तेरी रहमत का भी खुदाया कोई जबाव नहीं ।
कौन कहता है कि मौला तू लाज़बाव नहीं।
तेरी रहमत है कि बन्दों का मददगार है तू,
तेरे दर पै कोई फ़कीर या नबाव नहीं ।
तू रहमगार है, नासिर है न समझ पाए कोई,
इससे बढ़कर तो जहां में कोई अजाब नहीं ।
रोज ही जाते हैं वो तो मयखाने लेकिन,
उनकी तहरीर है पीते ही वो शराब नहीं ।
उसपे ईमान वाले को हो मंदिर या मैखाना,
भूल पाता वो मगर उसका वह शबाव नहीं ।
हमने जो देखलिया वो खुदाई नूर तेरा,
उससे बढ़कर तो कोई नूरे-आफताब नहीं ।
जिसके होठों पै छलके खुदाई इश्क की मदिरा,
उसकी नज़रों को ज़माने से कोई दुराव नहीं ।
इश्क वालों की यही तो मस्ती है इलाही,
रोज़ पीते हैं मगर दिल के वो खराब नहीं ।
हमने पी रखी है उन आखों की वो मय 'श्याम ,
जिससे बढ़कर तो ज़माने में कोई शराव नहीं
कौन कहता है कि मौला तू लाज़बाव नहीं।
तेरी रहमत है कि बन्दों का मददगार है तू,
तेरे दर पै कोई फ़कीर या नबाव नहीं ।
तू रहमगार है, नासिर है न समझ पाए कोई,
इससे बढ़कर तो जहां में कोई अजाब नहीं ।
रोज ही जाते हैं वो तो मयखाने लेकिन,
उनकी तहरीर है पीते ही वो शराब नहीं ।
उसपे ईमान वाले को हो मंदिर या मैखाना,
भूल पाता वो मगर उसका वह शबाव नहीं ।
हमने जो देखलिया वो खुदाई नूर तेरा,
उससे बढ़कर तो कोई नूरे-आफताब नहीं ।
जिसके होठों पै छलके खुदाई इश्क की मदिरा,
उसकी नज़रों को ज़माने से कोई दुराव नहीं ।
इश्क वालों की यही तो मस्ती है इलाही,
रोज़ पीते हैं मगर दिल के वो खराब नहीं ।
हमने पी रखी है उन आखों की वो मय 'श्याम ,
जिससे बढ़कर तो ज़माने में कोई शराव नहीं
2 comments:
तेरी रहमत का भी खुदाया कोई जवाब नहीं ।
कौन कहता है कि मौला तू लाजवाब नहीं।
हमने पी रखी है उन आखों की वो मय 'श्याम'
जिससे बढ़कर तो ज़माने में कोई शराब नहीं
आपके रंग भी कितने निराले हैं मोरे 'श्याम'
आपकी उर्दू शायरी का सचमुच जवाब नहीं
आपकी पोस्ट दिल को छूती है .
I Love U.
परमेश्वर के गुणों में भी साझीदार बनाना ‘बड़ा जु़ल्म‘ है । The Way to God .
धन्यवाद ज़माल साहब--इज़्ज़त अफ़ज़ाई का...
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