स्कूल की स्पेलिंग क्या होती है? एससीएचओओएल या फिर एसकेयूएल? पहली स्पेलिंग किताबी है और दूसरी इंटरनेट पर प्रचलित यूनिकोड फौंट में ट्रांसलिटरेशन की. इंटरनेट पर किताबी स्पेलिंग नहीं चलती. यह पूरी तरह शब्दों के उच्चारण से उत्पन्न होने वाली ध्वनि पर आधारित होती है. यह पूरी तरह वैज्ञानिक है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य भी. लेकिन कल रांची के जिला शिक्षा पदाधिकारी की मौजूदगी में एडमिशन टेस्ट के दौरान जब एक बच्ची ने पूछे गए शब्दों की स्पेलिंग इंटरनेट की भाषा के आधार पर बताई तो डीईओ साहब पूरी तरह उखड गए. उन्होंने शिक्षकों को बेतरह फटकार लगायी. नप जाने की धमकी डी. बच्ची को भी पढाई पर ध्यान देने को कहा. हांलाकि उसका एडमिशन ले लिया गया. रांची के एक सम्मानित दैनिक अखबार ने इस प्रकरण पर खूब चटखारे ले-लेकर छः कॉलम की एक खबर बनायीं. उसमें एक कार्टून भी डाला.
अरे भई साधो......
Posted on Wednesday, June 29, 2011 by devendra gautam in
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