कहते है हिन्दूस्तानी है हम,
पर जुबान पे अंग्रेजों की भाषा बसती है,
देख के अपनी विलायती तेवर,
हिन्दी हम पर यूँ हँसती है।
क्या बचपन में पहला अक्षर,
माँ कहने में शर्माया था,
रोता था जब जब तू प्यारे,
लोरी ने चैन दिलाया था।
अब बढ़ी बुद्धि,अब बढ़ा ज्ञान,
हिन्दी को क्यों बदनाम किया,
जिसके साये में पल पल कर,
हम सब ने जग में नाम किया।
मीठी भाषा,प्यारी भाषा,
हिन्दी को बस आत्मसात करो,
अंग्रेजी भाषा है अपनी गुलामी,
उस भाषा में मत बात करो........।
"साहित्य प्रेमी संघ" की ओर से आप सभी हिन्दी प्रेमीयों को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.....
www.sahityapremisangh.com
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2 comments:
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।।
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हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
सबसे पहले आपको हिंदी दिवस की शुभकामनायें /
बहुत ही सार्थक .सुंदर और सटीक रचना /बहुत बधाई आपको /
मेरी नई पोस्ट हिंदी दिवस पर लिखी हुई रचना पर आपका स्वागत है /
my blog
www.prernaargal.blogspot.com
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