अल्लाह के नाम से हलफ़ उठाने पर बीजेपी भड़की
आज यहां एक प्रेस कांफ़्रेंस को संबोधित करते हुए बीजेपी की प्रदेशीय इकाई के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व उप मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि नए गवर्नर ने हलफ़ उठाते हुए संविधान को रौंद डाला है। डाक्टर अहमद झारखंड के आठवें गवर्नर हैं। उन्हें कल झारखंड हाई कोर्ट के क़ायम मक़ाम चीफ़ जस्टिस माननीय श्री पी. सी. तात्या ने शपथ दिलाई थी। मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, असेंबली के स्पीकर सी. पी. सिंह, केन्द्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय और दीगर मुमताज़ शख्सियतें इस कार्यक्रम में मौजूद थीं।
(बहवाला - राष्ट्रीय सहारा उर्दू दैनिक मुख पृष्ठ दिनांक 6 सितंबर 2011 दिल्ली)
यह है बीजेपी की असलियत
एक तरफ़ तो बीजेपी के बड़े मुस्लिम पीरों की दरगाहों पर क़ीमती चादरें चढ़ाते हुए और मुस्लिम टोपी पहनकर रमज़ान में अफ़्तार करते और कराते हुए देखे जा सकते हैं और दूसरी तरफ़ उनका हाल यह है कि उन्हें अल्लाह का नाम लेने पर भी ऐतराज़ है।
क्या भारतीय संस्कृति में ईश्वर का नाम लेने पर प्रतिबंध है ?
नहीं , भारतीय संस्कृति में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है बल्कि ऐसा करने की प्रेरणा दी गई है और कहा गया है कि
‘एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति‘
अर्थात एक ही सत्य को विद्वानों ने बहुत प्रकार से कहा है। हरेक शुभ कार्य की शुरूआत परमेश्वर के नाम से की जाए, ऐसी प्रेरणा भारतीय ऋषियों ने दी है।
बीजेपी लीडर ख़ुद को भारतीय संस्कृति की रक्षा करने वाला बताते हैं लेकिन हक़ीक़त यह है कि वे भारतीय संस्कृति को सिर्फ़ नुक्सान पहुंचा रहे है, उसका विरोध कर रहे हैं। अपनी नफ़रत और अपनी राजनीति के फेर में वे अंधे हो चुके हैं, उन्हें यह भी नज़र नहीं आ रहा है कि ‘अल्लोपनिषद‘ सहित अनेक संस्कृत ग्रंथों में भी ‘अल्लाह‘ का नाम मौजूद है।
देखिए
अल्लो ज्येष्ठं श्रेष्ठं परमं पूर्ण ब्रहमाणं अल्लाम् ।। 2 ।।
अल्लो रसूल महामद रकबरस्य अल्लो अल्लाम् ।। 3 ।।
अर्थात ’’ अल्लाह सबसे बड़ा , सबसे बेहतर , सबसे ज़्यादा पूर्ण और सबसे ज़्यादा पवित्र है । मुहम्मद अल्लाह के श्रेष्ठतर रसूल हैं । अल्लाह आदि अन्त और सारे संसार का पालनहार है । (अल्लोपनिषद 2,3)
अदालतों में आज भी हरेक आदमी को उसी की आस्था के अनुसार उसके माननीय धर्मग्रंथ पर हाथ रखकर शपथ दिलाई जाती है कि वह सत्य का पालन करेगा। तब यह काम संविधान के विरूद्ध कैसे हो जाएगा ?
आए दिन सरकारी कार्यक्रमों में सरस्वती की मूर्ति पर माला चढ़ाकर और उसके सामने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरूआत की जाती है और तब बीजेपी को कोई ऐतराज़ नहीं होता। सरकारी योजनाओं के अधिग्रहीत भूमि के भूमि पूजन करने पर और राष्ट्रीय निधि से और सामूहिक प्रयासों से वुजूद में आने वाले अस्त्र शस्त्रों के नाम भी केवल एक वर्ग विशेष के लोगों के नामों पर रखे जाते हैं, तब किसी बीजेपी लीडर को ऐतराज़ नहीं होता ?
बीजेपी ऐसा करके सय्यद अहमद साहब को या किसी मुसलमान को नहीं बल्कि ख़ुद को ही नुक्सान पहुंचा रही है। हिंदी अख़बारों में यह सूचना मुझे नज़र नहीं आई लेकिन उर्दू अख़बारों ने यह सूचना मुस्लिम अवाम तक पहुंचा दी है कि देखो ये है बीजेपी लीडरों की नफ़रत का आलम, ये तुम्हारे रब के नाम से भी चिढ़ते हैं और रब के नाम से सिर्फ़ शैतान ही चिढ़ सकता है।
क्या बीजेपी शैतानों की जमात है ?
यह बात बिना किसी के बताए मुसलमानों के दिमाग़ में पहले से ही है और समय समय पर इस धारणा को बीजेपी लीडर्स ख़ुद ही पुष्ट करते रहते हैं।
झारखंड के मुस्लिम गवर्नर ने अपने काम की शुरूआत अल्लाह के नाम से की तो उसे सराहने के बजाय विवाद पैदा करके वे मुसलमानों के दिलों में अपने लिए मौजूद संदेह को और ज़्यादा गहरा कर रहे हैं।
मज़ारों पर चादरें भेजना या रमज़ान में अफ़्तार पार्टियों का आयोजन ये लोग मुसलमानों को केवल धोखा देने के लिए करते हैं।
भगवा रंग और राम नाम का इस्तेमाल भी ये लोग इसी मक़सद से करते हैं।
ये रहीम के नहीं हैं तो क्या, ये तो राम के भी न हुए।
इसीलिए ये न घर के हुए और न घाट के रहे।
इनका यही अमल जारी रहा तो ये बीच में घूमने लायक़ भी नहीं बचेंगे।
यह ज़मीन प्रभु परमेश्वर की है, वही एक इसका अधिपति है और उसके सहस्रों नाम हैं। जो जिस भाषा को जानता है, उसे उस भाषा में उसका नाम ज़रूर लेना चाहिए। भारतीय संस्कृति यही है और यही ऋषियों का संदेश है।
शैतान के रोकने से न रूकें, अपने मालिक का नाम लेते रहें, कल्याण वही करता है और शैतान तो केवल भाई को भाई के खि़लाफ़ भड़काता है और एक का ख़ून दूसरे के हाथ कराता है।
सत्य को जानें और शांति से रहें, यही हमारा धर्म है और यही हमारा कर्तव्य है।
भारतीय संस्कृति भी यही है।
झारखंड के गवर्नर सय्यद अहमद पर संविधान की पामाली का इल्ज़ाम
जमशेदपुर (यूएनआई)। झारखंड के नए गवर्नर डाक्टर सय्यद अहमद के अल्लाह के नाम से हलफ़ उठाने पर ऐतराज़ करते हुए झारखंड की हुक्मरां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आज यह कहा कि यह चीज़ संविधान के बिल्कुल और डाक्टर अहमद को संविधान की धारा 159 के मुताबिक़ फिर से शपथ दिलाई जानी चाहिए।आज यहां एक प्रेस कांफ़्रेंस को संबोधित करते हुए बीजेपी की प्रदेशीय इकाई के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व उप मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि नए गवर्नर ने हलफ़ उठाते हुए संविधान को रौंद डाला है। डाक्टर अहमद झारखंड के आठवें गवर्नर हैं। उन्हें कल झारखंड हाई कोर्ट के क़ायम मक़ाम चीफ़ जस्टिस माननीय श्री पी. सी. तात्या ने शपथ दिलाई थी। मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, असेंबली के स्पीकर सी. पी. सिंह, केन्द्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय और दीगर मुमताज़ शख्सियतें इस कार्यक्रम में मौजूद थीं।
(बहवाला - राष्ट्रीय सहारा उर्दू दैनिक मुख पृष्ठ दिनांक 6 सितंबर 2011 दिल्ली)
एक तरफ़ तो बीजेपी के बड़े मुस्लिम पीरों की दरगाहों पर क़ीमती चादरें चढ़ाते हुए और मुस्लिम टोपी पहनकर रमज़ान में अफ़्तार करते और कराते हुए देखे जा सकते हैं और दूसरी तरफ़ उनका हाल यह है कि उन्हें अल्लाह का नाम लेने पर भी ऐतराज़ है।
क्या भारतीय संस्कृति में ईश्वर का नाम लेने पर प्रतिबंध है ?
नहीं , भारतीय संस्कृति में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है बल्कि ऐसा करने की प्रेरणा दी गई है और कहा गया है कि
‘एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति‘
अर्थात एक ही सत्य को विद्वानों ने बहुत प्रकार से कहा है। हरेक शुभ कार्य की शुरूआत परमेश्वर के नाम से की जाए, ऐसी प्रेरणा भारतीय ऋषियों ने दी है।
बीजेपी लीडर ख़ुद को भारतीय संस्कृति की रक्षा करने वाला बताते हैं लेकिन हक़ीक़त यह है कि वे भारतीय संस्कृति को सिर्फ़ नुक्सान पहुंचा रहे है, उसका विरोध कर रहे हैं। अपनी नफ़रत और अपनी राजनीति के फेर में वे अंधे हो चुके हैं, उन्हें यह भी नज़र नहीं आ रहा है कि ‘अल्लोपनिषद‘ सहित अनेक संस्कृत ग्रंथों में भी ‘अल्लाह‘ का नाम मौजूद है।
देखिए
अल्लो ज्येष्ठं श्रेष्ठं परमं पूर्ण ब्रहमाणं अल्लाम् ।। 2 ।।
अल्लो रसूल महामद रकबरस्य अल्लो अल्लाम् ।। 3 ।।
अर्थात ’’ अल्लाह सबसे बड़ा , सबसे बेहतर , सबसे ज़्यादा पूर्ण और सबसे ज़्यादा पवित्र है । मुहम्मद अल्लाह के श्रेष्ठतर रसूल हैं । अल्लाह आदि अन्त और सारे संसार का पालनहार है । (अल्लोपनिषद 2,3)
अदालतों में आज भी हरेक आदमी को उसी की आस्था के अनुसार उसके माननीय धर्मग्रंथ पर हाथ रखकर शपथ दिलाई जाती है कि वह सत्य का पालन करेगा। तब यह काम संविधान के विरूद्ध कैसे हो जाएगा ?
आए दिन सरकारी कार्यक्रमों में सरस्वती की मूर्ति पर माला चढ़ाकर और उसके सामने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरूआत की जाती है और तब बीजेपी को कोई ऐतराज़ नहीं होता। सरकारी योजनाओं के अधिग्रहीत भूमि के भूमि पूजन करने पर और राष्ट्रीय निधि से और सामूहिक प्रयासों से वुजूद में आने वाले अस्त्र शस्त्रों के नाम भी केवल एक वर्ग विशेष के लोगों के नामों पर रखे जाते हैं, तब किसी बीजेपी लीडर को ऐतराज़ नहीं होता ?
बीजेपी ऐसा करके सय्यद अहमद साहब को या किसी मुसलमान को नहीं बल्कि ख़ुद को ही नुक्सान पहुंचा रही है। हिंदी अख़बारों में यह सूचना मुझे नज़र नहीं आई लेकिन उर्दू अख़बारों ने यह सूचना मुस्लिम अवाम तक पहुंचा दी है कि देखो ये है बीजेपी लीडरों की नफ़रत का आलम, ये तुम्हारे रब के नाम से भी चिढ़ते हैं और रब के नाम से सिर्फ़ शैतान ही चिढ़ सकता है।
क्या बीजेपी शैतानों की जमात है ?
यह बात बिना किसी के बताए मुसलमानों के दिमाग़ में पहले से ही है और समय समय पर इस धारणा को बीजेपी लीडर्स ख़ुद ही पुष्ट करते रहते हैं।
झारखंड के मुस्लिम गवर्नर ने अपने काम की शुरूआत अल्लाह के नाम से की तो उसे सराहने के बजाय विवाद पैदा करके वे मुसलमानों के दिलों में अपने लिए मौजूद संदेह को और ज़्यादा गहरा कर रहे हैं।
मज़ारों पर चादरें भेजना या रमज़ान में अफ़्तार पार्टियों का आयोजन ये लोग मुसलमानों को केवल धोखा देने के लिए करते हैं।
भगवा रंग और राम नाम का इस्तेमाल भी ये लोग इसी मक़सद से करते हैं।
ये रहीम के नहीं हैं तो क्या, ये तो राम के भी न हुए।
इसीलिए ये न घर के हुए और न घाट के रहे।
इनका यही अमल जारी रहा तो ये बीच में घूमने लायक़ भी नहीं बचेंगे।
यह ज़मीन प्रभु परमेश्वर की है, वही एक इसका अधिपति है और उसके सहस्रों नाम हैं। जो जिस भाषा को जानता है, उसे उस भाषा में उसका नाम ज़रूर लेना चाहिए। भारतीय संस्कृति यही है और यही ऋषियों का संदेश है।
शैतान के रोकने से न रूकें, अपने मालिक का नाम लेते रहें, कल्याण वही करता है और शैतान तो केवल भाई को भाई के खि़लाफ़ भड़काता है और एक का ख़ून दूसरे के हाथ कराता है।
सत्य को जानें और शांति से रहें, यही हमारा धर्म है और यही हमारा कर्तव्य है।
भारतीय संस्कृति भी यही है।
8 comments:
अनवर जमाल साहब!
बी.जे.पी. ( भारतीय जुगाड़ पार्टी ) यह हमेशा मुद्दों के जुगाड़ में लगी रहती है,
बहुत खूब लिखा है और यह शेर इनपर 500 % फिट बैठता है.
(ये रहीम के नहीं हैं तो क्या, ये तो राम के भी न हुए।
इसीलिए ये न घर के हुए और न घाट के रहे।)
Where is SECULARISM ?
Where are the pisslami lovers..?
Hindus in Pakistan
1947 -25%
2O1O -1.2%
Hindus in BANGLADESH
1971 -33%
2O1O- 6%
Hindus in Kashmir - INDIA
1981- 4 Lac
2O1O-NONE
Hindus is Srinagar - INDIA
1981 - 80000
2010 - NONE
Hindus in Kerala
1947 - 90%
2010 - 10%
Hindus in Andhra Pradesh
1947 - 95%
2010 - 50%
Hindus in Bangal
1947 - 90%
2010 - 40%
Do you still think This demographic change has been changed by love?
हर जगह अच्छे और बुरे लोग पाये जाते हैं!
सत्य की साक्षी देने वाले आदमी को उनके उकसाने पर भड़कना नहीं चाहिए और सत्य को निष्पक्ष रूप से सबके सामने लाते रहना चाहिए। यही निरंतरता शैतान को मायूस कर देती है और वह हार जाता है।
सत्य की ही जीत होती है।
इसे जो चाहे आज़मा सकता है लेकिन इसके लिए धैर्य चाहिए और मानवता से प्यार केवल अपने रब की ख़ातिर।
सभी धर्म-मतों और समुदायों के अच्छे लोगों को आपस में समान सत्य मूल्यों के लिए एक होकर काम करना चाहिए ताकि हमारा समाज सबल और निर्मल बने।
@ शालिनी जी ! इस मामले में आपके नंबर पूरे हैं कि आप बेहिचक कह देती हैं जो कुछ आप अपनी आत्मा में सत्य मानती हैं। यह गुण यहां ब्लॉग जगत में दुर्लभ है।
धन्यवाद !
@ आदरणीय शास्त्री ! अच्छे बुरे लोग तो हर समुदाय और हरेक पार्टी में होते हैं लेकिन क्या किसी पार्टी में ऐसे लोग हैं कि अपने लिए तो देवी देवताओं के नाम तक लेना ऐतराज़ के क़ाबिल न मानें और दूसरे के लिए एक सर्वशक्तिमान प्रभु पालनहार का नाम लेने पर भी शोर मचाएं।
इससे समाज के सदस्यों में नफ़रत और दूरी पैदा होती है। इसे मामूली बुराई मानकर नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता।
पार्टी जो भी हो लेकिन उसे एक ही पैमाने से नापना होगा।
जो अपने ही देश को तबाह करने पर तुले हों ऐसे दस पांच नेता हज़ारों विदेशी आतंकवादियों से ख़तरनाक होते हैं।
@ राहुल पंडित जी ! आप लोगों का यह कॉम्पलैक्स समझ में नहीं आता कि जब हम पाकिस्तान का चर्चा नहीं करते तो आप लोग दिन रात पाकिस्तान की बातें क्यों करते हो भाई ?
आप लोगों को अपने देश पर भी तो ध्यान देना चाहिए न ?
पंजाब में 40 साल से ज़्यादा हो गए कई दर्जन परिवार ऐसे हैं जो पाकिस्तान से यहां आ बसे लेकिन उन्हें भारत की नागरिकता नहीं दी गई, बीजेपी शासन में भी नहीं। तब उनके लिए क्या लाभ हुआ यहां आने का आप लोगों को अपना समझ कर वे बेचारे यहां आ गए और आप लोग उन्हें अपना न सके।
पाकिस्तान की छोड़ो अपने बर्ताव की समीक्षा करो।
इसी पोस्ट को हमने नभाटा पर पेश किया था तो वहां आपकी तरह के कई बंदे आ गए। उन्हें हमने क्या जवाब दिए ?
देखिए इस लिंक पर
क्या बीजेपी शैतानों की जमात है ?
anavar jamaal jee... देश व संविधान के लिए धर्म व मज़हब की कोई महत्ता नहीं है.......अतः यह एक दम सही है कि.... अल्लाह के नाम पर शपथ लेना गैर कानूनी व अवैध है , फिर धर्मनिरपेक्षता क्या है ...
---...आपका आलेख पूर्ण रूप से गैर जिम्मेदाराना है.....यही तो असलियत है भारत में आप जैसे लोगों की.....खाने के और दिखाने के और...
----सरकार द्वारा हर वर्ष मजारों पर चादर चढाई जाती है.....कभी किसी मंदिर में पुष्पहार चढाया गया.....इस पर कभी आप जैसे लोगों ने एतराज़ क्यों नहीं किया......
---
@ गुप्ता जी , अगर संबिधान में अल्लाह और भगवन की महत्ता नहीं होती तो न्यायालयों में गीता और कुरान की सपथ नहीं दिलाई जाती ,,,,,
दूसरी बात...आप अपनी जानकारी बढाइये , इस देश में सबकुछ मंदिर से शुरू होता है ! आपका ये कहना की मंदिर में पुष्पहार नहीं
होता हाश्यास्पद है !
और हाँ , मजारों पर chadar के लिए ,,या अफ्तार पार्टी के लिए हम किसी को बुलाने नहीं जाते है ! क्यूँ की हम जानते हैं
राजनितिक दल ये सब अपने निजी स्वार्थों के लिए करते है !
@ गुप्ता जी , अगर संबिधान में अल्लाह और भगवन की महत्ता नहीं होती तो न्यायालयों में गीता और कुरान की सपथ नहीं दिलाई जाती ,,,,,
दूसरी बात...आप अपनी जानकारी बढाइये , इस देश में सबकुछ मंदिर से शुरू होता है ! आपका ये कहना की मंदिर में पुष्पहार नहीं
होता हाश्यास्पद है !
और हाँ , मजारों पर chadar के लिए ,,या अफ्तार पार्टी के लिए हम किसी को बुलाने नहीं जाते है ! क्यूँ की हम जानते हैं
राजनितिक दल ये सब अपने निजी स्वार्थों के लिए करते है !
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