सुरक्षित गोस्वामी
आध्यात्मिक गुरु
ब्रह्मचर्य का मतलब क्या होता है? क्या ब्रह्मचर्य धारण करने से ताकत और सहन शक्ति बढ़ जाती है?
एक पाठक
संस्कृत भाषा में ब्रह्म शब्द का अर्थ होता है परमात्मा या सृष्टिकर्ता और चर्य का अर्थ है उसकी खोज। यानी आत्मा के शोध का अर्थ है ब्रह्मचर्य। आम भाषा में ब्रह्मचर्य को कुंवारेपन या सेक्स से दूरी रखना माना जाता है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी माना गया है कि मन, कर्म और विचार से सेक्स से दूर रहना ब्रह्मचर्य है। मेडिकल साइंस ही नहीं बल्कि पुरातन ज्ञान भी नहीं कहता कि ब्रह्मचर्य का मतलब वीर्य इकट्ठा करना है। चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, कामसूत्र और अष्टांग हृदय में भी ऐसा कुछ नहीं बताया गया है।
कुछ लोग इस गलत धारणा में रहते हैं कि सेक्स से परहेज करना स्वास्थ्य व खुशी के लिए अच्छा है। वे अपनी तथाकथित ऊर्जा को सेक्स संबंधों से परहेज रखकर सुरक्षित रखने की कोशिश करते हैं। उन्हें लगता है कि सेक्स से दूर रहकर जिंदगी लंबी होती है, बदन हृष्टपुष्ट होता है और मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है। यह हकीकत नहीं है। वीर्य एक रस है जो 24 घंटे बनता रहता है। अगर कोई उसे रोकना चाहे, तो भी नहीं रोक सकता। वीर्य को अनिश्चित समय के लिए रोककर रखना मुमकिन नहीं है, चाहे कोई कितना भी संयम करे या योगी और संन्यासी हो। जिस तरह से अनिश्चित काल के लिए मलमूत्र को रोकना नामुमकिन है, उसी तरह वीर्य को भी रोककर रखना असंभव है।
वीर्य बनने की यह प्रक्रिया दिन-रात चलती रहती है। मिसाल के तौर पर पानी से भरे गिलास में अगर और पानी भरने की कोशिश करेंगे तो वह छलक जाएगा। उसी तरह अगर कोई आदमी मैथुन या हस्तमैथुन नहीं करता तो उसका वीर्य स्वप्न मैथुन या निद्रा मैथुन के जरिए बाहर आ ही जाएगा। यह भी गलतफहमी है कि सौ बूंद खून से एक बूंद वीर्य बनता है और एक बूंद खून बनाने के लिए उससे कई गुना पौष्टिक आहार लेने की जरूरत पड़ती है। हकीकत में तो आहार और वीर्य का कोई संबंध ही नहीं है। यह सोच कि अगर हम वीर्य नष्ट नहीं करेंगे तो ज्यादा स्वस्थ रहेंगे और लंबा जीवन जिएंगे, सही नहीं है। इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि ज्यादातर ब्रह्मचारी या अविवाहित लोगों का इंतकाल जल्दी हुआ है। इनमें बड़े-बड़े लोगों के नाम भी शामिल हैं।
सेक्स से परहेज करना नपुंसकता का एक कारण बताया गया है। जब लोग परहेज रखकर सेक्स से दूरी बना लेते हैं तो उनमें अपराधबोध और एंजाइटी हो जाती है। कामेच्छा दबाने की यह प्रक्रिया जब बार-बार होती है तो समस्या की जड़ें फैल जाती हैं। दिमाग में एक भावनात्मक असंतुलन पैदा होता है और ऐसे लोगों में सेक्स के ही ज्यादा विचार आने लगते हैं। ध्यान केंद्रित न होना, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन और घबराहट बढ़ जाती है। अगर कोई ज्यादा सेंसिटिव है तो ज्यादा समस्या हो जाती है। कई बार जननांगों का स्वाभाविक कामकाज प्रभावित हो जाता है। उनमें कमजोरी आने लगती है। इसका कारण उनका प्रयोग न करना होता है। ज्यादातर मानसिक कमजोरी आ जाती है जो बाद में शारीरिक कमजोरी में भी बदल सकती है।
ब्रह्मचर्य धारण करने से कोई चमत्कार नहीं होता है। गृहस्थ में रहकर भी ब्रह्म की खोज यानी ब्रह्मचर्य पाया जा सकता है। पूज्य बापू महात्मा गांधी ने भी इसके बारे में बहुत कुछ लिखा है, लेकिन यह जानना जरूरी है कि बापू पॉलिटिशियन थे, सेक्सॉलजिस्ट नहीं।
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3 comments:
बहुत बहुत बधाई ||
आप जब भी नई पोस्ट लाते हैं |
नया उत्साह जगाते हैं ||
सभी बातें व तथ्य असत्य व भ्रम पूर्ण हैं ....चंडूखाने की खबरें....
चर्य का अर्थ खोज नहीं उस पर चलना..आचरण होता है...इसी प्रकार सभी तथ्य असत्य हैं...
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