कोंग्रेस के मुंह पर जूता ............
कोंग्रेस के मुंह पर जूता ............कोंग्रेस कार्यालय में प्रेस्कोंफ्रेंस के दोरान अचानक इस घटना असे कोंग्रेस के नेता जनार्दन द्विवेदी और म्निश्तिवारी सहित सभी मिडिया कर्मी भोचाक्के रह गए और ..और राजस्थान के एक अख़बार का खुद को संवाददाता बताने वाला सुनील जनार्दन द्विवेदी की झुंट सुनकर इतना बोखला गया के मंच के पास जाकर उनको अदब के साथ जूता दिखा डाला ....जो तस्वीरे सामने आई है उनसे तो यही लगता है के कथित पत्रकार सुनील जनार्दन जी को जूता नहीं मरना चाहता था उसे खुद ने सहमी हुई हालत में जूता दिखाया है जिसे बाद में अलग कर दिया गया सवाल यह उठता है के ऐसी नोबत आखिर क्यूँ आई .......कोंग्रेस जो सुलझी हुई कोंग्रेस है जो बुद्धिजीवियों की पार्टी मानी जाती है वोह भ्रस्ताचार और कालेधन की मन करने पर इतने खफा हो गए है के साधू संतों को इन सब कम से अलग रहने की बात कहने लगे हैं ........आज सब जानते हैं के जब जब सिंघासन बेईमान होता है तब तब देश को साधुसंत ही बचाते हैं इससे भी खतरनाक और हास्यास्पद बात यह है के कोंग्रेस भ्रस्ताचार और कालेधन की बात करने पर दंगे भडकाने की कोशिश कहती है अब आप ही बताएं क्या भ्रस्ताचार ,कालाबाजारी.लोकपाल बिल जाति सम्प्रदाय से सम्बंधित है जो इस पर दंगे होगे ...क्या किसिस साधू संत को रास्थ्र हित में कोई बात करने का हक नहीं है अगर ब्ब्रश्ताचार की बात काले धन की बात दुश्मन भी करे तो उसे मानना चाहिए ..सरकार ने द्विवेदी के माद्यम से लोकपाला बिल पर भी अपनी मंशा साफ कर दी है और साफ कहलवा दिया है के अन्ना और बाबा आर आर एस एस के एजेंट है और इन हालातों में अन्ना और बाबा जेसे लोगों से सख्ती से निपटने की भी चेतावनी दी गयी है अब कोंग्रेस का यह कृत्य चोरी और सीना जोरी वाला नहीं तो क्या है लेकिन इस माहोल में जुटे वाले सुनील भाई साहब ने कोंग्रेस के प्रति सिम्पेथी पैदा करवा दी है क्योंकि लोकतंत्र में जुटे चप्पल की राजनीति की कतई मानयता या इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि यह राजनीती इधर हुई है तो उधर भी हो सकती है और फिर अराजकता की स्थिति पैदा हो सकती है ..................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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