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दोस्तों, आज आपको एक हिंदी ब्लॉगर की
कथनी और करनी के बारें में बता रहा हूँ. यह श्रीमान जी हिंदी को बहुत महत्व
देते हैं. इनके दो ब्लॉग आज ब्लॉग जगत में काफी अच्छी साख रखते हैं. अपनी
पोस्टों में हिंदी का पक्ष लेते हुए भी नजर आते हैं. लेकिन मैंने पिछले
दिनों हिंदी प्रेमियों की जानकारी के लिए इनके एक ब्लॉग पर निम्नलिखित
टिप्पणी छोड़ दी. जिससे फेसबुक के कुछ सदस्य भी अपनी प्रोफाइल में हिंदी को
महत्व दे सके, क्योंकि उपरोक्त ब्लॉगर भी फेसबुक के सदस्य है. मेरा ऐसा
मानना है कि-कई बार हिंदी प्रेमियों का जानकारी के अभाव में या अन्य किसी
प्रकार की समस्या के चलते मज़बूरी में हिंदी को इतना महत्व नहीं दें पाते
हैं, क्योंकि मैं खुद भी काफी चीजों को जानकारी के अभाव में कई कार्य हिंदी
में नहीं कर पाता था. लेकिन जैसे-जैसे जानकारी होती गई. तब हिंदी का
प्रयोग करता गया और दूसरे लोगों भी जानकारी देता हूँ.जिससे वो भी जानकारी
का फायदा उठाये. लेकिन कुछ व्यक्ति एक ऐसा "मुखौटा" पहनकर रखते हैं. जिनको
पहचाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती हैं. आप आप स्वयं देखें कि-इन ऊँची साख
रखने वाले ब्लॉगर के क्या विचार है उपरोक्त टिप्पणी पर. मैंने उनको जवाब
भी दे दिया है. आप जवाब देकर मुझे मेरी गलतियों से भी अवगत करवाए. किसी ने
कितना सही कहा कि-आज हिंदी की दुर्दशा खुद हिंदी के चाहने वालों के कारण ही
है. मैं आपसे पूछता हूँ कि-क्या उपरोक्त टिप्पणी "विज्ञापन" के सभी मापदंड
पूरे करती हैं. मुझे सिर्फ इतना पता है कि मेरे द्वारा दी गई उपरोक्त
जानकारी से अनेकों फेसबुक के सदस्यों ने अपनी प्रोफाइल में अपना नाम हिंदी
में लिख लिया है. अब इसको कोई "विज्ञापन' कहे या स्वयं का प्रचार कहे. बाकी
आपकी टिप्पणियाँ मेरा मार्गदर्शन करेंगी.
नोट: मेरे विचार में एक
"विज्ञापन" से विज्ञापनदाता को या किसी अन्य का हित होना चाहिए और जिस
संदेश से सिर्फ देशहित होता हो. वो कभी विज्ञापन नहीं होता हैं.
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