वक्त के संग चल सके तो, जिन्दगी श्रृंगार है
वक्त से मिलती खुशी भी, वक्त ही दीवार है
वक्त कितना वक्त देता, वक्त की पहचान हो
वक्त मरहम जो समय पर, वक्त ही अंगार है
वक्त से आगे निकलकर, सोचते जो वक्त पर
वक्त के इस रास्ते पर, हर जगह तलवार है
क्या है कीमत वक्त की, जो चूकते, वो जानते
वक्त उलझन जिन्दगी की, वक्त से उद्धार है
वक्त होता क्या किसी का, चाल अपनी वक्त की
उस रिदम में चल सुमन तो, खार में भी प्यार है
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5 comments:
वक्त कितना वक्त देता, वक्त की पहचान हो
वक्त मरहम जो समय पर, वक्त ही अंगार है
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना लिखी, सुमन जी......
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
वक्त कितना वक्त देता, वक्त की पहचान हो
वक्त मरहम जो समय पर, वक्त ही अंगार है
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना लिखी, सुमन जी......
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
Nice .
आपकी पोस्ट कल 19/4/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा - 854:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
वक्त होता क्या किसी का, चाल अपनी वक्त की
उस रिदम में चल सुमन तो, खार में भी प्यार है
..pyar ki gahrayee ka sundar chitrankan!
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