ब्लॉगर्स मीट वीकली 6 की ख़ास बात यह है कि इसमें बहुत आसान अल्फ़ाज़ में बता दिया है कि ज़िंदगी की हक़ीक़त असल में क्या है ?
इसी के साथ हिंदी ब्लॉगिंग गाइड के 31 मज़ामीन भी नज़्रे अवाम किए गए हैं.
अन्ना इस मीट में भी छाये रहे, अन्ना ने जितना बड़ा आंदोलन खड़ा किया और जिस तरह जनता ने उनका साथ दिया वह बेनज़ीर है लेकिन जाने हमें अब भी यही लगता है कि सरकार जनता के साथ फ़रेब से काम ले रही है.
पत्रकार भी झूठ का सहारा ले रहे हैं.
मीट में इस मौज़ू पर भी कई मज़ामीन हैं.
http://hbfint.blogspot.com/2011/08/6-eid-mubarak.html
एक शेर जो हमें पसंद आया वह यह है
फ़लक के चांद को मुश्किल में डाल रखा है
ये किसने खिड़की से चेहरा निकाल रखा है 'बुनियाद' पर कुछ उम्दा शेर
5 comments:
अयाज जी
आप या तो अनवर जी के शागिर्द हैं या उनकी पोस्ट को बहुत ध्यान से पढते हैं .आपकी पोस्ट और अनवर जी की पोस्ट में काफी समानता रहती है .कभी कभी तो भ्रम हो जाता है कि ये आप लिख रहे हैं या अनवर जी .आपके द्वारा प्रस्तुत पोस्ट सोने पर सुहागा ही है मतलब एक तो ब्लोगर मीट वीकली और उस पर आपकी पोस्ट .ईद की अग्रिम शुभकामनायें .आपको भी और अनवर जी को भी .
@ वकील साहिबा की स्कॉलर बहन शिखा कौशिक जी ! ध्यान से तो हम आपकी पोस्ट भी पढ़ते हैं लेकिन कमेंट से थोड़ा बचते हैं क्योंकि कई बार इस कमेंट की वजह से ग़लतफ़हमियां और झगड़े खड़े हो गए हैं।
हम अनवर जमाल साहब के शागिर्द नहीं हैं लेकिन उनके साथी हैं।
लखनऊ में जब उन्हें अवार्ड से नवाज़ा गया तो हम तब भी उनके साथ ही गए थे क्योंकि वह और हम एक ही शहर में रहते हैं और हम दोनों एक ही मक़सद के लिए ब्लॉगिंग करते हैं लेकिन हमने बहुत कम कर दिया था। उन्होंने फिर आवाज़ दी तो हम मुतहर्रिक हो गए।
वेद कुरआन और हिंदी फ़ोरम पर चल रही स्लाइड में भी आप हमें उनके साथ देख सकती हैं।
आप हमें ग़ौर के साथ पढ़ती हैं, यह देखकर अच्छा लगा।
अभी हमारे एक साथी डा. असलम क़ासमी भी ब्लॉग पर पोस्ट नहीं डाल रहे हैं, उन्हें देखकर तो आपको बिल्कुल भी वहम नहीं होगा कि वह और मैं एक हैं या उस्ताद शागिर्द हैं।
क्या आपने उनका ब्लॉग देखा है ?
उनकी पोस्ट का तो लिंक भी देना मुश्किल है।
डॉ.अयाज़ जी शिखा का ये कहना की आपकी और अनवर जमाल जी की लेखन शैली काफी मिलती जुलती है कुछ गलत भी तो नहीं है आखिर दोस्ती अपनी जगह है और विचारों की अभिव्यक्ति अपनी जगह .ये ज़रूरी तो नहीं की दो दोस्तों के विचार हर बात में ही मिल जाएँ .आप की तो ब्लॉग्गिंग ही सारी की सारी उनके ही ब्लोग्स के आस पास सिमटी हुई है .इसलिए हमें तो शिखा की बात में कोई गलती नज़र नहीं आती.
न छोड़ते हैं साथ कभी सच्चे मददगार
मोहतरमा हम कब ग़लत कह रहे हैं उनकी बात को ?
लेकिन आप ज़रा ग़ौर फ़रमाएं उस पोस्ट पर जो कि इस माह के शुरू में हमने तहरीर की थी और बताया था कि वक्त तंग है हमारे पास, ऐसे में हम सिर्फ़ लिंक पेश किया करेंगे अपने ब्लॉग पर और लिंक हमें मिलते हैं डा. अनवर जमाल साहब के, सो उन्हीं की पोस्ट में से काट पीट कर कुछ चिपका देते हैं अपने ब्लॉग पर.
दूसरे ब्लॉग से भी हमने लिंक उठाए हैं , जैसे कि रचना जी के ब्लॉग से और इस्लामिक वेबदुनिया और बी. एस. पाबला जी के ब्लॉग से लेकिन वे लोग हमें लिंक नहीं भेजते और जब हमारे पास पहले से ही लिंक हों तो हम क्यों ढूंढते फिरें ?
जिन जिन की पोस्ट को हमने अपने ब्लॉग पर पेश किया उनमें से कोई एक भी शुक्रिया कहने नहीं आया कि आपने बहुत अच्छा किया जो हमारा संदेश और ज़्यादा फैला दिया बल्कि रचना जी आ गई थीं ऐतराज़ जताने।
तब से हम और भी ज़्यादा बचने लगे किसी और की पोस्ट का लिंक देने से।
इनसे बढ़िया तो लावारिस ब्लॉग के पोस्ट की लिंक दे दो. कम से कम कोई लड़ने तो नहीं आएगा या फिर अपने दोस्त की पोस्ट का लिंक दे दो, कम से कम आकर शुक्रिया तो कहेगा और अपना संदेश आगे बढ़ेगा।
शांति का संदेश !!
सबसे पहले तो मैं हिन्दी ब्लॉगर्स फोरम इण्टरनेशनल के सभी पाठकों से माफी माँगता हूँ। क्योंकि मेरा नेट का ब्रॉडबैण्ड का कनेक्शन कल रात से काम नहीं कर रहा है। इसलिए एयरटेल के धीमें कनेक्शन से नेट चला रहा हूँ। मगर जिसने ब्रॉडवैंड चलाया हो उसे इससे काम करने में कितनी परेशानी होती होगी यह आप अनुमान लगा सकते हैं।
इस पोस्ट की मैं सराहना करता हूँ।
अन्ना आजाद हिन्दुस्तान के गाँधी बन चुके हैं। और बने भी क्यों न। आज पूरा देश भ्रष्टाचार से त्रस्त जो हो रहा है।
खुशियों के त्यौहार ईद की मैं सभी को ईद-उल-फितर की दिली मुबारकवाद देता हूँ।
Post a Comment