रमज़ान महीने का स्वागत कैसे करें ?
प्रत्येक मुस्लिम के लिए उचित है कि आने वाले पवित्र और पुण्य वाले महीने में ज़्यादा से ज़्यादा नेकी और पुण्य के कार्य करे, कोई समय नष्ट न करे, बल्कि रमज़ान महीने के एक एक पल को महत्वपूर्ण समझते हुए फर्ज़ नमाज़ को उसके असल समय में अदा करें, तरावीह और नफली नमाज़ें ज़्यादा से ज़्यादा पढ़े, बेकार के गपशप में समय बर्बाद न किया जाए, अल्लाह तआला की इबादत के साथ लोगों के कल्याण और भलाई का कर्म ज़्यादा से ज़्यादा किया जाए, पुण्य और भलाई के कार्य में बढ़ चढ़ कर भाग लिया जाए, ताकि जन्नत प्राप्त हो सके, अल्लाह तआला ने इसी की ओर उत्साहित किया है, ” जो लोग दूसरों पर बाज़ी ले जाना चाहते हों, वे इस चीज़ को प्राप्त करने में बाज़ी ले जाने का प्रयास करें।” (सूरः अल-मुतफ्फिफीनः 26)
इस महीने का स्वागत निम्नलिखित तरिके से हम कर सकते हैं।
इस महीने का स्वागत निम्नलिखित तरिके से हम कर सकते हैं।
ताकि हम अधिक से अधिक पुण्य के कर्म कर के अपने झोली को नेकियों से भर सकें।
(1) सब से पहले अल्लाह का शुक्र और तारीफ और हम्दो सना के माध्यम से स्वागत करें कि जिसने हमें यह मुबारक महीने की बरकतों को प्राप्त करने का मौका दिया और फिर इस महीने का स्वागत खूशी के साथ करें, एक दुसरे को इस महीने की बरकतों को प्राप्त करने के लिए उभारें, एक दूसरों को दुआ दी जाए, रमज़ान की खुशखबरी दी जाए। जैसा कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अपने साथियों को शुभ खबर देते हुए फरमाया है ” तुम्हारे पास रमज़ान का महीना आया है, यह बरकत वाला महीना है, अल्लाह तआला की रहमतें तुम्हें इस महीने में ढ़ाप लेंगी, वह रहमतें उतारता है, पापों को मिटाता है और दुआ स्वीकार करता है और इस महीने में तुम लोगों का आपस में इबादतों में बढ़ चढ़ कर भाग लेने को देखता है, तो फरिश्तों के पास तुम्हारी तारीफ और प्रशंसा बयान करता है, तो तुम अल्लाह तआला को अच्छे कार्ये करके दिखाओ, निःसन्देह बदबख्त वह है जो इस महीने की रहमतों से वंचित रहे। ” ( अल–तबरानी)
(2) इन्सान को अल्लाह तआला ने ऐसा बनाया ही है कि उस से भूल चुक, गलती, अपराध और पाप के कार्य हो जाता है, परन्तु सब से अच्छा मानव वह है जो अपने गलती और पाप के कार्य पर शर्मिन्दा हो, अल्लाह से तौबा और माफी माँगता हो, उस पाप के पश्चाताप के लिए बेकरार हो और रमज़ान का महीना ही तो माफी का महीना है, गुनाहों और जहन्नम (नरक) से मुक्ति का महीना है, अल्लाह तआला ने गुनाहों से तौबा करने का हमें आज्ञा भी दिया है और तौबा करने वाले सफलपूर्वक होंगे जैसा कि अल्लाह का कथन है, ” ऐ ईमानवालों, तुम सब मिलकर अल्लाह से तौबा करो, आशा है कि सफलता प्राप्त करोगे। ” (सूरा अन्नूरः 31)
अल्लाह तआला हदीस कुद्सी में फरमाता है, ” ऐ इनसानों ! तू जब तक मुझे पुकारता रहेगा और मुझ से उम्मीद रखेगा, मैं तुझे बख्शता रहूंगा, चाहि तू किसी हालत में हो और मुझे कुछ परवाह न होगी, ऐ इनसानों ! यदि तेरे गुनाह आसमान की ऊंचाई तक पहुंच जाए और तू मुझ से क्षमा की प्रार्थना करोगे तो मैं तुझे क्षमा कर दूंगा, ऐ इनसानों! यदि तुम मेरे पास धरती के बराबर अपराध ले कर आऐ और तुमने मेरे साथ किसी को शरीक न किया है, तो धरती के बराबर मैं तुझे माफी दे दुंगा।” (सुनन तिर्मिज़ीः सही हदीस)
अल्लाह तआला बहुत ज़्यादा माफ करने वाला और बहुत ज़्यादा कृपयालु है, यदि बन्दा सच्चे हृदय के साथ अल्लाह की ओर लौटता है तो अल्लाह उस बन्दे से खुश होता है और रमज़ान का महीना ही माफी का महीना है, रहमतों, बरकतों, जहन्नम से मुक्ति और जन्नत में प्रवेश होने का महीना है, इसी लिए इस पवित्र महीने में रो रो कर अल्लाह से माफी मांगी जाए। अपने गुनाहों से बख्शीश तलब की जाए, ज़्यादा से ज़्यादा अल्लाह से दुआ की जाए। अल्लाह तआला माफी से उस के झोली को भर देगा,
(3) आप पुख्ता इरादा कर लें कि इस पवित्र महीने में ज़्यादा से ज़्यादा पुण्य का काम करेंगे, इस पूरे महीने का रोज़ा रखेंगे, नमाज़ों और अल्लाह के ज़िक्रो अज़्कार, तिलावते कुरआन में अपना पुरा समय लगाऐंगे, लोगों की भलाई और कल्याण के कार्य मे भाग लेंगे, गरीबों और मिस्किनों की सहायता करेंगे, बुराईयों और गुनाहों और पापों से दूर रहेंगे, गाली गुलूच, गीबत, ईर्श्या और लड़ाइ और झगड़ा से दूर रहेंगे, तब ही किसी मानव का रोज़ा स्वीकारित होगा जैसा अबू हुरैरा (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से वर्णित है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया कि अल्लाह तआला फरमाता है ” मानव के प्रत्येक कर्म का बदला मिलता है, सिवाए रोज़े के तो बैशक रोज़ा मेरे लिए है और रोज़ा का बदला मैं दुंगा, रोज़ा ढ़ाल है और जब तुम में से कोई रोज़े की हालत में हो तो बुरा विचार दिलो दिमाग में न लाऐ और न ही चिखे चिल्लाऐ, यदि कोई उस से गाली गुलूच करे या लड़ाई झकड़ा करे तो वह इस से दूर रहे और उत्तर दे कि मैं रोज़े से हूँ। (सही बुखारी)
(4) रमज़ान के महीने के समय को मुनज़्ज़म करले कि फजर की नमाज़ से पहले उठकर सेहरी खना है फिर नमाज़ पढ़ कर कुरआन की तिलावत करना है दिन रात के समय को विभिन्न कार्यों, इबादतो और ज़रूरी कामों में बांट दें ताकि समय नष्ट न हो और पुरे समय का सही उपयोग हो सके। बेकार की गप शप से दूर रहा जाए। ताकि पूरा रमज़ान का महीना इबादतों में बीते।
(5) रमज़ान के महीने के अहकाम को सिखा जाए, रमज़ान में किन चीज़ो के करने से रोज़ा खराब हो जाता है ? किन चीज़ो के करने से कुछ नही होता ? कौन सा काम और इबादतें करना चाहिये और कैसे करन चाहिये ?, कौन सा काम रोज़े की हालात में नहीं करना चाहिये ?, रमज़ान में कौन सा कार्य अल्लाह को सब से ज़्यादा प्रिय है? रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) रमज़ान का महीना कैसे गुज़ारते थे ? इन सब चीज़ों का ज्ञान लेना ज़रूरी है। ताकि रमज़ान महीने को अच्छे तरीके से गुज़ारा जाए, रमज़ान महीने की बरकतों और रहमतों को प्राप्त किया जा सके।
(6) रमज़ान में लोगों के लेन देन को अदा कर किया जाए क्यों कि लोगों के हुकूक और अधिकार को पूरा करना अनिवार्य है, किसी के लिए हृदय में दुश्मनी, कीना कपट, हसद, जलन न रखा जाए क्यों कि ऐसे लोगों की माफी नहीं है, रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया, बन्दों के कर्म सोमवार और शुक्रवार को अल्लाह के पास पेश किये जाते हैं, तो अल्लाह अज़्ज़ व जल्ल हर उस बन्दे को माफ कर देता है जो अल्लाह के साथ शिर्क न किया हो सिवाए उस मानव को जिस के और उस के भाई के बीच कीना कपट और दुशमनी हो तो कहा जाता है, इन दोनों को छोड़ दो यहाँ तक कि दोनो सुलह सफाई करले, इन दोनों को छोड़ दो यहाँ तक कि दोनो सुलह सफाई करले। ” (सही मुस्लिम)
अल्लाह तआला से दुआ है कि हमे इस बरकत और नेकियों वाले महीने में अपने दामन को बुराईयों से बचाने और जन्नत में जाने वाले कार्य करने की शक्ति प्रदान करे। आमीन….. या रब्बल आलमीन।
(2) इन्सान को अल्लाह तआला ने ऐसा बनाया ही है कि उस से भूल चुक, गलती, अपराध और पाप के कार्य हो जाता है, परन्तु सब से अच्छा मानव वह है जो अपने गलती और पाप के कार्य पर शर्मिन्दा हो, अल्लाह से तौबा और माफी माँगता हो, उस पाप के पश्चाताप के लिए बेकरार हो और रमज़ान का महीना ही तो माफी का महीना है, गुनाहों और जहन्नम (नरक) से मुक्ति का महीना है, अल्लाह तआला ने गुनाहों से तौबा करने का हमें आज्ञा भी दिया है और तौबा करने वाले सफलपूर्वक होंगे जैसा कि अल्लाह का कथन है, ” ऐ ईमानवालों, तुम सब मिलकर अल्लाह से तौबा करो, आशा है कि सफलता प्राप्त करोगे। ” (सूरा अन्नूरः 31)
अल्लाह तआला हदीस कुद्सी में फरमाता है, ” ऐ इनसानों ! तू जब तक मुझे पुकारता रहेगा और मुझ से उम्मीद रखेगा, मैं तुझे बख्शता रहूंगा, चाहि तू किसी हालत में हो और मुझे कुछ परवाह न होगी, ऐ इनसानों ! यदि तेरे गुनाह आसमान की ऊंचाई तक पहुंच जाए और तू मुझ से क्षमा की प्रार्थना करोगे तो मैं तुझे क्षमा कर दूंगा, ऐ इनसानों! यदि तुम मेरे पास धरती के बराबर अपराध ले कर आऐ और तुमने मेरे साथ किसी को शरीक न किया है, तो धरती के बराबर मैं तुझे माफी दे दुंगा।” (सुनन तिर्मिज़ीः सही हदीस)
अल्लाह तआला बहुत ज़्यादा माफ करने वाला और बहुत ज़्यादा कृपयालु है, यदि बन्दा सच्चे हृदय के साथ अल्लाह की ओर लौटता है तो अल्लाह उस बन्दे से खुश होता है और रमज़ान का महीना ही माफी का महीना है, रहमतों, बरकतों, जहन्नम से मुक्ति और जन्नत में प्रवेश होने का महीना है, इसी लिए इस पवित्र महीने में रो रो कर अल्लाह से माफी मांगी जाए। अपने गुनाहों से बख्शीश तलब की जाए, ज़्यादा से ज़्यादा अल्लाह से दुआ की जाए। अल्लाह तआला माफी से उस के झोली को भर देगा,
(3) आप पुख्ता इरादा कर लें कि इस पवित्र महीने में ज़्यादा से ज़्यादा पुण्य का काम करेंगे, इस पूरे महीने का रोज़ा रखेंगे, नमाज़ों और अल्लाह के ज़िक्रो अज़्कार, तिलावते कुरआन में अपना पुरा समय लगाऐंगे, लोगों की भलाई और कल्याण के कार्य मे भाग लेंगे, गरीबों और मिस्किनों की सहायता करेंगे, बुराईयों और गुनाहों और पापों से दूर रहेंगे, गाली गुलूच, गीबत, ईर्श्या और लड़ाइ और झगड़ा से दूर रहेंगे, तब ही किसी मानव का रोज़ा स्वीकारित होगा जैसा अबू हुरैरा (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से वर्णित है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया कि अल्लाह तआला फरमाता है ” मानव के प्रत्येक कर्म का बदला मिलता है, सिवाए रोज़े के तो बैशक रोज़ा मेरे लिए है और रोज़ा का बदला मैं दुंगा, रोज़ा ढ़ाल है और जब तुम में से कोई रोज़े की हालत में हो तो बुरा विचार दिलो दिमाग में न लाऐ और न ही चिखे चिल्लाऐ, यदि कोई उस से गाली गुलूच करे या लड़ाई झकड़ा करे तो वह इस से दूर रहे और उत्तर दे कि मैं रोज़े से हूँ। (सही बुखारी)
(4) रमज़ान के महीने के समय को मुनज़्ज़म करले कि फजर की नमाज़ से पहले उठकर सेहरी खना है फिर नमाज़ पढ़ कर कुरआन की तिलावत करना है दिन रात के समय को विभिन्न कार्यों, इबादतो और ज़रूरी कामों में बांट दें ताकि समय नष्ट न हो और पुरे समय का सही उपयोग हो सके। बेकार की गप शप से दूर रहा जाए। ताकि पूरा रमज़ान का महीना इबादतों में बीते।
(5) रमज़ान के महीने के अहकाम को सिखा जाए, रमज़ान में किन चीज़ो के करने से रोज़ा खराब हो जाता है ? किन चीज़ो के करने से कुछ नही होता ? कौन सा काम और इबादतें करना चाहिये और कैसे करन चाहिये ?, कौन सा काम रोज़े की हालात में नहीं करना चाहिये ?, रमज़ान में कौन सा कार्य अल्लाह को सब से ज़्यादा प्रिय है? रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) रमज़ान का महीना कैसे गुज़ारते थे ? इन सब चीज़ों का ज्ञान लेना ज़रूरी है। ताकि रमज़ान महीने को अच्छे तरीके से गुज़ारा जाए, रमज़ान महीने की बरकतों और रहमतों को प्राप्त किया जा सके।
(6) रमज़ान में लोगों के लेन देन को अदा कर किया जाए क्यों कि लोगों के हुकूक और अधिकार को पूरा करना अनिवार्य है, किसी के लिए हृदय में दुश्मनी, कीना कपट, हसद, जलन न रखा जाए क्यों कि ऐसे लोगों की माफी नहीं है, रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया, बन्दों के कर्म सोमवार और शुक्रवार को अल्लाह के पास पेश किये जाते हैं, तो अल्लाह अज़्ज़ व जल्ल हर उस बन्दे को माफ कर देता है जो अल्लाह के साथ शिर्क न किया हो सिवाए उस मानव को जिस के और उस के भाई के बीच कीना कपट और दुशमनी हो तो कहा जाता है, इन दोनों को छोड़ दो यहाँ तक कि दोनो सुलह सफाई करले, इन दोनों को छोड़ दो यहाँ तक कि दोनो सुलह सफाई करले। ” (सही मुस्लिम)
अल्लाह तआला से दुआ है कि हमे इस बरकत और नेकियों वाले महीने में अपने दामन को बुराईयों से बचाने और जन्नत में जाने वाले कार्य करने की शक्ति प्रदान करे। आमीन….. या रब्बल आलमीन।
Source : http://ipcblogger.net/nawaz/?p=292
8 comments:
आपको भी रमज़ान मुबारक हो.
अल्लाह तआला से दुआ है कि हमे इस बरकत और नेकियों वाले महीने में अपने दामन को बुराईयों से बचाने और जन्नत में जाने वाले कार्य करने की शक्ति प्रदान करे। आमीन….. या रब्बल आलमीन।
आपको भी रमज़ान मुबारक हो.........
आमीन आपकी दुआ जरुर कबुल होगी ............
आपको भी रमज़ान मुबारक
bahut achchi shikshaprad post.aapko id parv ki shubhkaamnayen.
अनवर भाई नमस्ते ! जी अपने बहुत सही फरमाया.. इतनी सटीक बात कहने के लिए साधुवाद.. यद्यपि हमारे आपके विचारों में थोडा अंतर है किन्तु सब कुछ भुला कर मेरी और से
आपको भी रमज़ान मुबारक हो !
अनवर भाई माफ़ कीजियेगा नजाने कैसा प्रेम मुझे आपकी ओर खींच लाता है !!!
मैं आपको रमज़ान की मुबारकबाद देता हूँ. आपकी पोस्ट से बहुत कुछ सीखने को मिला.
रमजान मुबारक
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