आइये आज एक बार फिर चलते हैं हरिद्वार के पतंजलि योग पीठ और बात करते है बाबा रामदेव के साथ ही उनके सहयोगी बालकृष्ण की। चोर पुलिस के खेल में जिस तरह बाबा रामदेव और बालकृष्ण के आगे पीछे पुलिस, सीबीआई दौड भाग कर रही है, इससे लगता है कि बाबा ने भगवा को भी दागदार कर दिया। इसलिए प्लीज बाबा इस कपडे पर रहम करो। मैं कोई ज्ञान की बात नहीं बता रहा हूं, ये सभी जानते हैं कि जिनके घर शीशे के होते हैं, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फैंकते, लेकिन लगता है कि ये बाबा इस मूलमंत्र से भी नावाकिफ हैं।
पहले मैं बाबा की मांगो के बारे में आपको बता दूं कि विदेशों में जमा काला धन वापस आना चाहिए। मुझे लगता है कि जिनके पैसे बाहर हैं, उनके अलावा देश का कोई भी व्यक्ति इस मांग का विरोध नहीं करेगा। मैं भी बाबा के इस मांग का समर्थक हूं, लेकिन उनकी दूसरी मांग भ्रष्ट्राचारियों को फांसी पर लटका दो, मैं इसका विरोधी हूं। दुनिया भर के दूसरे देशों में आज एक बहस छिड़ी हुई है कि फांसी की सजा को खत्म कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये अमानवीय है। हां सजा सख्त होनी चाहिए, इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन हर आदमी को सुधरने का मौका जरूर मिलना चाहिए।
जब मैं कहा करता था कि अन्ना के साथ बाबा रामदेव का नाम जोड़कर अन्ना को गाली नहीं दिया जाना चाहिए, तो तमाम बाबा समर्थक मेरे लिए अनर्गल बातें कर रहे थे। अब देखिए बाबा योग भूल गए हैं, पूरे दिन अपने ट्रस्टों और कंपनियों का लेखा जोखा दुरुस्त करने में लगे हैं। अब पूरी तरह से बचाव की मुद्रा में हैं। घबराए इतना हैं कि भाषा की मर्यादा भी बाबा भूल चुके हैं। मेरी समझ में एक बात नहीं आ रही है कि अगर बाबा रामदेव पाक साफ हैं तो सवालों से भागते क्यों हैं। जो कुछ जानकारी पुलिस चाहती है, उसे देने में आखिर क्या गुरेज है। बाबा जी आप पुलिस को क्यों नहीं बता देते कि आपके गुरु महाराज कहां हैं। वो अब इस दुनिया में हैं या नहीं। अगर हैं तो कहां हैं, नहीं हैं तो उन्होंने कैसे प्राण त्याग दिया ?
आजकल बाबा टीवी पर योग करते तो कम दिखाई देते हैं, अपने और बालकृष्ण पर लगे आरोपों पर सफाई देने में ही उनका समय कटता है। इतना ही नहीं बाबा से बात करो राम की तो वो रहीम की सुनाते हैं। यानि जब उनसे पूछा जाता है कि ये हजारों करो़ड़ का साम्राज्य आपने कैसे खडा किया, तो बाबा इसकी जानकारी नहीं देते, वो कहते हैं कि जो कुछ भी किया है, वो सौ प्रतिशत प्रमाणिकता के साथ किया है। बाबा जी सवाल का ये तो कोई जवाब नहीं है। ऐसे तो देश में जितने भी चोट्टे हैं, किसी के भी खिलाफ कार्रवाई करना संभव नहीं होगा। कालेधन का मामला आपने उठाया है तो पहले साफ कीजिए ना कि आपके साम्राज्य में काले धन का इस्तेमाल नहीं हुआ है। वैसे तो एक दिन आपने हिसाब देने की कोशिश की और अपने छह ट्रस्टों के बारे में कुछ पेपर पत्रकारों के सामने पेश कर दिया। लेकिन जब पत्रकारों ने उन 39 कंपनियों के बारे में जानकारी की तो आप बगले झांकने लगे। ऐसे में सवाल तो उठेगा ही एक संत को इतनी कंपनियां बनाने की जरूरत क्यों पडी, जाहिर है टैक्स चोरी करने के लिए।
बैसे भी बाबा रामदेव जी आजकल आपकी बाडी लंग्वेज भी बताती है कि आप सामान्य नहीं हैं। हमेशा तल्ख टिप्पणी, गुस्से से तमतमाया चेहरा, नेचुरल हंसी भी गायब है, चाल में भी आक्रामकता आ गई है। सच कहूं बाबा जी तो आप जब तक सामान्य ना हो जाएं प्लीज भगवा कपड़े पहनना छोड़ दीजिए। भगवा कपडे में आज करोड़ों हिंदुस्तानियों की आत्मा बसती है, लोग इस कपडे का सम्मान करते हैं। वैसे भी पुलिस से बचने के लिए आपने जिस तरह से महिलाओं का सलवार सूट पहना, उससे आपका भगवा वस्त्र पहनने का व्रत टूट चुका है। भगवा वस्त्र का व्रत टूटने के बाद इसे ऐसे ही दोबारा नहीं पहन सकते हैं। अब आपको कोर्ट, कचहरी, पुलिस, सीबीआई का सामना करना पड रहा है, हो सकता है जेल तक जाना पडे, ऐसे में इस भगवा का तब तक त्याग कर दें, जब तक आप सभी मामलों से पाक साफ बरी ना हो जाएं। देखिए नेताओं को जिन्हें आप पानी पी पी कर कोसते हैं, वो भी इतने नैतिक हैं कि आरोप लगने पर कुर्सी छोड़ देते हैं। मुझे लगता है कि आपको भी एक उदाहरण पेश करना चाहिए, लेकिन बाबा जी आप से ऐसी उम्मीद करना बेमानी है, क्योंकि आप में कानून के प्रति श्रद्धा होती तो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बनवाने वाले बालकृष्ण की पैरवी ना करते।
मुझे बालकृष्ण से ज्यादा शिकायत नहीं है। फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर तमाम लोग पायलट बन गए, कुछ दिन पहले इनकी पहचान हुई और इन्हें गिरफ्तार किया। मुझे पता है कि ये बालकृष्ण नेपाली है, उसका जन्मतिथि प्रमाण पत्र फर्जी है, उसकी डिग्रियां फर्जी हैं, इतना ही नहीं उसने फर्जी कागजातो के आधार पर पासपोर्ट तक हासिल कर लिया। ऐसा नहीं है कि बाबा रामदेव के धरने के बाद ये मामला खुला है, सच ये है कि इसकी जांच तीन साल पहले उत्तराखंड पुलिस ने की थी और अपनी रिपोर्ट में साफ कर दिया था कि बालकृष्ण नेपाली नागरिक है और गलत प्रमाण पत्रों के आधार पर इन्होंने पासपोर्ट लिया है। लेकिन उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार है, जिसे बाबा रामदेव लाखों रुपये चंदा देते हैं। इसलिए इस मामले में वहां की सरकारने कोई कार्रवाई नहीं की। खैर बालकृष्ण जैसे आरोपी के बारे में ज्यादा चर्चा क्या करूं, इसकी जगह जेल है, और जाना भी तय है, जिस तरह से भागता फिर रहा है, उससे तो उस पर तरस आ रही है।
मित्रों बालकृष्ण की डिग्री फर्जी होने से ज्यादा शर्मनाक ये है कि बाबा रामदेव एक गलत आदमी के लिए सफाई दे रहे हैं। पुलिस जाती है सीबीआई की नोटिस लेकर, कहा जाता है कि बालकृष्ण आश्रम में नहीं हैं। पुलिस को नोटिस आश्रम में बालकृष्ण के कमरे के बाहर चस्पा करना पड़ता है, दो घंटे बाद भगवाधारी रामदेव आते हैं, वो कहते हैं कि बालकृष्ण आश्रम में ही हैं। बताइये संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति इनकी डिग्री को फर्जी बताते हैं, बाबा रामदेव कहते हैं कि इस सर्टिफिकेट से नौकरी तो नहीं मांग ली। इससे घटिया सोच भला क्या हो सकती है, एक बाबा ऐसी बातें करे, इससे भद्दा, फूहडपन भला क्या हो सकता है। बाबा जी अब आपके मुंह से सच्चाई, ईमानदारी, राष्ट्रवादी बातें बेईमानी नहीं गाली लगती हैं।
2 comments:
sab kuchh hi khol kar rakh diya aapne .bhagva ko to b.j.p. pahle hi dag laga chuki hai .
बाबा रामदेव : राष्ट्रवादियों के अग्रदूत
आदरणीय महेंद्र जी ! बरसों पहले जब दुनिया बाबा की दीवानी थी। तब भी हमने लोगों को बताया था कि योग के नाम पर बिज़नैस किया जा रहा है। पश्चिम में योग की मूल आत्मा वैराग्य को ग्रहण नहीं किया जा रहा है बल्कि वहां की औरतें अपने नितम्ब आकर्षक बनाने के लिए बाबाओं से योग सीखती हैं और इसी मक़सद से वहां के पुरूष भी योग सीख रहे हैं। तनाव से मुक्ति के लिए भी वे योग को एक एक्सरसाइज़ के तौर पर ही लेते हैं। लेकिन हमारे कहने पर तब उचित ध्यान ही नहीं दिया गया बल्कि हमें कह दिया गया कि आप तो हैं ही देश के ग़द्दार ।
जिन्हें राष्ट्रवादियों का अग्रदूत माना जा रहा था, उनका कच्चा चिठ्ठा आज सबके सामने है तो समझा जा सकता है कि जो लोग इनके साथ थे या इनके पीछे थे, उनके कर्म कैसे होंगे ?
आज बाबा और उनका राज़दार बालकृष्ण दोनों ही चिंतातुर नज़र आते हैं। वे तनाव दूर करने के लिए ख़ुद योग का सहारा क्यों नहीं लेते ?
गद्दी पर क़ब्ज़े के लिए गुरू जी ऊध्र्वगमन करा देने वाले शिष्य कुछ भी कर सकते हैं। अपने ही जैसे राजनीतिज्ञों से अगर वह भी दूसरे बाबाओं की तरह सैटिंग कर लेते तो आज उनके आभामंडल पर यूं आंच न आती। जो अफ़सर कल तक पांव छूते थे वे आज गला पकड़ रहे हैं।
ये बाबा तो लोक व्यवहार की नीति तक से अन्जान निकले।
आपका लेख इन सभी बातों को बेहतरीन अंदाज़ में बयान करता है और यह तारीफ़ दिल से निकल रही है।
इस मंच को एक बेहतरीन लेख देने के लिए आपका शुक्रिया !
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