खुशदीप सहगल |
न तो गीता एक दिन में लिखी जा सकती है और न ही कोई एक दिन में गीताश्री बन सकता है . मैं नहीं जानता कि गीताश्री कौन हैं और न ही कभी उन्हें पढने का अवसर ही मिला लेकिन आप बता रहे हैं कि वह एक औरत हैं तो वह ज़रूर अच्छी ही होंगी. इस देश में एक औरत के लिए घर बाहर काम करना कितना कठिन है , यह आज किसी से छिपा नहीं है . ऐसे में जिसने अपने लिए जो मक़ाम बनाया है , कैसे बनाया है वही जानता है. 'व्यक्ति विरोध की मानसिकता' नकारात्मक कहलाती है और बुरे नतीजे दिखाती है .हम गीता जी के घटिया विरोध पर आपत्ति करते हैं.
http://www.deshnama.com/2011/04/blog-post_06.html
२- हमारे प्रिय प्रवीण शाह जी की पोस्ट का विषय भी यही है. वह पूछ रहे हैं कि
1 comments:
BAHUT HI ACHHA AUR KARARA JAWAB - PURATAN MANSIKTA PAR. DHANYAVAD
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