अरे भई साधो......: बाबा रे बाबा! विदेशी बैंकों से ज्यादा धन तो धर्मस्थलों में पड़ा है
 Posted on Thursday, July 7, 2011 by devendra gautam  in 
केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर का एक तहखाना खुलना बाकी है और अभी तक एक लाख करोड़ का धन सामने आ चूका है. फिलहाल राजघराने के अनुरोध पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से सरकार ने अगले तहखाने से निकलने वाले धन का विवरण सार्वजनिक न करने का निर्णय लिया है. साईं बाबा के देहावसान के बाद उनके तहखाने से मिली खरबों की संपत्ति के मालिकाना हक का विवाद चल ही रहा है. जाहिर है कि देश के मंदिरों, मसजिदों, गुरुद्वारों, गिरिजाघरों बी एनी धर्मस्थलों में इतना धन पड़ा हुआ है कि उसका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता. यह विदेशी बैंकों में जमा भारतीय काला धन से हजारों या लाखों गुना ज्यादा है और अनुपयोगी पड़ा है. सरकार बाबा रामदेव की संपत्ति को खंगालने में लगी है जबकि वह घोषित है. उसका राजस्व भी जमा होता है और दर्जन भर कंपनियों के जरिये उसका राष्ट्रीय उत्पाद में योगदान भी हो रहा है. लेकिन धर्मस्थलों के तहखानों में पड़े धन का राष्ट्रीय विकास में क्या योगदान हो रहा है? उनसे सरकार को कौन सा राजस्व प्राप्त हो रहा है. इसका राष्ट्रीय विकास में योगदान कैसे हो इसपर विचार करने की जरूरत है.
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1 comments:
बाबा रामदेव जी चाहते थे कि विदेशों में जमा ख़ज़ाना भारत लाया जाए और सरकार ने दिखा दिया कि बाहर से लाने की ज़रूरत तो बाद में पड़ेगी, देश के धर्मस्थलों में बहुत जमा है।
आप कहें तो पहले इसी का राष्ट्रीकरण कर दिया जाए ?
अब न तो बाबा जी से जवाब देते बन रहा है और न ही बीजेपी से।
...लेकिन यह सब हुआ क्यों और अब क्या होगा आगे ?
जानने के लिए देखिए यह लिंक
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/indian-tradition.html
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