सत्य और श्रेष्ठ मार्ग - Dr. Anwer Jamal


आज नेता निश्चिंत हैं और अदालतें सुस्त हैं। नौकरशाह मज़े कर रहे हैं और मोटा माल कमाकर अपने बच्चों को आला तालीम दिला रहे हैं। पढ़-लिखकर वे भी मोटा माल कमाएंगे। पूंजीपति राजाओं की तरह बसर कर ही रहे हैं। आम जनता की रोज़ी-रोटी, शिक्षा और सुरक्षा सब कुछ अनिश्चित है।
साल भर हो चुका है। 8 मई आई और गुज़र गई किसी ने याद नहीं किया कि  8 मई 2010 सोमालिया के लुटेरों ने देश के 22 नौजवानों को पकड़ लिया था। आज तक उन्होंने छोड़ा नहीं और हमारे पक्षी-विपक्षी नेताओं ने उन्हें छुड़वाया नहीं। यहां गाना बजा रहे हैं ‘यह देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का‘ और मलाई चाटने वाले नाच रहे हैं। उनके समर्थक कह रहे हैं कि यह राष्ट्रवाद है।कभी इस देश का हाल यह था कि रानी लक्ष्मीबाई ने ज़नाना लिबास उतार कर मर्दाना लिबास पहन लिया और घोड़े पर बैठकर दुश्मन की तरफ़ हमला करने भागीं और आज यह आलम है कि जो लड़ने निकला था भ्रष्टाचारियों से वह मर्दाना लिबास उतार ज़नाना लिबास में लड़ाई के मैदान से ही भाग निकला और फिर औरतों की ही तरह वह रोया भी।आज जिसके पास चार पैसे या चार आदमियों का जुगाड़ हो गया। वह एमपी और पीएम बनने के सपने देख रहा है। पहले तो केवल भ्रष्टाचारी और ग़ुंडे-बदमाश ही नेतागिरी कर रहे थे और फिर हिजड़े और तवायफ़ें भी नेता बन गए। उसके बाद अब समलैंगिक भी नेता बनकर खड़े हो रहे हैं कि देश को रास्ता हम दिखाएंगे।आप एक बार देश के सभी नेताओं पर नज़र डाल लीजिए। उनमें सही लोगों के साथ-साथ ये सभी तत्व आपको नज़र आ जाएंगे।जनता इन सबसे आजिज़ आ चुकी है।

यह देश धर्म-अध्यात्म प्रधान देश है तो यहां सबसे बढ़कर शांति होनी चाहिए।
अगर हम विभिन्न मत और संप्रदायों में भी बंट गए हैं और अपने अपने मत और संप्रदाय को सत्य और श्रेष्ठ मानते हैं तो हमें एक ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पित रहते हुए शांति और परोपकार के प्रयासों में एक दूसरे से बढ़ निकलने के लिए भरपूर कम्प्टीशन करना चाहिए।अपने देश और अपने समाज को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को बचाने का तरीक़ा आज इसके सिवा कोई दूसरा है नहीं। मैं इसी तरीक़े पर चलता हूं और आपको भी इसी तरीक़े पर चलने की सलाह देता हूं।आप अपने दीपक ख़ुद बन जाइये, मार्ग आपके सामने ख़ुद प्रकट हो जाएगा। तब आप चलेंगे तो मंज़िल तक ज़रूर पहुंचेंगे और कोई भी राह से भटकाने वाला आपको भटका नहीं पाएगा। आपकी मुक्ति, आपके ज्ञान और आपके पुरूषार्थ पर ही टिकी है। किसी और को इससे बेहतर बात पता हो तो वह हमें बताए !

2 comments:

Narendra Singh Gautam said...

आप अपने दीपक ख़ुद बन जाइये, मार्ग आपके सामने ख़ुद प्रकट हो जाएगा।
Jamal bhai jara khul kar bataye ki apna dipak khud ban jaiye, kkaise kya khud jalna shuru kar doo, na tel na baati na aag, yeh kaise mumkin hai.
Deepak jab tak nahi jab tak bartan jisme tel aur baati phir agni (temp) kitne chaar hue na
These are four noble truth
1. Dukkha
2. Dukkha ka karan
3. Dukkha ka Niwaran
4. Eightfold path ko follow karke aap dukkho ko minimise kar sakte ho.

when someone will follow and practice then it will help not by just knowing

DR. ANWER JAMAL said...

@ अन्जाने भाई ! ‘आप हमसे पूछते हैं कि अपना दीपक आप हो जाने से का क्या तरीक़ा है ?‘
जवाब: अपने दीपक आप बनने से मतलब यह है कि किसी से कोई ज्ञान ज़रूर लो लेकिन अपनी बुद्धि का इस्तेमाल ज़रूर करो। जो भी बात लो, पहले उसे तौलो और परखो तब उसके अनुसार व्यवहार करो।
आपने गौतम बुद्ध जी की मिसाल दी है।
सामान्य गृहस्थ आदमी के लिए उन्होंने कमाने और ख़र्च करने के लिए अपने आचरण से क्या उदाहरण पेश किया है ?
या अपने उपदेशों में सामान्य समाज को किस तरह रहना सिखाया है ?
आप यह देखें, उनसे आपकी समस्या हल होती है तो उसे लें और अगर उनसे हल नहीं होती है तो कहीं और ले लें।
अपनी समस्या का हल आपको अपनी अक्ल की रौशनी में ही तलाश करना पड़ेगा। यही है अपना दीपक आप हो जाना।
गौतम बुद्ध ज़िंदगी भर यही कोशिश करते रहे। उनकी कोशिश को अब आपको और आगे बढ़ाना होगा।

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