ब्लॉगिंग की दुनिया में मेरे प्रवेश की दास्तान
देवेंद्र गौतम |
हिंदी ब्लॉगिंग गाइड के लेखों की श्रृंखला में 'हिंदी में लिखने के लिए ट्रांसलिटरेशन टूल' शीर्षक लेख पढने के बाद मुझे ब्लौगिंग की दुनिया में अपने प्रवेश और तकनीकी समस्याओं से जूझने के अनुभव याद आ गए. अख़बारी दुनिया से जुड़े होने के नाते कंप्यूटर और इंटरनेट से मेरा जुड़ाव तो था लेकिन मेरा ज्ञान सिर्फ ईमेल और कम्पोज़िंग, एडिटिंग तक सीमित था. वर्ष 2009 तक ब्लोगिंग के बारे में मुझे कुछ ख़ास जानकारी नहीं थी. सुना था कि देवघर प्रभात ख़बर के पूर्व संपादक अविनाश जी मोहल्ला नाम का कोई ब्लॉग चला रहे हैं लेकिन कभी उनका ब्लॉग भी देखा नहीं था. वर्ष 2009 में घर पर कंप्यूटर और इंटरनेट लगवा लिया था. फरवरी 2010 में एक दिन अपने ईमेल अकाउंट को साइन इन कर रहा था तो मेरी नज़र बायीं तरफ नीचे फ़ॉलो अस पर पड़ी. वहां ब्लॉगर, ट्विटर, फेसबुक और बज़ का लोगो दिखा. मैंने ब्लॉगर को क्लिक कर दिया तो Create a blog लिखा नज़र आया. मैंने साइन इन कर दिया और फ़ॉर्म भरता चला गया. इस तरह मेरा पहला ब्लॉग 'ग़ज़लगंगा' बन गया. अब इसके डैशबोर्ड को समझने में कई दिन लगे.
न्यू पोस्ट को खोलकर लिखना शुरू किया तो रोमन में लिखा देवनागरी में परिणत होता देख आनंदित हुआ. मेरे पास कई डायरियों में बिखरी कुछ प्रकाशित, कुछ अप्रकाशित, कुछ पूरी, कुछ अधूरी ग़ज़लें थीं. मैंने सोचा कि क्यों नहीं उन्हें ब्लॉग पर एक जगह कर दूं. बस मैंने अपनी ग़ज़लें पोस्ट करनी शुरू कर दीं. उस वक़्त मुझे यह भी पता नहीं था कि इन्हें लोग पढ़ेंगे या टिप्पणी करेंगे. धीरे-धीरे कुछ लोग मेरे ब्लॉग को फ़ॉलो करने लगे. सबसे पहले स्वयंबरा का कमेंट आया. फिर एक दिन इस्मत ज़ैदी का एक कमेंट आया. उन्होंने मेरी ग़ज़लों की तारीफ़ की लेकिन यह शिकायत की कि मैंने कमेंट का आप्शन नहीं रखा है. मुझे खुद पता नहीं था कि यह आप्शन कैसे दिया जाता है ?
बहरहाल मैं ब्लॉग के फ़ीचर्स को क्लिक करता गया और मेरी जानकारी बढ़ती गयी. इस बीच मेरी पत्नी को किडनी की समस्या हो गयी जो लगातार गंभीर होती गयी. मेरा दफ्तर जाना या कंप्यूटर पर बैठना भी अनियमित हो गया. मेरी दिनचर्या घर से अस्पताल तक सीमित हो गयी. अखबार तैयार करने की ज़िम्मेदारी धनबाद ऑफिस को शिफ़्ट कर दी और स्वयं को रांची की कुछ स्टोरी भेज देने तक सीमित कर लिया . अंततः 20 अक्टूबर 2010 को पत्नी का देहांत हो गया. जनवरी 2011 में अपने आपको जब फिर इंटरनेट की दुनिया में व्यस्त करना शुरू किया तो मेरे ब्लॉग पर ट्रांसलिटरेशन टूल काम नहीं कर रहा था. मीडिया जगत के तकनीकी जानकारी रखनेवालों से पूछा तो ब्लॉगिंग के बारे में कुछ बता नहीं सके. एक दिन अचानक गूगल पर ट्रांसलेट का आप्शन क्लिक किया तो देखा कि ट्रांसलिटरेशन टूल काम कर रहा है. बस मैंने वहां लिखना और कॉपी कर ब्लॉग पर पेस्ट करना शुरू किया. वास्तव में मेरी ब्लॉगिंग, दरअसल जनवरी 2011 से ही शुरू हुई. तक़रीबन एक-डेढ़ महीने पहले न्यू पोस्ट में 'अ' को क्लिक कर ट्रांसलिटरेशन टूल को सक्रिय करना सीखा. अभी मैं स्वयं को ब्लॉगिंग का छात्र ही मानता हूं. इसलिए हिंदी ब्लॉगिंग गाइड की तैयारी के बारे में सुना तो उत्साहित हुआ. कम से कम अब जो ब्लॉगिंग की दुनिया में प्रवेश करेंगे उन्हें तकनीकी जानकारी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.
मैं इस प्रोजेक्ट में लगे लोगों को इसके लिए धन्यवाद देना चाहूंगा. ब्लॉगिंग मौजूदा दौर की एक बड़ी नेमत है क्योंकि यह इंसान को जीवन से निराश नहीं होने देती. ब्लॉगिंग के ज़रिये आदमी अपने दुख-सुख और अपने ख़याल दूसरे लोगों के साथ शेयर कर सकता है। सार्थक लेख पढ़ सकता है और ये सभी बातें इंसान को निराशा के भंवर में डूबने से बचाती हैं। अच्छे बुद्धिजीवियों और हमदर्दों को दोस्त बनाने का बेहतरीन ज़रिया है ब्लॉगिंग। नए ब्लॉगर्स की राह से अड़चनों को दूर कर दिया जाए तो उनका समय और ऊर्जा का सही उपयोग हो सकेगा।
यह लेख भी नए ब्लॉगर के लिए काम देता है :
-देवेंद्र गौतम
3 comments:
bilkul sahi kaha apne. maine bhi blogger aise hi sikha hai. haan kai takniki samasyaon par kuch experts ki madad zaroor li aur blog ko aur bhi rich banane ki koshish ki.
एक अच्छे लेख के लिए शुक्रिया !
आपकी पत्नी के चले जाने का हमें अफ़सोस है।
इस उम्र में अकेले रह जाना वाक़ई तकलीफ़देह है।
अनवर भाई,
किसी नये हिन्दी ब्लॉगर को प्रेरित करने के लिए काफी मेहनत की है आपने और हिन्दी ब्लॉगिंग गाईड बहुत ही उपयोगी साबित होगी।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
कवितायन
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