कहाँ कहाँ मुझे ढूंढते फिरोगे ?
आसान नहीं सत्य को ढूंढना
पाँव ज़ख़्मी हो जायेंगे
दिल दिमाग केन्द्रित हो जायेंगे
और मेरे सिवा कुछ नज़र नहीं आएगा !
मैं तुम्हारी ज़िन्दगी का अहम् बिंदु
या पड़ाव
हूँ ही नहीं
प्रश्न और उत्तर खुद में ढूंढना उचित होगा
तर्क के रास्ते में
कभी ये कभी वो नहीं होता
और तुम खामखाह
मेरे पीछे भागने लगे हो !
भागना कैसा
मैं तो हमेशा से हूँ
और सत्य से भागना मेरी नियति नहीं
कहीं अन्यत्र ढूँढने से बेहतर है
मेरी आँखों में देखो -
प्रश्न उठाने का सामर्थ्य है तो उठाओ
तुम्हें हमेशा जलतरंग सी मीठी ध्वनि सुनाई देगी
जीने का अर्थ मिलेगा
... परोक्ष में संभावनाएं मत ढूंढो
कल्पनाओं को गलत विस्तार न दो
क्योंकि मैं यदि मातृ रूप हूँ
तो शक्ति रूप भी हूँ !
2 comments:
प्रश्न उठाने का सामर्थ्य हो तो उठाओ
...जीने का अर्थ मिलेगा
सही बात !
sch khaa stym shivm sundrm hotaa he lekin khoj mushkil hoti he behtrin rchnaa mubark ho . akhtar khan akela kota rajsthan
Post a Comment