मसला कोई भी और कितना भी बिगड़ा हुआ क्यों न हो लेकिन वह जब भी सुलझेगा , बातचीत से ही सुलझेगा .
यह एक अहम सूत्र है.
हम सभी की कोशिश तो यह होनी चाहिए कि नफरतें और फासले खत्म हो जायें, इस देश से और इस दुनिया से और विचारशील लोग इस विषय में गंभीर प्रयास सदा से करते आए हैं लेकिन उन्हें जितना सहयोग समाज से मिलना चाहिए उतना मिल नहीं पाया इसी का नतीजा है कि हम असुरक्षा और आशंका के साए तले जी रहे हैं।
हिंदी ब्लॉगिंग में भी ऐसे तत्व सक्रिय हैं जो अपनी विचारधारा के लिए किसी को कुछ भी कह देते हैं। यही वजह है कि नभाटा को कमेंट अप्रूव करने के बारे में अपनी नीति पर पुनर्विचार करना पड़ा , यह दुखद है।
हिंदी भाषा बोलने वालों के मुंह से तो फूल झड़ने चाहिएं थे।
हिंदी ब्लॉगिंग में भी ऐसे तत्व सक्रिय हैं जो अपनी विचारधारा के लिए किसी को कुछ भी कह देते हैं। यही वजह है कि नभाटा को कमेंट अप्रूव करने के बारे में अपनी नीति पर पुनर्विचार करना पड़ा , यह दुखद है।
हिंदी भाषा बोलने वालों के मुंह से तो फूल झड़ने चाहिएं थे।
आप सभी के विचार अमूल्य हैं , हिन्दी ब्लॉगिंग को समृद्ध करने में इनका उपयोग करें.
2 comments:
प्रेम और नफ़रत एक ही सिक्के के दो पहलु हैं और शायद अनादिकाल से चले आ रहे हैं। हां, इस काई को कुछ हद तक समझ और सहमति से पाटा जा सकता है॥
आपने सही कहा .
शुक्रिया .
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