मोबाइल की घंटी बजते ही गांव में रहने वालों में ठीक वैसी ही उत्सुकता देखी जाती है जो पुराने जमाने में डाकिया आने पर होती थी। लेकिन यही मोबाइल अब कुछ लोगों के लिए बेचैनी का भी सबब बनता जा रहा है। जिनकी संतानें युवावस्था की दहलीज पर हैं वे मोबाइल की घंटी बजते ही विशेष रूप से चौकस हो जाते हैं। इस साइबर युग में अत्यंत पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में भी मोबाइल मध्यकालीन प्रेम कथाओं में पाए जाने वाले कबूतर के आधुनिक रूप में सामने आया है। तब प्रेम का अर्थ समर्पण, अंतर का सौंदर्य व विश्वास था परन्तु अब तो प्रेम किशोरावस्था में विपरीत लिंग के प्रति सहज आकर्षण मात्र है। जो एक मुकाम के बाद हताशा में तब्दील हो जाता है। इसके कारण सारण जिले के कई थाना क्षेत्रों में लड़कियों के अपहरण के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुई। इन कथित अपहरण कांडों की तह में जाने पर पता चलता है कि वास्तव में वे पहली नजर में प्यार, फिर प्रेमी के साथ फरार होने के मामले हैं जिसमें मोबाइल फोन की महत्वपूर्ण भूमिका है। कानून के जाल में फंसने के बाद लड़का पक्ष के परिजन जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिए जाते हैं। अब यह एक सामाजिक समस्या का रूप धारण करता जा रहा है। पूर्व के समय में एक-दूसरे के विचारों, भावनाओं को समझते-समझते प्रेमी युगल का काफी समय गुजर जाता था और अंत में वे शादी का फैसला लेते थे। इस तरह के प्यार में गहराई होती थी। लेकिन आज के युग में मोबाइल पर ही सारी भावनाओं का आदान-प्रदान हो जाता है और फिर मिलने का दिन तय हो जाता है। जिस दिन पहली बार प्रेमी युग मिलते हैं उसी दिन भागने की तैयारी और फिर शादी। ऐसे में न तो यह प्यार टिकाऊ होता है और न ही ऐसी शादियों की उम्र ज्यादा होती है।
छपरा के दौलतगंज निवासी व राजेन्द्र कालेज का बीसीए का एक छात्र दो-तीन महीने पहले कहीं फोन लगाया। रांग नंबर लगने पर उधर से लड़की की आवाज आई और पूछा गया- किससे बात करनी है? जवाब दिया गया- आप ही को ढूंढ रहा था। आपसे मिलने की तमन्ना है। फिर लड़की ने थोड़ी आनाकानी की। आगे बातें रोज होने लगी। मोबाइल के फ्री वाउचर वाले स्कीम का पूरा फायदा दोनों ने उठाया। मिलने का दिन तय हुआ और लड़का अपने एक दोस्त के साथ बाइक से सिवान जंक्शन जा पहुंचा। लड़की भी सिवान में बीसीए कर रही है। मोबाइल के माध्यम से ही दोनों ने एक-दूसरे को पहचाना। लेकिन मामला तब बिगड़ गया जब उसी समय लड़की ने लड़के के सामने भाग चलने का प्रस्ताव रख दिया। लड़का अभी तक इसके लिए तैयार नहीं था और बात बिगड़ गयी। मोबाइल से शुरू हुई प्रेम कहानी अंजाम तक नहीं पहुंच सकी। लेकिन सोचिए, यदि दोनों भाग जाते और शादी भी कर लेते तो ऐसी शादी कितने दिनों तक चल पाती? दोनों छात्र हैं और उनके आय का भी कोई स्रोत नहीं?
ऐसी ही मोबाइल लव स्टोरी की एक दास्तां सदर प्रखंड के डोरीगंज थाना क्षेत्र की है। थाना क्षेत्र के एक गांव की स्कूल जाने वाली लड़की अपने घर से लापता हो गयी। मामला थाने में पहुंचा तब घर के मोबाइल से उसका सुराग मिला। उसके घर के मोबाइल फोन पर रात में एक काल आया था जो पास के गांव के ही एक व्यक्ति का था। उसका लड़का भी लापता था। इस प्रकार इस मामले का उद्भेदन हुआ। इस मामले में लड़का के घर वाले फिलहाल जेल में बंद हैं।
इसी प्रकार बनियापुर थाना में भी इस प्रकार के दो मामले हाल ही में दर्ज कराये गए हैं। मैट्रिक की परीक्षा समाप्त होने के दिन जिला स्कूल परीक्षा केन्द्र से दो लड़कियां अपने प्रेमियों के साथ भाग निकली थीं जिसे पुलिस ने तत्काल पकड़ लिया और इस मामले में अपहरण की प्राथमिकी दर्ज होते-होते बची। इस प्रकार के सैकड़ों मामले केवल सारण जिले के विभिन्न थानों में दर्ज हैं। पुलिस के अधिकारी भी मानते हैं कि वास्तव में ये अपहरण के मामले नहीं होते परन्तु कानूनी उलझन के कारण ये मामले भादवि की धारा 366 या 364 के तहत दर्ज करना पड़ता है। यह अब समस्या का रूप धारण करता जा रहा है जिसका समाधान न तो पुलिस के पास है और नही कानून के पास। यह सूचना क्रांति का एक नकारात्मक पक्ष है।
प्रदेश की सरकार व समाज इस समस्या से अब भी बेखबर है। वहीं तमिलनाडु के विद्यालयों में मोबाइल ले जाने पर रोक लगा दिया गया है।
Source : http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_6360775.html
2 comments:
sahi kaha
टाईटल 'प्यार का उपकरण' जब पढ़ा,
जाने क्या सोच कर दिल मचल ही गया !
जब क्लिक कर के पहुंचा तो हैरान हूँ !!
प्यार का उपकरण अब बदल ही गया!!!
http://aatm-manthan.com
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