेहतरीन लेख़ अनवर भाई

    Taarkeshwar Giri said...

    What do u want

    DR. ANWER JAMAL said...

    @ जनाब मासूम साहब ! आपका शुक्रिया !

    DR. ANWER JAMAL said...

    @ भाई तारकेश्वर गिरी जी ! जनाब मासूम साहब भी जौनपुर के हैं और आपका ताल्लुक़ भी जौनपुर से है । जब मासूम साहब समझ गए कि हम क्या चाहते हैं तो फिर आप क्यों नहीं समझ पाए कि हम चाहते हैं लोग ईमानदार बनें और शराब आदि हराम चीजों का इस्तेमाल न करें और इस काम को सबसे पहले मुसलमान करें ।

    Safat Alam Taimi said...

    डा0 अनवर जमाल साहब अच्छी सूचना दी है आपने। और यही इस्लाम की शिक्षा है, हर मुसलमान को ऐसा ही होना चाहिए।

    Taarkeshwar Giri said...

    जनाब अनवर साहेब.
    भारत मैं रहने वाला हर मुसलमान कंही ना कंही कुरान कि अनदेखी जरुर करता हैं. मसलन जैसे कि आपने खुद ही कहा कि शराब आदि का सेवन बंद करे और इसकी पहल सबसे पहले मुसलमान ही करे.

    बहुत बढ़िया बात कही हैं अपने मैं आप का समर्थन करता हूँ.

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