मनी मैटर? नो टेंशन, स्कॉलरशिप है न ! -Sapna Kushwaha

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  • Thursday, July 28, 2011
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  • DR. ANWER JAMAL
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  • स्कूली शिक्षा के बाद छात्र उच्च शिक्षा के सपनों के ताने-बाने बुनने लगते हैं, लेकिन आर्थिक तंगी उनके सपनों को उड़ान नहीं भरने देती। पर अब उनकी मदद के लिए अनेक स्कॉलरशिप योजनाएं सामने हैं।
    इन स्कॉलरशिप के बारे में विस्तार से बता रही हैं सपना कुशवाहा
    हर साल रिजल्ट आने के बाद प्रतिभा सम्पन्न नौजवान आर्थिक तंगी के कारण अपनी एजुकेशन को आगे जारी रख पाने में नाकाम साबित होते हैं। ऐसी समस्या से परेशान युवाओं की मदद के लिए अब तेजी से सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं सामने आई हैं। यह संस्थाएं स्कॉलरशिप व फैलोशिप से छात्रों की आर्थिक समस्या का समाधान करती हैं। किसी भी स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करने के लिए निर्धारित योग्यता क्या है? शर्ते क्या हैं? इस बात की जानकारी होना बेहद जरूरी हो गया है। यहां ऐसी ही राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्कॉलरशिप की जानकारी दी जा रही है-
    सेंट्रल सेक्टर स्कीम ऑफ स्कॉलरशिप फॉर कॉलेज एंड यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स उच्च शिक्षा के लिए जाने वाले युवाओं को बेहतर संसाधन मुहैया कराने और उनके कमजोर आर्थिक पक्ष को मजबूती प्रदान करने के मकसद से सीबीएसई यह स्कॉलरशिप प्रदान करता है। मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के माध्यम से उपलब्ध होने वाली यह स्कॉलरशिप 12वीं में अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होने वाले छात्रों को दी जाती है। इस स्कॉलरशिप के तहत ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए एक हजार रुपये प्रतिमाह और पोस्ट ग्रेजुएट व प्रोफेशनल पाठयक्रमों के लिए दो हजार रुपये प्रतिमाह दो साल के लिए प्रदान किए जाते हैं। ग्रेजुएशन स्तर पर प्रोफेशनल कोर्स करने वालों को तीसरे व चौथे साल के लिए दो हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं।
    पता है- सेक्शन ऑफिसर स्कॉलरशिप, सीबीएसई, शिक्षा केन्द्र, प्रीत विहार, नई दिल्ली-110092
    वेबसाइट- www.cbse.nic.in  
    आईआईएमसी यंग फैलोशिप इन साइंस 12वीं  क्लास में टॉपर्स को यह फैलोशिप प्रदान की जाती है। इसके लिए बोर्ड, विश्वविद्यालय परीक्षा अथवा इसके समकक्ष परीक्षा में पहले 20 स्थानों पर आने वाले गणित विषय के स्टूडेंट्स को यह सहायता मिलती है। इसके अलावा यह सहायता इन स्टूडेंट्स को भारत में अपनी पसंद के कॉलेज व यूनिवर्सिटी में साइंस साइड में करियर बनाने के लिए प्रदान की जाती है।
    पता है- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सांइस, बेंगलुरू द 
    पॉल फाउडेंशन स्कॉलरशिप यह स्कॉलरशिप स्नातक स्तर की पढ़ाई, शोध और प्रशिक्षण हेतु दी जाती है। इसके विषय हैं- ह्यूमेनिटीज, एप्लाइड साइंस, मेडिसिन, लॉ, फाइन आर्ट्स, कम्युनिटी व सोशल मैनेजमेंट। यह भारत और विदेशों के विख्यात विश्वविद्यालय व संस्थानों में दाखिला पा चुके छात्रों को दी जाती है। इसके तहत 2 वर्ष तक प्रति वर्ष अधिकतम 15 लाख रुपये दिए जाते हैं।
    पता है- एपीजे हाउस, 15 पार्क स्ट्रीट, कोलकाता
    वेबसाइट-  www.thepaulfoundation.org  
    ललित कला अकादमी स्कॉलरशिप इस स्कॉलरशिप के तहत एक साल के लिए 3 हजार रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इसके लिए आवेदक का 35 साल से कम उम्र का होने के साथ-साथ कला जगत से जुड़ा कलाकार, कला समीक्षक, कला विश्लेषक व कला का जानकार होना जरूरी है।
    पता है- ललित कला अकादमी, रवीन्द्र भवन, 35 फिरोजशाह रोड, नई दिल्ली
    वेबसाइटwww.lalitkala.gov.in  
    राष्ट्रीय विज्ञान प्रतिभा खोज परीक्षा छठी, सातवीं, आठवीं, नौवीं, दसवीं और ग्यारहवीं के छात्रों में से प्रतिभा सम्पन्न तथा योग्य छात्रों की तलाश कर उन्हें प्रोत्साहित करना ही इस परीक्षा का मूल उद्देश्य है। इसे तहत कुल 8 लाख रुपये तक के पुरस्कार छात्रों को प्रदान किए जाते हैं। यह पुरस्कार स्कॉलरशिप के रूप में होते हैं। विभिन्न कक्षाओं के लिए परीक्षा का आयोजन अलग-अलग वर्ग में किया जाता है। देश के पचास से ज्यादा प्रमुख शहरों में यह परीक्षा आयोजित की जाती है।
    पता है- प्रोजेक्ट डायरेक्टर, यूनिवर्सल ट्रस्ट, ग्रेटर कैलाश, दिल्ली  
    ओएनजीसी स्कॉलरशिप ओएनजीसी की ओर से यह स्कॉलरशिप अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को प्रदान की जाती है। आवेदक का स्नातक, ग्रेजुएट इन इंजीनियरिंग, मास्टर डिग्री प्रथम वर्ष जियोलॉजी, एमबीए का छात्र होना अनिवार्य है। स्कॉलरशिप की कुल संख्या 75 रहती है, जिसके तहत पहले व दूसरे साल में 12 हजार रुपये और तीसरे व चौथे साल में 18 हजार रुपये प्रदान किए जाते हैं।
    पता है- मैनेजर एचआर, एससी-एसटी सेल, रूम नम्बर-05, ओएनजीसी, तेल भवन, देहरादून, उत्तराखंड। अवॉर्ड फॉर जूनियर रिसर्च फैलोशिप इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च की ओर से प्रदान की जाने वाली यह फैलोशिप देश के युवाओं को रिसर्च के क्षेत्र में काम करने के लिए प्रदान की जाती है। इसके लिए आवेदक का एमएससी, बीई, बीटेक, एमई, एमटेक और बीएससी, इंजीनियरिंग पास होना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक की आयु 28 साल होनी चाहिए। इस सहायता के तहत योग्य रिसर्चर को 12 हजार रुपये मासिक प्रदान किए जाते हैं।
    पता है- भारत सरकार, डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी, इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च, कलपक्कम-603102
    वेबसाइट- www.igcar.gov.in  
    फास्ट ट्रेक स्कीम विज्ञान विषय में कुछ नया करने के इच्छुक युवाओं को यह स्कॉलरशिप प्रदान की जाती है। इसके लिए आवेदक का पीएचडी इन बेसिक साइंस या मास्टर्स इन इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, मेडिसिन, फार्मेसी होना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक की आयु 35 साल से कम होनी चाहिए। सहायता राशि के तौर पर योग्य उम्मीदवारों को 17 लाख रुपये की सहायता दी जाती है।
    पता  है- हैड, एसईआरसी, डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, टेक्नोलॉजी भवन, न्यू महरौली रोड, दिल्ली
    आवेदन का समय- साल में कभी भी।
    वेबसाइट- www.serc-dst.org  
    राजीव गांधी साइंस टैलेंट रिसर्च फैलोशिप यह फैलोशिप विज्ञान विषय में अपना भविष्य तलाश रहे युवाओं को प्रदान की जाती है। जवाहर लाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च की ओर से प्रदान की जाने वाली यह स्कॉलरशिप बीई, बीएससी, बीटेक, बी फार्मा और एमसीए सेकंड व थर्ड ईयर स्टूडेंट्स को प्रदान की जाती है। हर साल लगभग 75 स्टूडेंट्स का चुनाव किया जाता है। अवधि एक से दो साल होती है।
    पता है- जवाहर लाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च, जाक्कुर, बंगलुरू
    वेबसाइट- www.eduction.nic.in
    आवेदन का समय- अक्तूबर-दिसम्बर क्रिमिनोलॉजी व पुलिस साइंस फैलोशिप यह फैलोशिप क्रिमिनोलॉजी व पुलिस साइंस में तीन साल के लिए प्रदान की जाती है। इसके लिए क्रिमिनोलॉजी, सोशलॉजी, सोशल वर्क, सोशल एंथ्रोपोलॉजी, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, पोलीटिकल साइंस में प्रथम व द्वितीय श्रेणी अथवा लॉ ग्रेजुएट स्टूडेंट आवेदन कर सकते हैं।
    पता है- ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च व डेवलपमेंट, मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, दिल्ली डीबीटी पोस्ट डॉक्टरल फैलोशिप यह स्कॉलरशिप भारत के किसी भी विश्वविद्यालय अथवा रिसर्च सेंटर में बायोटेक्नोलॉजी या एप्लाइड बॉयोलॉजी में रिसर्च करने वाले ऐसे स्टूडेंट को दी जाती है, जो सांइस, इंजीनियरिंग में पीएचडी डिग्री प्राप्त हो और जिसका एकेमिक रिकार्ड अच्छा हो। फैलोशिप के लिए आवेदन करने वाले स्टूडेंट की उम्र 40 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए।
    पता है- डीबीटी-पीडीएफ प्रोग्राम, बायोकेमिस्ट्री विभाग, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू  

    सफलता के सूत्र
    ज्वाला गट्टा के 5 सक्सेस मंत्र ज्वाला गट्टा का नाम देश में बैडमिंटन प्रेमियों के बीच किसी परिचय का मुहताज नहीं है। वे देश की सवश्रेष्ठ डबल्स खिलाड़ी हैं। उनके नाम महिला डबल्स के 9 और मिक्स्ड डबल्स के पांच नेशनल खिताब हैं। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय खिताब भी जीते हैं। क्या है उनकी सफलता का राज :  
    लक्ष्य मैंने हमेशा अपने खेल को प्राथमिकता दी। उसी का नतीजा है कि आज मैं इस मुकाम पर पहुंच सकी हूं। मैंने लगातार प्रैक्टिस को हमेशा तरजीह दी है। किसी भी टूर्नामेंट से पहले ही मैं लक्ष्य हासिल करने के लिए साथी खिलाड़ी के साथ विचार-विमर्श करके उसी के अनुसार खुद को तैयार करती हूं। जिस तरह हमें किसी भी परिस्थिति के अनुसार खुद को ढालना आना चाहिए, उसी तरह लक्ष्य हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जाने और खुद को एडजस्ट करने को भी तैयार रहना चाहिए।
    कड़ी मेहनत नेशनल लेवल पर नंबर वन बरकरार रहना आसान नहीं है। इसके लिए बेशक कड़ी मेहनत तो करनी ही पड़ती है, साथ ही उसके लिए खुद को मानसिक व शारीरिक रूप से तैयार करना पड़ता है। किसी भी हालात में मेहनत से पीछे न हटना, ये मैंने सफलता का सूत्र बनाया हुआ है।  
    प्रतिबद्धता किसी भी चीज को हासिल करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करना बहुत मुश्किल होता है। इसके लिए उस चीज के प्रति एक जुनून की जरूरत होती है। उसी को ध्यान में रखते हुए हमें खुद को हमेशा उस जुनून से बांधे रखना चाहिए। बेशक आपकी निजी जिंदगी में किसी भी तरह के हालात हों, उसका असर आपकी प्रतिबद्धता पर नहीं पड़ना चाहिए।  
    फिटनेस किसी भी खेल में सबसे जरूरी है फिटनेस। मेरा मानना है कि जब  तक हम फिट हैं, खेलते रहना चाहिए। अगर आज पीटर गेड और सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी इस उम्र में खेल रहे हैं तो सिर्फ अपनी फिटनेस की वजह से। इसलिए हमें अपनी फिटनेस पर ध्यान देना चाहिए। खेलों के लिए ही, निजी जिंदगी में भी अपनी फिटनेस पर पूरा ध्यान देना चाहिए, क्योंकि हेल्थ इस वेल्थ। 
    संयम और धैर्य
    परेशानियों का सामना धैर्य और संयम के साथ करना चाहिए। ऐसा करने से हम मानसिक रूप से विचारशील रह सकते हैं और प्रतिकूल परिस्थितियों का हम पर कोई असर नहीं पड़ता। मेरी जिंदगी में भी कई बार ऐसी स्थितियां आईं, जब मुझे दिल के साथ-साथ दिमाग का इस्तेमाल करके फैसला लेना था। डबल्स में मेरी जोड़ी श्रुति कुरियन के साथ काफी समय से थी, लेकिन उसके टूटने से लगे झटके को मैंने बहुत संयम के साथ स्वीकार किया और फिर अश्विनी पोनप्पा के साथ जोड़ी बनाई। नतीजा, हमने कॉमनवेल्थ में पहली बार देश को पदक दिलाया।
    प्रस्तुति : सौरभ अग्रवाल

    जिन्होंने कर दिखाया  
    दिल जो चाहे वही करें
    रुचि
    पानी की बोतलें बनाने वाली कंपनी के लिए मार्केटिंग से लेकर मेकमाईट्रिप डॉट कॉम जैसे बड़े ट्रैवल पोर्टल तक का सफर सचिन भाटिया ने कई उतार-चढ़ाव के साथ पूरा किया। अपनी जिंदगी में हमेशा कुछ नया करने की कोशिश में रहने वाले सचिन ने सफलता का यह सफर कैसे पूरा किया, बता रही हैं रुचि ‘मेरी पढ़ाई दिल्ली से हुई है। पहले आरके पुरम के दिल्ली पब्लिक स्कूल में और फिर दक्षिणी दिल्ली के शहीद भगत सिंह कॉलेज में। मैं जब दसवीं में था तो मुझे पता था कि मैंने मार्केटिंग एंड एडवर्टाइजिंग के क्षेत्र में ही अपना करियर बनाना है, इसीलिए मैंने बीकॉम में ग्रेजुएशन की।’ सचिन की प्रैक्टिकल शिक्षा-दीक्षा की शुरुआत उनके घर से ही शुरू हो गई थी। ‘मेरी मां एक फ्लोरिस्ट हैं और जब मैं कॉलेज आने-जाने लगा तो मुझे बाइक की जरूरत थी और उसे पाने के लिए मेरी मां ने मुझे 6 महीने काम करने की नसीहत दी। उनके पास काम करने के बाद ही मुझे बाइक भी मिली।’ सचिन ने अपने करियर की दिशा पहले ही तय कर ली थी। वे मार्केटिंग और एडवर्टाइजिंग में अपना करियर ढूंढ़ रहे थे, लेकिन इस क्षेत्र में एमबीए करने से पहले उन्होंने इस क्षेत्र का अनुभव पाना जरूरी समझा। इसके लिए उन्होंने इससे पहले न्यूकैम-वीर में सेल्स का काम किया। उनका कहना है, ‘मार्केटिंग और सेल्स, दोनों एक-दूसरे से बेहद करीब से जुड़े हुए हैं। बिना सेल्स की जानकारी के आप मार्केटिंग के गुरों को पूरी तरह से नहीं सीख सकते।’ न्यूकैम-वीर नाम की यह कंपनी पानी के डिसपेंसर्स पर लगने वाली बोतलें बनाती थी, जिनकी डिमांड उस समय फैक्ट्रियों और कंपनियों के दफ्तरों में ज्यादा थी। सचिन की जिंदगी की पहली जॉब ने उन्हें गर्मियों की दोपहर में बाइक पर एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस घूमने के लिए मजबूर कर दिया। पर बिना किसी शिकायत सचिन कहते हैं, ‘यह मेरी जिंदगी का बहुत बड़ा अनुभव था, जिसने मुझे बिजनेस के लिए सेल्स के पहलू को जानने में काफी मदद भी की।’ इसके बाद उन्होंने स्कॉटलैंड के स्ट्रेक्लाइड ग्रेजुएट बिजनेस स्कूल से एमबीए की डिग्री भी ली। आज से लगभग 15 साल पहले उन्हें विजक्राफ्ट कंपनी में इवेंट्स का काम करने का मौका मिला। इसके बाद उन्होंने ग्रे एडवर्टाइजिंग से एडवर्टाइजिंग का और एएमएफ बाउलिंग से मार्केटिंग का अनुभव लिया। कहा जा सकता है कि सचिन की जिंदगी में यही वह टर्निग पॉइंट था, जहां से उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। यहीं उनकी मुलाकात दीप कालड़ा से हुई (मेकमाईट्रिप डॉट कॉम के संस्थापक)। सचिन और दीप ने मिल कर वर्ष 2000 में एक प्राइवेट ट्रैवल पोर्टल तैयार किया। लेकिन उस वक्त वेब पोर्टल का बाजार देश में न के बराबर था, इसलिए उन्होंने अपने पोर्टल को अमेरिका में लॉन्च किया। अपने कारोबार के बारे में सचिन का कहना है, ‘हमारे लिए अमेरिका में अपने क्लाइंट्स को समझाना और उसे कारोबार में तब्दील करना काफी मुश्किल था, क्योंकि हम यहां भारत में थे और हमारा बाजार अमेरिका में था।’ अमेरिका में मिली सफलता के लगभग 5 साल बाद मेकमाईट्रिप को भारत में लॉन्च करने का जोखिम एक बड़ा कदम था, क्योंकि 2005 तक भी भारत में ऑनलाइन ट्रैवल बुकिंग का सपना देखना एक बड़ी बात थी। लेकिन उन्हें उम्मीद से इतर भारत में जबरदस्त कारोबार दिखाई दिया। सचिन का कहना है, ‘आज के समय में मेकमाईट्रिप डॉट कॉम पर रोजाना लगभग 10,000 से भी अधिक एयरलाइन टिकटों का कारोबार होता है।’ मेकमाईट्रिप को बुलंदियों तक ले जाने में एक मुख्य सहायक की भूमिका निभाने वाले सचिन ने पिछले साल मेकमाईट्रिप डॉट कॉम में मुख्य मार्केटिंग अधिकारी के पद से इस्तीफा दे दिया। उनका कहना है, ‘मैं अब भी वहां बतौर सलाहकार मौजूद हूं, पर मैं अब कुछ और करना चाहता हूं।’ सचिन को एडवेंचर बहुत पसंद है और अपनी पसंद को ध्यान में रखते हुए वे शिवपुरी (ऋषिकेश) में एक एडवेंचर रिजॉर्ट ‘एक्टिवा’ पर काम कर रहे हैं। उनका यह रिजॉर्ट तीन से चार महीने में तैयार हो जाएगा। इसके अलावा भी वे एडवेंचर के क्षेत्र में दूसरे रिजॉर्ट्स के मालिकों से बातचीत कर रहे हैं। नौकरी से बिजनेस में उतरे सचिन का सफलता के बारे में यही कहना है, ‘जो हम करना चाहते हैं, हम उसे ही करें और सही तरीके से करें तो हमें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। साथ ही हमें अपनी सफलता के लिए कड़ी मेहनत और धैर्य दोनों की जरूरत है। आप रातोरात सफल नहीं हो सकते।’ ‘जो हम करना चाहते हैं, उसे ही करें और सही तरीके से करें तो हमें सफल होने से कोई रोक नहीं सकता। ’
    सचिन भाटिया  
    फैक्ट फाइल जन्म तिथि: 15 अप्रैल, 1972
    शिक्षा: दिल्ली पब्लिक स्कूल, आरके पुरम, दिल्ली
    कॉलेज: शहीद भगत सिंह कॉलेज
    एमबीए : स्कॉटलैंड में
    अचीवमेंट: 2000 में मेकमाईट्रिप डॉट कॉम के रूप में लॉन्च ट्रैवल पोर्टल के सह-संस्थापक
    Source : http://www.livehindustan.com/news/lifestyle/lifestylenews/article1-Money-matter-no-tansion-Schoolarship-50-50-178942.html

    4 comments:

    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

    यह जानकारियाँ तो बहुत उपयोगी हैं!

    vidhya said...

    yah post bahut jankare hai mare leye
    ho sake to aap yah post mare mail par kar dejeyega
    aap ka
    आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
    लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
    अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।

    DR. ANWER JAMAL said...

    विद्या जी ! आपकी ईमेल आई डी शो नहीं होती , लिहाज़ा हम आपको यह पोस्ट नहीं भेज पा रहे हैं .
    आप खुद इस मेत्टर को कॉपी कर लीजिये.
    शुक्रिया.

    DR. ANWER JAMAL said...

    आदरणीय शास्त्री जी ! आपका शुक्रिया .

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