शालिनी कौशिक एडवोकेट हिंदी ब्लॉग जगत के लिए एक जाना पहचाना नाम है।
शालिनी जी ‘हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल‘ की लीगल एडवाइज़र भी हैं। बहुत सी प्रतियोगिताओं में आपने भाग लिया है और सफलता भी पाई है। हरेक सकारात्मक काम में यह शरीक रहती हैं और यही वजह है कि हर जगह इन्हें सम्मान हासिल है और इनकी बात पर ध्यान दिया जाता है।
‘हिंदी ब्लॉगिंग गाइड‘ की तैयारी में भी आपने हर तरह सहयोग दिया है और एक लेख भी इस गाइड के लिए लिखा है। आज वही आपके लिए पेश किया जा रहा है। उम्मीद है कि आप भी उसे मुनासिब ध्यान देंगे।
-------------------------ब्लॉगिंग के फ़ायदे
लेखन का शौक ,यदि मैं याद करने की कोशिश करूँ तो बहुत याद करने पर भी कोई निश्चित वर्ष या समय मैं इसका नहीं बता सकती हाँ इतना याद अवश्य आता है की कक्षा ६ से ही मैंने अपने विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर भाषण देने आरम्भ कर दिए थे और ये भाषण मैं स्वयं पुस्तकों की सहायता से तैयार करती थी .मेरे इस कार्य की सराहना होती गयी और मेरा उत्साह बढ़ता गया .
कक्षा ९ व् १० की गृह्परीक्षा मेरे लिए बहुत उत्साह वर्धक समय था .कक्षा ९ में चन्द्र शेखर आज़ाद से सम्बंधित प्रश्न में मैंने उन पर आधारित खंड काव्य की निम्न पंक्तियाँ उद्धृत की -
''मोटर गाड़ी की सीखी थी ड्राईवरी और पैसे की खातिर मठाधीश के शिष्य बने ,
इस देश प्रेम ने क्या क्या नहीं बनाया था आज़ाद वीर को वह अति तुच्छ विशिष्ट बने.''
एक और -
पूछा उसने क्या नाम बता ,'आज़ाद'
पिता को क्या कहते? 'स्वाधीन' पिता का नाम
और बोलो किस घर में हो रहते?
पिता को क्या कहते? 'स्वाधीन' पिता का नाम
और बोलो किस घर में हो रहते?
कहते हैं जेलखाना जिसको वीरो का घर है,
हम उसमें रहने वाले हैं उद्देश्य मुक्ति का संघर्ष है.
ये पढ़ कर मेरी शिक्षिका वर्मा मैडम इतनी खुश हुई की उन्होंने मुझे ३३ में से ३२ अंक दिए और सारी कक्षा के सामने मेरी तारीफ भी जम कर की
ऐसे ही कक्षा १० में गृह परीक्षा में तुलसीदास जी की जीवनी लिखनी थी और मैंने [जिसके लिए कॉपी भरना बेहद कठिन कार्य था] उन पर १०-१२ पन्ने लिखे जिससे मेरी शिक्षिका सुरेश बाला गुप्ता मैडम जी ने मेरे इस लेखन की विद्यालय और अपने घर पर खूब प्रशंसा की .
जैसे कि आप सभी को पता है की प्रशंसा व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है ऐसे ही मुझे भी किया . बी.ए.में आने पर मैंने राष्ट्रीय सहारा समाचार पत्र में पत्र भेजा और मेरा वह पत्र छप गया . यह मेरे द्वारा लिखा गया पहला पत्र था और पत्र का शीर्षक था , 'दूर दर्शन का हिंदी ज्ञान'.इस तरह अमर उजाला , दैनिक जागरण, हिंदुस्तान आदि में मेरे १००-१५० पत्र छपे होंगे और मेरी लेखन क्षुधा को बढ़ने के लिए यह पर्याप्त था और वह बढ़ती भी जा रही थी किन्तु कहीं से भी यह समझ नहीं आ रहा था कि यदि मुझे अपने बड़े आलेख छपवाने हों तो मैं कैसे छपवाऊं ?
एक दिन इसका रास्ता भी मुझे समाचार पत्रों ने दिखाया और वह रास्ता था 'ब्लॉग लेखन'.
इस तरह से मेरे जीवन में ब्लोगिंग का प्रवेश हुआ और इसके जो फायदे मुझे दिखाई दिए वे ये हैं-
१-हमारा मन हमारे आस पास की गतिविधियों, दूर दराज़ की घटनाओं के विषय में बहुत कुछ सोचता है और उसे अभिव्यक्त करने को मचलता है. ब्लॉगिंग हमारी इस अभिव्यक्ति के लिए एक मंच प्रदान करती है .
२-आज की ज़िन्दगी दौड़-भाग भरी है. हम अपने कामों में इतने व्यस्त रहते हैं कि शेष दुनिया से जुड़ने का वक़्त नहीं मिलता. ब्लॉगिंग के ज़रिये हम देश दुनिया के विद्वानों से घर बैठे मिल सकते हैं और अपने आलेखों कविताओं की कमियों को भी उनकी टिप्पणियों के माध्यम से जान कर दूर कर सकते हैं.
३-आपने खुद महसूस किया होगा कि जब हम ख़ाली होते हैं तो कितना समय बेवजह की निंदा में व्यय करते गंवाते हैं जिसका कोई मतलब नहीं होता और ज़्यादातर ऐसा करने के बाद हमें खुद भी अच्छा महसूस नहीं होता किन्तु ब्लॉगिंग ऐसा कार्य है जिसे करने के बाद मन प्रफुल्लित हो उठता है क्योंकि इसमें अधिकांशतया हम जो बातें करते हैं , जो भावना अभिव्यक्त करते हैं वह विभिन्न समस्याओं , सर्वहित से जुडी होती हैं और इससे हमें आत्मसंतुष्टि मिलती है .
4-ब्लॉगिंग में किसी भी मुद्दे पर ब्लोगर की राय द्वारा हमें बहुत ही सहज रूप से यह ज्ञात हो जाता है कि वर्तमान में जनमत का झुकाव किस ओर है.
५-ब्लॉगिंग द्वारा हम समान अभिरुचि वाले ब्लॉगर्स से जुड़ते हैं ओर उनसे अपने विचार साझा करते हैं जबकि ऐसा सुअवसर बहुत सी बार हमें हमारे परिवार व समाज तक में नहीं मिल पाता .
६-इसके माध्यम से हमारी भाषा भी समृद्ध होती है ओर यदि हम किसी विषय में ग़लत राय रखते हैं तो वह भी सुधर जाती है.
और अधिक क्या कहूं ब्लॉगिंग में मुझे लाभ ही लाभ दिखते हैं, यह मेरा तनाव दूर करती है, मेरा जीवन खुशियों से भर देती है और इसके लिए तो मैं कबीरदास जी के शब्दों में यही कहूँगी-
लाली मेरे लाल की जित देखूं तित लाल,
लाली देखन मैं चली मैं भी हो गयी लाल.
शालिनी कौशिक एडवोकेट
8 comments:
शुभ कार्य है. शुभकामनाएँ.
mere bare me badha chadha kar vivran dene ke liye shukriya par ye bhi satya hai ki yadi yahan aap jaise bade blogar ka sahyog mujhe nahi milta to main ek din bhi yahan nahi tik sakti thi.mera lekhan kitna sashakt hai ise lekar main kisi bhi galatfahmi ko nahi palti.aabhar.
shalini ji apne anubhav hamse sajha kar hamara bloging me margdarshan karne ka shubh karya kiya hai .aabhar
sach aur sahi kahaa ..hamesha sabke liye raaste itne aasaan nahi hote ...par ye bhi ty hai ki har koi alag akela unique hai ...aapko bahut bahut badhaaee ...
hindi blogging guide ke ye lekh ati uttam hai...
aasha hai sare bloggers ko Shalini ji ke anubhav se jaroor koi nayi seekh milegi...
utsah vardhan hetu bhshan ji,shikha ji,sharda ji aur mahesh ji aap sabhi ka bahut bahut aabhar.
May the tribe grow -- यही कामना है॥
prerak aur sarahneey ...
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